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उग्रवाद से लड़ाई में कितने जरूरी हैं एसपीओ

छत्तीसगढ. के सुकमा जिले की दरभा घाटी में माओवादियों द्वारा कांग्रेस नेताओं पर किये गये हमले व कत्लेआम के बाद देश में एक बार फिर उग्रवाद, नक्सलवाद, माओवाद व सुरक्षा व्यवस्था एवं इनके अंतर संबंधों पर बहस छिड़ी है. बहस के केंद्र में ऑपरेशन ग्रीन हंट, सलवा जुडूम भी है. उग्रवाद व उसके खिलाफ संघर्ष […]

छत्तीसगढ. के सुकमा जिले की दरभा घाटी में माओवादियों द्वारा कांग्रेस नेताओं पर किये गये हमले व कत्लेआम के बाद देश में एक बार फिर उग्रवाद, नक्सलवाद, माओवाद व सुरक्षा व्यवस्था एवं इनके अंतर संबंधों पर बहस छिड़ी है.

बहस के केंद्र में ऑपरेशन ग्रीन हंट, सलवा जुडूम भी है. उग्रवाद व उसके खिलाफ संघर्ष की महत्वपूर्ण कड़ी एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) भी हैं.

उसकी भूमिका व जरूरत पर भी चर्चा लाजिमी है. क्योंकि स्थानीय स्तर पर पुलिस के लिए पहले सूचना प्रदाता वही होते हैं. उन्हें ही जमीनी स्तर पर उग्रवादियों से मुकाबला करना होता है.
राहुल सिंह की विस्तृत रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें:-

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