।। दक्षा वैदकर ।।
बचपन से ही हमारे मां-बाप और हमारे शिक्षक हमें पढ.ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते हैं. किताबें हमें सिखाती हैं कि हम जो भी काम करें, उस पर पूरा ध्यान केंद्रित करें, ताकि काम सफल हो. यह बात सच भी है.
जिस काम में हम खुद को जितना तल्लीन कर लेंगे, उसका परिणाम उतना ही हमारे मन के मुताबिक होगा. यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो इससे हमें न केवल असहज स्थिति का सामना करना पड. सकता है, बल्कि हम अपने लक्ष्य तक पहुंच पाने में भी पीछे रह सकते हैं. एक बार भगवान बुद्ध का प्रवचन चल रहा था.
सभी भक्त बडे ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे. उन्हीं में से एक ऐसा भक्त भी था, जो उनके प्रवचन में रुचि नहीं ले रहा था और नींद में ऊंघ रहा था. भगवान बुद्ध ने उसे देख लिया. उन्होंने उससे पूछा, ‘वत्स सोते हो?’ उसने जवाब दिया, ‘नहीं भगवन.’ उन्होंने फिर पूछा, ‘वत्स सोते हो?’ उसने दोबारा वही जवाब दिया, ‘नहीं भगवन.’ अंत में भगवान ने पूछा, ‘वत्स जिंदा हो?’
उस भक्त ने उसी प्रकार से जवाब दिया, ‘नहीं भगवन.’ उसके इस जवाब को सुन कर वहां उपस्थित सभी लोग हंसने लगे. उस भक्त ही हालत देखने लायक थी. केवल ध्यान केंद्रित नहीं करने की वजह से वह उपहास का पात्र बन चुका था. ऐसा हमारे साथ भी हो सकता है, यदि हम अपने काम में रुचि नहीं लें और उस पर ध्यान केंद्रित नहीं करें. हमें हमेशा यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि जिस काम में हमने हाथ लगाया है, उसे पूरी गंभीरता के साथ पूरा करें.
यदि हम ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उस काम को अपने हाथ में लेना ही नहीं चाहिए. यदि उस भक्त को प्रवचन सुनने में रुचि नहीं थी, तो उसे इसके लिए आना ही नहीं चाहिए था. केवल दिखावे के लिए कोई काम करना, कभी सफलता नहीं दिला सकता. हमें केवल वही काम करना चाहिए, जिसमें हमारी रुचि और एक बार उसमें हाथ लगा देने के बाद हम किसी भी कीमत पर उससे पीछे नहीं हटें.
सभी प्रकार की परिस्थितियों व कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में प्रयत्नशील रहें. इससे हम अपने जीवन में जरूर कामयाब होंगे.
बात पते की..
जीवन के लक्ष्य तक पहुंचाने का मार्ग सुगम नहीं है. इसलिए इस मार्ग पर चलने से पहले खुद को पूरी तरह से तैयार कर लेना जरूरी है.
अपने काम में पूरी तरह से तल्लीन हुए बिना और ध्यान केंद्रित किये बिना उसमें सफलता पाना मुमकिन नहीं है.