घर में शेर बाहर ढेर, भारतीय क्रिकेट टीम की विदेशी पिचों पर खेलने की क्षमता को लेकर यह कहावत रविवार को पूरी तरह से एक बार फिर सही साबित हुई.
इस मैच में मेज़बान इंग्लैंड ने केनसिंगटन ओवल में खेल गए पांचवे और आखिरी टेस्ट मैच में भारत को एक पारी और 244 रन से करारी मात दी.
इसके साथ ही इंग्लैंड ने पांच टेस्ट मैचो की सिरीज़ 3-1 से अपने नाम कर लिया. विदेशी ज़मीन पर भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने यह लगातार पांचवी सिरीज़ हारी है.
ओवल में भारत की टीम 338 रन से पिछड़ते हुए दूसरी पारी में 29.2 ओवर में ही सिर्फ 94 रन बना सकी.
भारत की इंग्लैंड में इस निराशाजनक हार से सभी क्रिकेट प्रेमी और क्रिकेट समीक्षक हैरान हैं.
अनुभवहीन गेंदबाज़ी
ख़ासकर यह देखते हुए कि भारत ने नॉटिंघम में खेला गया पहला टेस्ट मैच ड्रॉ कराया था और ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान में इंग्लैंड को 95 रन से हराया.
इसके बाद इंग्लैंड ने ज़बरदस्त वापसी करते हुए बचे हुए तीनों टेस्ट मैच अपने नाम कर लिए.
भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ अतुल वासन भारतीय टीम की हार की वजह टीम में सही समय पर सही खिलाड़ियों का चयन न होने के साथ-साथ कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी और चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, शिखर धवन, गौतम गंभीर, रोहित शर्मा सहित सभी बल्लेबाज़ो की नाकामी और अनुभवहीन गेंदबाज़ी को मानते हैं.
अनुकूल विकेट
वे कहते हैं, "भारत के बल्लेबाज़ इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ो की उछाल और स्विंग होती गेंदों पर नौसिखिया बल्लेबाज़ो की तरह आउट होते रहे और वह भी एक ही तरीक़े से. इसके अलावा भारत की फिल्डिंग भी खराब रही. एक तरफ इंग्लैंड के स्लिप फिल्डर्स ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत कैच पकड़े तो भारतीय खिलाड़ी कैच छोड़ते रहे."
अतुल वासन मानते हैं कि बल्लेबाज़ो के अनुकूल विकेट पर भी पहले ही दिन कम स्कोर पर आल आउट होना और उसके बाद गेंदबाज़ो की नाकामी ने भारत को हार की तरफ धकेल दिया. एक तरफ जहां टीम को बल्लेबाज़ की जरूरत थी वहां टीम ने एक गेंदबाज़ को ऑलराउंडर बना दिया. इसके अलावा जो भी खिलाड़ी टीम में आया उसने दमख़म नहीं दिखाया.
भारत की इस हार का असर अब 25 अगस्त से शुरू होने जा रही पांच एकदिवसीय मैचो की सिरीज़ पर भी पड़े तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए.
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