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अपने जन्मदिन की तरह मनाओ आजादी की वर्षगांठ

आज के जेनरेशन को स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस से कुछ मतलब ही नहीं. माता-पिता भी इसी फिराक में रहते हैं कि कैसे एक-दो छुट्टियां मिलें, तो कहीं बाहर घूम आएं. हमें अपने बच्चों को देश का, अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना सिखाना होगा, जिससे उनके मन में देश के लिए, समाज के लिए, कुछ […]

आज के जेनरेशन को स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस से कुछ मतलब ही नहीं. माता-पिता भी इसी फिराक में रहते हैं कि कैसे एक-दो छुट्टियां मिलें, तो कहीं बाहर घूम आएं. हमें अपने बच्चों को देश का, अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना सिखाना होगा, जिससे उनके मन में देश के लिए, समाज के लिए, कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा हो.

शारदा देवी बच्चों की बातें सुन रही थीं. वो बोलीं-मुझे अब पक्का यकीन है कि तुम सभी बहुएं बच्चों को गलत रास्ते पर नहीं चलने दोगी. तन के साथ उन्हें स्वस्थ मन भी दोगी ताकि उसके मन में कलुषता, खोट, ईष्र्या-द्वेष, लालच, झूठ और बेईमानी घर न कर सके.

मैं चाहती हूं कि मेरे पोते-पोती और नाती-नातिन सभी अपने घर के संस्कारों को जिंदा रखें और कुछ भी बनें, लेकिन पहले एक अच्छा इनसान बनें, जिनमें सोचने-समझने की शक्ति, प्यार-संवेदनाएं, दूसरों के लिए सम्मान, परेशानियों से लड़ने और संघर्ष करने की हिम्मत हो. मुझे भरोसा है मेरे ये प्यारे बच्चे कभी गलत रास्ते पर नहीं चलेंगे. तभी वंशिका ने कहा कि दादी मां हम अच्छे बच्चे हैं तो हमारे लिए पार्टी तो बनती है. क्यूं न हम लोग कहीं बाहर घूम कर आयें? लेकिन बेटा अभी तुम्हारी छुट्टियां तो हैं नहीं फिर बाहर कैसे जायेंगे? शारदा देवी ने पूछा. क्यों दादी मां, अभी 15 अगस्त जो आ रहा है, वह फ्राईडे को है.

16 को छुट्टी ले लूंगी और फिर 17 को संडे मिल जायेगा. थर्सडे को स्कूल के बाद चलते हैं और संडे नाइट वापस. है न मजेदार प्लानिंग? वंशिका ने अपना प्लान बताया. क्यों, 15 अगस्त को स्कूल नहीं जाना क्या? शारदा देवी ने फिर पूछा. नहीं दादी मां. पढ़ाई तो होगी नहीं. वहीं बोरिंग फ्लैग होस्टिंग, नेशनल एंथम फिर प्रिंसिपल सर का एकदम बोरिंग लेक्चर. इससे अच्छा है हम कहीं जाकर घूम आएं. वंशिका ने कहा. लो गयी भैंस पानी में. सारे किये-कराये पर पानी फेर दिया तुमने? इतनी तारीफ की तुमलोगों की, लेकिन तुम फिर नासमझी की बातें कर रही हो.

शारदा देवी ने थोड़ा मजाकिया लहजे में कहा. फिर गंभीर होते हुए सख्त स्वर में कहा- मैं कभी आगे से यह नहीं सुनना चाहती कि 15 अगस्त या 26 जनवरी को घर का कोई बच्चा स्कूल नहीं जायेगा. ये हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं. 15 अगस्त को देश आजाद हुआ था. आज तुम जिस खुली, आजाद हवा में सांस ले रही हो, उसे पाने के लिए जाने कितनों ने खुद को शहीद कर दिया. कितनी औरतों ने अपने पति, बच्चे, भाई और बेटे खोए. आजादी में केवल पुरु ष ही नहीं, महिलाओं और बच्चों ने भी शहादतें दीं.

15 अगस्त देश की आजादी की सालगिरह है. हम आजाद हैं, इसीलिए हमारा तिरंगा लहरा रहा है. सदियों की गुलामी के बाद हमें घूमने के लिए आजाद धरती और उड़ने के लिए आजाद गगन मिला. उसका सम्मान करना सीखो. जब तक हमारा तिरंगा लहरायेगा, हम भी आजाद रहेंगे. बेटा तिरंगा हमारी जान है, शान है और पहचान है. जैसे अपना जन्मदिन मनाती हो, उसी तरह से अपने देश की आजादी की सालगिरह मनानी चाहिए.

मैंने देखा है आजादी का जश्न, गुलामी का वह दौर और हमारे देशवासियों का भारत को आजाद कराने का जज्बा. जब तुम्हारे पापा छोटे थे तो उस समय स्कूल में एक महीना पहले से ही फंक्शन की तैयारियां शुरू हो जाती थीं. तभी पायल ने कहा- हां मां, मुझे भी याद है. हम अपनी यूनीफॉर्म को बढ़िया से कलफ लगाते थे. जूते खूब चमकाते थे और प्रभात फेरी भी लगायी जाती थी. हमारा स्कूल ‘भारत माता की जय’ के नारे से गूंज उठता था. स्कूल में कितने कंपीटीशन होते थे. हम देशभक्ति के गीत गाते थे. हर जगह देशभक्ति के गाने बजते थे.

सारा माहौल देशभक्ति के रंग में रंगा होता था. अपने तिरंगे को शान से पकड़कर चलते थे. जहां भी राष्ट्रीय गान होता था, वहां तिरंगे के सम्मान में खड़े हो जाते थे. यहां तक कि उस समय की फिल्मों में भी अंत में पिक्चर हॉल में राष्ट्रीय गान बजता था और सब लोग राष्ट्रीय गान खत्म होने के बाद ही हॉल से निकलते थे. अब आज का समय देखो, तुम लोगों को फ्लैग होस्टिंग बोरिंग लग रही है. आज के जेनरेशन को स्वतंत्रता या गणतंत्र दिवस से कुछ मतलब ही नहीं. स्वतंत्रता दिवस पर कुछ कार्यक्रम करना तो दूर, स्कूल भी नहीं जाना चाह रही हो. कुछ तो स्कूल ही बंद रहते हैं और जो खुलते हैं, जहां फ्लैग होस्टिंग होती भी है, तो वहां बच्चों पर कम्पलशन नहीं होता कि वे स्कूल जाएं.

माता-पिता भी इसी फिराक में रहते हैं कि कैसे एक-दो छुट्टियां साथ मिलें तो कहीं बाहर घूम आएं. हमें अपने बच्चों को देश का, अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना सिखाना होगा जिससे उनके मन में देश के लिए, समाज के लिए, साथ ही अपनों के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा हो और हम अपने देश को बेहतर नागरिक दें सकें.

अगर सभी इन बातों का ध्यान रखेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि जब ये बच्चे बड़े होंगे तो हमारा भारत इन प्यारी बुलबुलों से चहचहा रहा होगा और हम गर्व से कह सकेंगे- ‘‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा, हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा’’. जय हिंद.

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