<figure> <img alt="कई लोगों को लगता है कि इन नए नियमों के ज़रिए अभिव्यक्ति की आज़ादी पर असर पड़ेगा." src="https://c.files.bbci.co.uk/C13B/production/_109476494_gettyimages-936260462.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>कई लोगों को लगता है कि इन नए नियमों के ज़रिए अभिव्यक्ति की आज़ादी पर असर पड़ेगा.</figcaption> </figure><p>भारत सरकार ने सोशल मीडिया पर आने वाले मैसेजों पर नज़र रखने की योजना बनाई है. जबसे यह बात सामने आई है तभी से सोशल मीडिया यूजर्स और निजता के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता इस पर शक़ भरी निगाहों से देख रहे हैं.</p><p>इतना ही नहीं सोशल मीडिया चलाने वाली कंपनियों को भी इसमें कुछ ना कुछ ग़लत नज़र आ रहा है. <strong>टेक्नोलॉजी लेखक प्रशांतो के रॉय </strong>सरकार के इस क़दम पर अपने विचार रख रहे हैं.</p><p>भारत का सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय अगले साल जनवरी से कुछ नए नियम जारी करने जा रहा है. इन नए नियमों की ज़द में वो कंपनियां आएंगी जो लोगों को मैसेज भेजने का मंच प्रदान करती हैं.</p><p>इन कंपनियों में कई सोशल मीडिया एप्स, वेबसाइट्स और कई ई-कॉमर्स कंपनियां भी शामिल हैं.</p><p>दरअसल इस फै़सले का मकसद फ़ेक न्यूज़ को रोकना बताया गया है, जिसकी वजह से साल 2017 और 2018 के बीच 40 कई अफ़वाहें फैली और इसके चलते 40 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई. </p><figure> <img alt="व्हट्सएप" src="https://c.files.bbci.co.uk/180A3/production/_109476489_388ac52c-7806-4913-9334-1aa254e89e94.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h1>फ़ेक न्यूज़ से हिंसा</h1><p>इन फ़ेक न्यूज़ के पीछे ग़लत तथ्य और जानकारियां होती हैं, लोग इन मैसेजों को देखकर गुस्से में आ जाते हैं और कई मौकों पर भीड़ किसी एक शख़्स पर टूट पड़ती है.</p><p>ये तमाम मैसेजे कुछ ही घंटों में हज़ारों और लाखों मोबाइलों पर फॉरवर्ड किए जाते हैं और इन्हें रोक पाना लगभग नामुमकिन हो जाता है.</p><p>साल <a href="https://www.bbc.com/news/world-asia-india-44709103?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">2018 के एक मामले में तो एक सरकारी कर्मचारी ही भीड़ की हिंसा के शिकार हो गए थे, </a>उन्हें सरकार ने गांवों में जाकर सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफ़वाहों पर यक़ीन ना करने की घोषणा करने का काम दिया था.</p><p>पिछले दो साल के भीतर सोशल मीडिया से ग़लत जानकारी फैलने की वजह से भीड़ की हिंसा के 50 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. </p><p>इन सोशल मीडिया एप्स में फ़ेसबुक, यूट्यूब, शेयरचैट और स्थानीय भाषाओं में चलने वाली अन्य एप्स शामिल हैं.</p><figure> <img alt="सोशल मीडिया" src="https://c.files.bbci.co.uk/9A2B/production/_109476493_gettyimages-1125726497.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>व्हा</strong><strong>ट्सऐ</strong><strong>प </strong><strong>पर नज़र</strong></p><p>लेकिन जिस एप्स से सबसे ज़्यादा फ़ेक न्यूज़ फैली वह है व्हाट्सऐप. भारत में व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं. </p><p>पिछले साल जब अफ़वाहों के चलते भीड़ की हिंसा के कई मामले सामने आए तो सरकार ने व्हाट्सऐप से अपील की कि वह इन ग़लत सूचनाओं को फ़ैलने से रोकने के इंतजाम करे.</p><p>इसके बाद व्हाट्सऐप ने कई कदम भी उठाए. जिसमें किसी मैसेज को फॉरवर्ड करने की लिमिट तय करना और फॉरवर्ड मैसेज के ऊपर ‘फॉरवर्ड’ लिखकर बताना शामिल हैं.</p><p>हालांकि सरकार का मानना है कि व्हाट्सऐप की तरफ से उठाए गए ये क़दम नाकाफ़ी हैं और उन्हें व्हाट्सऐप मैसेजों पर खुद नज़र रखनी होगी, ठीक जैसे चीन अपने देश में करता है.</p><p>इसके साथ ही सरकार चाहती है कि व्हाट्सऐप किसी मैसेज या वीडियो के ओरिजनल सेंडर का भी पता लगाए और यह जानकारी सरकार को दे.</p><p>भारत के अटर्नी जनरल ने इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा, ”अगर ये सोशल मीडिया कंपनियां जांच एजेंसियों के साथ अपना डेटा को डीक्रिप्ट नहीं कर सकतीं, खासतौर पर तब जबकि वो मामले देशद्रोह, पोर्नोग्राफ़ी या अन्य अपराधों से जुड़ें हों तो इन कंपनियों को भारत में व्यापार करना ही नहीं चाहिए.”</p><p>एक सरकारी अधिकारी ने मुझसे ऑफ़ द रिकार्ड कहा, ”देखिए, ये सोशल मीडिया कंपनियां हमें रोकने के लिए कोर्ट में भी चली गईं.”</p><p>उन्होंने यह भी बताया कि चीन में ऑनलाइन निगरानी का स्तर बहुत ज़्यादा है. उनका कहना काफ़ी हद तक ठीक भी था क्योंकि चीन में प्रचलित ऐप वीचैट पर कई बार वो शब्द अपने आप ग़ायब हो जाते हैं जिन पर प्रतिबंध लगा हुआ है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49591570?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बच्चा चोरी की अफ़वाहें, फ़ेक वीडियो, ‘मारो-मारो’ का शोर और होती मौतें..</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-44629908?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत में बच्चा चोरी की अफ़वाह का पाकिस्तान कनेक्शन</a></li> </ul><p><strong>व्हाट्सऐप </strong><strong>की प्रतिक्रिया</strong></p><p>व्हाट्सऐप का कहना है कि उन्होंने जो क़दम उठाए हैं वो कारगर साबित हुए हैं.</p><p>व्हाट्सऐप की एक प्रवक्ता के अनुसार जबसे उन्होंने फॉरवर्ड मैसेज को आगे ‘फॉर्वर्डेड’ लिखना शुरू किया और उनकी लिमिट तय की तब से फॉर्वर्ड मैसेज में 25 प्रतिशत की कमी आई है.</p><p>उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कंपनी ने एक महीने के भीतर करीब 20 लाख ऐसे अकाउंट्स को बैन किया है जो बल्क में मैसेज भेजते थे, इसके साथ ही कंपनी लोगों को ज़ागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम भी चला रही है.</p><p>इस बीच निजता के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं की असल चिंता इस बात से है कि सरकार किसी मैसेज को ओरिजनल सेंडर को ट्रेस करना चाहती है.</p><p>सरकार कहती है कि वह फ़ेस मैसेज भेजने वालों को ट्रेस करना चाहती है जबकि कार्यकर्ताओं को डर है कि इसके ज़रिए सरकार उनकी आलोचना करने वालों पर भी निशाना साधेगी.</p><p>कार्यकर्ताओं की ये चिंताएं बेवजह भी नहीं हैं, हाल फिलहाल में जब कभी किसी ने सरकार के फ़ैसलों की आलोचना की है तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई भी की गई है.</p><p>फिर चाहे कश्मीर में सरकार के क़दम की आलोचना हो या प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले लोगों पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने की बात हो.</p><figure> <img alt="व्हट्सएप" src="https://c.files.bbci.co.uk/4C0B/production/_109476491_gettyimages-1003980568.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>व्हाट्सऐप में संपर्क विभाग के ग्लोबल हेड कार्ल वूग ने इसी साल फ़रवरी में दिल्ली में कहा था, ”वो जो चाहते हैं, हम सबकुछ नहीं दे सकते. मतलब पूरा का पूरा इनक्रिप्शन हम नहीं दे सकते.”</p><p>”इसके लिए पूरे व्हाट्सऐप के ढांचे को ही बदलना होगा. ऐसा करने पर व्हाट्सऐप वो प्रोडक्ट नहीं रहेगा जो वह अभी है. इसकी बुनियाद ही प्राइवेसी पर टिकी है. ज़रा सोचिए कि आपकी तरफ से भेजे गए हर एक मैसेज को आपके नंबर के साथ कहीं दर्ज किया जाए तो वहां निजता कहां रह जाएगी.”</p><figure> <img alt="नए नियमों का असर कई ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर पड़ेगा" src="https://c.files.bbci.co.uk/D4A8/production/_104904445_smartphone.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>नए नियमों का असर कई ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर पड़ेगा</figcaption> </figure><p>साल 2011 से ही भारत के क़ानून ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काफ़ी सरल रहे हैं. फ़ोन पर दो लोगों के बीच क्या बातचीत हो रही है इसके लिए किसी फ़ोन कंपनी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता. </p><p>इसी तरह ई-मेल के ज़रिए किसी भी तरह की जानकारी साझा करने पर कोई ई-मेल कंपनी पर सवाल नहीं उठाता.</p><p>जब तक कि प्रशासन किसी कंपनी से उनके डेटा साझा करने की मांग नहीं करती तब तक वो किसी भी तरह की क़ानूनी बाधाओं से बचे रहते हैं.</p><p>लेकिन सरकार अब जो नए नियम लाने जा रही है उससे इन कंपनियों के लिए मुश्किल हालात पैदा होने जा रहे हैं.</p><p>इतना ही नहीं सरकार ने अपने प्रस्ताव में यह भी लिखा है कि जिस भी प्लेटफ़ॉर्म पर भारत में 50 लाख से ज़्यादा यूजर्स होंगे तो उन्हें भारत में अपना दफ़्तर खोलना होगा. </p><p>यह क़दम इसलिए है कि अगर कभी कोई समस्या होती है तो स्थानीय तौर पर इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा.</p><figure> <img alt="व्हट्सएप का कहना है कि उनकी तरफ से उठाए गए कदम काफी कारगर साबित हुए हैं." src="https://c.files.bbci.co.uk/CD22/production/_109341525_gettyimages-995049898.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>व्हट्सएप का कहना है कि उनकी तरफ से उठाए गए कदम काफी कारगर साबित हुए हैं.</figcaption> </figure><p>भारत सरकार की तरफ से प्रस्तावित इन क़ानूनों का प्रभाव सोशल मीडिया के अलावा दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी पड़ेगा. </p><p>उदाहरण के लिए अगर ये नियम-क़ानून लागू हो जाते हैं तो विकीपीडिया भारतियों के लिए अपना एक्सेस बंद कर सकता है. </p><p>अभी यह भी साफ़ नहीं है कि अगर कुछ मैसेजिंग प्लेटफॉर्म जैसे सिग्नल और टेलीग्राम इन नियमों को नहीं मानते हैं तो उन पर क्या असर पड़ेगा.</p><p>ऐसा माना जा रहा है कि तब इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को कहा जाएगा कि वो इन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को एक्सेस ही ना दें.</p><p>एक तरफ जहां निजता के क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ता सरकार के इस क़दम को शक़ भरी नज़रों से देख रहे हैं वहीं सार्वजनिक नीतियों से जुड़े प्रोफेशनल्स का मानना है कि सरकार इन प्लेटफॉर्म को बंद करने की जगह उनके लिए नए रास्ते तलाश रही है.</p><p>एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी के इंडिया पॉलिसी प्रमुख ने कहा कि सभी नेता, अधिकारी और पुलिस अधिकारी व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं, कोई भी इसे बंद नहीं करना चाहेगा. सरकार सिर्फ़ इस इतना चाहती है कि व्हाट्सऐप इस गंभीर समस्या के प्रति सख़्त क़दम उठाए. </p><p>हालांकि बाक़ी लोगों की तरह ही वो यह नहीं बता सके कि वो किस तरह के सख़्त क़दमों की बात कर रहे हैं.</p><p><strong>ये भी पढ़ेंः</strong></p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2015/06/150529_rural_digital_india_closing_sy?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मेरे घर पर ही हो रही थी डिजिटल क्रांति</a></li> </ul> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2015/05/150522_rural_digital_india_intro_sy?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">डिजिटल रनवे से गांवों का टेकऑफ़</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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