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ट्रैफिक चालान के नए नियमों पर राज्य सरकारें क्या केंद्र को मना कर सकती हैं?

<figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/8778/production/_108808643_238275d2-5a42-494d-90fd-6278b2528d27.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><p>नए मोटर व्हीकल क़ानून के लागू होने के बाद अब यातायात नियमों के उल्लंघन पर दस गुना तक जुर्माना लगाया जा रहा है. यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले कई वाहन चालकों को बीते दो हफ़्ते के दौरान इस नए क़ानून के तहत 500 सौ […]

<figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/8778/production/_108808643_238275d2-5a42-494d-90fd-6278b2528d27.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><p>नए मोटर व्हीकल क़ानून के लागू होने के बाद अब यातायात नियमों के उल्लंघन पर दस गुना तक जुर्माना लगाया जा रहा है. यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वाले कई वाहन चालकों को बीते दो हफ़्ते के दौरान इस नए क़ानून के तहत 500 सौ से लेकर 2 लाख रुपये तक का चालान भरना पड़ा है.</p><p>चाहे लाल बत्ती का उल्लंघन हो या बिना हेलमेट के स्कूटर/बाइक चलाना या रॉन्ग साइड ड्राइव करना या रैश ड्राइव करना या शराब पी कर गाड़ी चलाना या एंबुलेंस को रास्ता न देना, सड़क पर यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकड़े जाने पर बहुत कम राशि देकर छूट जाने और ऐसे उल्लंघनों की संख्या में लगातार वृद्धि के साथ ही सड़क दुर्घटना के मामलों में बढ़ोतरी की वजह से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का परिवहन मंत्रालय ट्रैफिक नियम को तोड़ने पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान लेकर आया.</p><p>यातायात नियमों के उल्लंघन पर पहली बार क़ानून 1988 में बना था लेकिन उसमें जुर्माने के तौर पर बहुत अधिक रकम नहीं ली जाती थी. अब नए मोटर व्हीकल क़ानून के तहत यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ा दी गई है.</p><figure> <img alt="नितिन गडकरी" src="https://c.files.bbci.co.uk/11FD0/production/_108808637_e277d6df-146e-4782-8538-f38da71fa6d0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><p>मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन नए क़ानून के तहत गुरुवार को दिल्ली में एक ट्रक चालक पर रिकॉर्ड दो लाख पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया गया. तो दिल्ली में ही राजस्थान के एक ट्रक मालिक को 1.40 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ा.</p><p>केंद्र का बनाया यह क़ानून राज्यों पर भी लागू होता है. नया क़ानून 1 सितंबर 2019 को लागू हुआ लेकिन 14 सितंबर तक जहां कई राज्यों ने जुर्माने की राशि को कम कर दिया वहीं कइयों ने इसे लागू करने से ही इनकार कर दिया है.</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/16DF0/production/_108808639_9c508578-5349-4f43-90f9-476cead7b312.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>गुजरात ने फूंका बिगुल</h3><p>मोटर व्हीकल के इस नए क़ानून के विरोध में सबसे पहले गुजरात सरकार खड़ी हुई जहां केंद्र की ही तरह बीजेपी का शासन है.</p><p>गुजरात सरकार ने तो कई मामलों में जुर्माने की राशि में लगभग 90 फ़ीसदी तक की कटौती कर दी और साथ ही राज्य में नए नियमों को 16 सितंबर से लागू करने की घोषणा की.</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/E7EA/production/_108807395_abcd28a6-9165-46d5-871b-1232923370ce.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>झारखंड ने दी छूट</h3><p>दूसरी तरफ झारखंड की बीजेपी सरकार ने भारी भरकम जुर्माना लगाए जाने पर तीन महीने की रोक लगा दी.</p><p>रघुवर दास ने राज्य की जनता से ट्रैफिक के नियमों का पालन करने की अपील की है.</p><p>झारखंड के परिवहन मंत्री सीपी सिंह ने बीबीसी को बताया, &quot;हेलमेट की चेकिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाने जैसे सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर तो कार्रवाई की जाएगी. लेकिन गाड़ी के कागजात को लेकर तीन महीने तक का समय दिया गया है और इस दौरान लोगों को शिक्षित भी किया जाएगा.&quot;</p><p>उन्होंने कहा, &quot;तीन महीने तक का समय दे रहे हैं. परिवहन विभाग में कर्मचारी बढ़ाए जा रहे हैं. लोगों को जागरूक किया जाएगा.&quot;</p><p>परिवहन मंत्री ने बताया, &quot;नए ट्रैफिक नियमों के अनुसार ट्रैफिक पुलिस अब कागजात नहीं होने पर चालान नहीं काटेगी बल्कि उस व्यक्ति को कागजों को पूरा करने के लिए समय देगी. साथ ही गाड़ियों के कागजात अपडेट कराने के लिए राज्य में अतिरिक्त सेवा केंद्र खोले जाएंगे.&quot;</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/3958/production/_108808641_8c3991c2-d519-414c-8f4e-dad2ca5395f8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>महाराष्ट्र ने किया इनकार</h3><p>वहीं महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार ने भी इसे लागू करने से इनकार कर दिया.</p><p>महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने इस पर नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखी थी लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.</p><p>इसके बाद परिवहन मंत्री ने यह कहते हुए कि जुर्माने की राशि बहुत ज्यादा है और इसे इतनी बड़ी राशि के साथ राज्य में लागू नहीं किया जा सकता.</p><p>बीबीसी मराठी के संपादक आशिष दीक्षित कहते हैं, &quot;वहां विधानसभा चुनाव होने हैं लिहाजा यह शिवसेना बनाम बीजेपी का मामला हो गया है. वहां कई मुद्दों को लेकर पहले से ही दोनों पार्टियों के बीच टकराव की स्थिति चल रही है. लेकिन राज्य बीजेपी के भी कई नेता ऐसी चीज़ नहीं चाहते हैं जिसे चुनाव से पहले लागू करने से लोगों में नाराज़गी हो.&quot;</p><p>आशिष दीक्षित कहते हैं, &quot;मुझे नहीं लगता कि वर्तमान राज्य सरकार इसे लागू करेगी.&quot;</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/AE88/production/_108808644_c64c57f9-95c1-44e4-bf03-5f4513df8294.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक में भी विरोध</h3><p>यहां यह बताना ज़रूरी है कि महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और राज्य सरकारें यह नहीं चाहतीं कि लोगों में नए मोटर व्हीकल क़ानून को लागू करने का बाद गुस्सा पैदा हो.</p><p>हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी अभी नया मोटर व्हीकल क़ानून लागू करने से इनकार किया है. साथ ही राज्य सरकार पूरे हरियाणा में ट्रैफिक नियमों को लेकर 45 दिनों तक जागरूकता अभियान भी चलाएगी.</p><p>बीजेपी शासित राज्य उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी राज्य में नए मोटर व्हीकल क़ानून में संशोधन किया और कई जुर्माने की राशि आधी कर दी. कर्नाटक में भी इस क़ानून के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हुआ है.</p><p>बीजेपी शासित राज्यों के अलावा जहां पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस क़ानून को लागू करने से साफ़ इनकार कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस ने इस क़ानून का संसद में भी विरोध किया था</p><p>कांग्रेस शासित राज्यों पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकारों ने कहा है कि वे इस क़ानून की स्टडी करने के बाद ही इसे लागू करेंगे.</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/D598/production/_108808645_0254efcb-1b60-4846-b5f8-11ea7cea8704.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>’राज्य जुर्माने की राशि को घटा नहीं सकते'</h3><p>तो क्या राज्य सरकारें केंद्र के बनाए इस क़ानून में संशोधन कर सकती हैं या फिर इसे पूरी तरह लागू करने से ही मना कर सकती हैं. क्या कहता है देश का संविधान?</p><p>संविधान की समवर्ती सूची या सातवीं अनुसूची में राज्य और केंद्र सरकार के साझा अधिकारों का वर्णन किया गया है.</p><p>सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं, &quot;समवर्ती सूची के अंतर्गत यह बताया गया है कि राज्य और केंद्र के पास क्या क्या अधिकार हैं. और उसके अनुसार उन विषयों पर क़ानून बनाने का अधिकार संसद या विधानसभा या दोनों को रहता है.&quot;</p><p>वे कहते हैं, &quot;समवर्ती सूची में राज्य और केंद्र दोनों का अधिकार है. सड़क परिवहन को समवर्ती सूची में रखा गया है और केंद्र सरकार ने समवर्ती सूची के तहत मिली शक्तियों के माध्यम से मोटर व्हीकल क़ानून में नए प्रावधानों को जोड़ा है.&quot;</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/127A0/production/_108808657_646dd9e2-efa7-419d-b639-651dcd4edd31.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>विराग कहते हैं, &quot;जब समवर्ती सूची में केंद्र कोई क़ानून बनाता है तो यह एक मॉडल क़ानून होता है और उसके अनुसार राज्य अपने क़ानून बना लेते हैं लेकिन मोटर व्हीकल क़ानून में एक नया प्रावधान यह भी आया है कि राज्य जुर्माने की राशि को कम नहीं कर सकते. इसका मतलब है कि राज्य जुर्माने की राशि को घटा नहीं सकते फिर भी वो इसे घटा रहे हैं.&quot;</p><p>&quot;पहले नितिन गडकरी कह रहे थे कि जुर्माने की राशि को राज्य घटा नहीं सकते लेकिन अब वो कह रहे हैं कि ये सिर्फ हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है क्योंकि मौतें राज्यों में हो रही है. फिर उन्होंने क़ानून मंत्रालय से लीगल राय मांगी है कि आप बताएं.&quot;</p><p>विराग कहते हैं, &quot;यह अराजक स्थिति है. जब केंद्र कोई क़ानून बनाता है तो अराजक स्थिति यह होती है कि जनता उसे नहीं माने और राज्य भी उसे नहीं माने तो यह संवैधानिक अराजकता है. अगर संस्थागत तौर पर राज्य ही केंद्र के बनाए क़ानून को न माने और केंद्र इसके लिए क़ानूनी सलाह मांग रहा हो तो यहां सवाल यह भी उठता है कि इस क़ानून पर राज्यों की सलाह क्यों नहीं ली गई.&quot;</p><p>नए ट्रैफिक क़ानून के तहत न्यूनतम और अधिकतम जुर्माने की राशि का प्रावधान है. लेकिन जुर्माना अधिकतम लगाया जा रहा है. यह भी सवालों के घेरे में है.</p><figure> <img alt="ट्रैफिक क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/14EB0/production/_108808658_2686d945-4f0a-4cf4-8c88-3be2118e2cc0.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><h3>क़ानून क्या है?</h3><p>समवर्ती सूची में केंद्र सरकारें क़ानून बनाती रही हैं लेकिन राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर उसमें बदलाव करती रही हैं. अगर उन बदलावों को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिल जाता है तो उसे राज्य में लागू कर दिया जाता है.</p><p>विराग कहते हैं, &quot;कई बार विधानसभा में संशोधन के जरिए भी उसमें बदलाव किए जाते रहे हैं. लेकिन अभी स्थिति यह है कि राज्यों के मुख्यमंत्री या परिवहन मंत्री बयान दे रहे हैं लेकिन विधानसभा ने उन बदलावों को पारित नहीं किया है. तो जब तक विधानसभा इसे पारित नहीं करती तब तक केंद्र का बनाया क़ानून ही लागू होगा. राज्य सरकारें इसे स्थगित नहीं कर सकतीं. यह पूरी तरह से संवैधानिक अराजकता का मामला है.&quot;</p><p>विराग यह भी सवाल उठाते हैं कि केंद्र सरकार ने इस नए क़ानून को लागू करने से पहले जागरूकता अभियान क्यों नहीं चलाया.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप 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