<figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/6674/production/_108382262_0ddd8105-c4ff-4a68-a4d0-679d297db01e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मॉनसून की बारिश के बाद भारत ने अपने बांधों में भर चुके पानी को छोड़ दिया है जिसके कारण पाकिस्तान में कई जगहों पर बाढ़ आने का ख़तरा बढ़ चुका है. यह बाढ़ की स्थिति गिलगित, बाल्टिस्तान और पंजाब की सतलुज और रावी जैसी नदियों में पानी बढ़ने के कारण पैदा हुई है.</p><p>बाढ़ के मद्देनज़र नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) ने पंजाब और गिलगित-बाल्टिस्तान में अलर्ट जारी किया है.</p><p>एनडीएमए के फ़ोकल पर्सन ब्रिगेडियर मुख़्तार अहमद ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि उनके सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर भारत ने सतलुज में तक़रीबन दो लाख 40 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा है.</p><p>उनका कहना था कि इस पानी का असर पाकिस्तान में आने वाली नदी में दिखना शुरू हो चुका है और अब तक 27 हज़ार क्यूसेक पानी पाकिस्तान के सीमाई इलाक़े गंडा सिंह में दाख़िल हो चुका है.</p><figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/B494/production/_108382264_9356bd90-bbcb-440f-aac6-bed9a7cc44d8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>ऐसी स्थिति कब और कैसे बनी?</h1><p>ब्रिगेडियर मुख़्तार ने बताया कि पानी के स्तर में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है और ऐसा माना जा रहा है कि 20 और 21 अगस्त की आधी रात को भारी मात्रा में पानी यहां से गुज़रेगा जो एक लाख क्यूसेक से डेढ़ लाख क्यूसेक हो सकता है.</p><p>उन्होंने कहा कि भारत की ओर से लद्दाख बांध के तीन दरवाज़े खोले गए हैं जिनका पानी सिंधु नदी में शामिल होगा. उनका कहना था कि सिंधु नदी के पानी के स्तर में अभी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. </p><p>उनका कहना था कि अगर सिंधु नदी में पानी के स्तर में बढ़ोतरी होती है तो हमारे पास तरबेला बांध और चश्मा बैराज में इस पानी को जमा करने की सुविधा मौजूद है.</p><p>ब्रिगेडियर मुख़्तार अहमद के मुताबिक़ सतलुज नदी में भारतीय पंजाब से आने वाले पानी की वजह से बाढ़ का ख़तरा है और पाकिस्तान पंजाब के आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने क़सूर और आसपास के ज़िला प्रशासन को तैयार रहने के लिए कहा है. ज़िला प्रशासन नदी के किनारे रहने वाले लोगों को वहां से हटाने का प्रबंध कर रहा है.</p><p>उन्होंने बताया कि सिंधु जल समझौते के तहत हर साल मॉनसून सीज़न से पहले दोनों देश आपस में बातचीत कर लेते हैं जिसमें अलर्ट जारी करने पर भी जानकारी साझा की जाती है. लेकिन इस साल दुर्भाग्य से दोनों देशों में तनाव के बाद भारत ने किसी भी तरह की जानकारियां साझा नहीं की और पानी छोड़ने से पहले अलर्ट जारी नहीं किया.</p><p>उनका कहना था कि सिंधु जल आयोग ने गृह मंत्रालय के ज़रिए इस मुद्दे को भारतीय अधिकारियों के सामने उठाया है जिस पर अभी तक भारत ने कोई जवाब नहीं दिया है.</p><h1>आने वाले पानी से लाभ होगा या नुक़सान?</h1><p>एनडीएमए के फ़ोकल पर्सन ब्रिगेडियर मुख़्तार अहमद के मुताबिक़, भारत की ओर से सतलुज नदी में आने वाले पानी में से कुछ हेड सुलेमानकी और पंजंद पर जमा कर लिया जाएगा मगर पूर्वी पट्टी पर पानी रोकने की सहूलियत न होने की वजह से ज़्यादातर पानी सिंध में गिरता हुआ समुद्र में चला जाएगा.</p><p>ब्रिगेडियर मुख़्तार का कहना था कि बीते कई सालों से सतलुज नदी में पानी नहीं आया तो इस पानी से इस इलाक़े की ज़मीन पर अच्छा असर पड़ेगा और भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ेगा. ये मुश्किल के साथ-साथ एक लाभ भी लेकर आई है.</p><p>भारत की ओर से पानी छोड़ने पर पानी के मुद्दों पर काम करने वाले एक ग़ैर सरकारी संगठन हिसार के काउंसिल सदस्य परवेज़ आमिर ने बीबीसी से बताया कि उनके ख़याल में भारत जितना पानी इकट्ठा कर सकता था उसने किया और यह बाकी का पानी है जो पाकिस्तान की ओर बढ़ाया जा सकता है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47259429?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत सिंधु जल संधि को समाप्त क्यों नहीं कर सकता?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-47330994?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पानी रोकने के भारत के फ़ैसले पर क्या बोला पाकिस्तान</a></li> </ul><p>उन्होंने बताया कि भारत पानी की अहमियत को समझते हुए चिनाब नदी पर छह बांध बना रहा है और वह रावी पर भी ऐसे ही बांध बनाने का इरादा रखता है. </p><p>उनका कहना था कि भारत कोशिश करेगा कि वह बचे पानी को राजस्थान की नहरों की ओर मोड़ दे. उनका कहना था कि ये पानी पाकिस्तान में एक राहत लेकर आ रहा है लेकिन इंतज़ाम न होने की वजह से इस पानी को समुद्र में ही छोड़ना पड़ रहा है.</p><p>उनका कहना था कि ये पानी पाकिस्तान के रेगिस्तानी इलाक़ों चोलिस्तान, थरपारकर और थल में भिजवाना चाहिए था लेकिन हमारे पास ऐसी व्यवस्था मौजूद नहीं है. ये पानी उन इलाक़ों के लिए किसी दौलत से कम नहीं है.</p><p>उन्होंने ये राय भी दी कि इस पानी का कुछ हिस्सा तरीमो बैराज और मंजंद से निकलने वाली नहरों के ज़रिए इस्तेमाल होगा जबकि बाकी बेकार हो जाएगा.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-47250634?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि क्यों नहीं तोड़ रहे हैं पीएम मोदी'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-48904548?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">राजा दाहिर: कश्मीरी पंडित जिसने सिंध पर राज किया</a></li> </ul><figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/102B4/production/_108382266_06c6dfad-3101-45d3-8ae7-b8ee86def710.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>’पानी सिर्फ़ 30 दिन बचाकर रख सकते हैं'</h1><p>सिंधु जल समझौते के तहत सतलुज और रावी भारत की नदियां हैं. सिंधु जल संधि के एडिशन कमिश्नर सिराज़ मेमन का कहना है कि यहां हर साल पानी न आने की वजह से इन नदियों के किनारे और अंदर अतिक्रमण हो चुका है जिसके कारण हमें नुक़सान का सामना करना पड़ रहा है.</p><p>उनका कहना था कि पाकिस्तान को पानी इकट्ठा करने के ऊपर काम करना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान दुनिया में सबसे कम वक़्त तक पानी एकत्र करने वाले देशों में शामिल है.</p><p>हमारा पानी इकट्ठा रखने की सीमा सिर्फ़ 30 दिन है जबकि दुनिया के कई देशों में दो से तीन साल तक का पानी जमा किया जा रहा है. </p><p>उनका कहना था कि देश की जल नीति में शामिल है कि हम अपना पानी इकट्ठा रखने की सीमा को बढ़ाएंगे लेकिन आर्थिक दिक्कतों के कारण इस पर काम नहीं किया गया है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49090356?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कारगिल युद्ध: ताशी नामग्याल ने सबसे पहले दी थी घुसपैठ की जानकारी</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49398098?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तान के सेना प्रमुख का कार्यकाल तीन साल बढ़ा</a></li> </ul><figure> <img alt="बाढ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/150D4/production/_108382268_c0bfc0e0-d085-4add-badb-3c18223f0feb.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>हल क्या है?</h1><p>परवेज़ आमिर का कहना है कि जब भी पाकिस्तान में भारत की ओर से पानी छोड़ा जाता है तो हम उसे आक्रमण और अत्याचार का नाम दे देते हैं. वह कहते हैं कि पाकिस्तान को पानी इकट्ठा करने का बेहतर तरीक़ा ईजाद करना चाहिए.</p><p>उनका कहना था, "पंजाब में सिहोन के क़रीब बैराज बनाकर पानी को जमा किया जा सकता है, इसी तरह हाकड़ा के क़रीब भी प्राकृतिक तौर पर एक छोटी नदी मौजूद है जिस पर बैराज बनाकर इस पानी को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है."</p><p>उन्होंने भी इस पानी से भूमिगत जल स्तर बढ़ने की बात कही और कहा कि इससे ज़मीन की उर्वरता भी बढ़ेगी. </p><p>परवेज़ आमिर ने भारत की ओर से सिंधु नदी में छोड़े जाने वाले पानी को इकट्ठा करने या इस्तेमाल करने पर कहा कि पाकिस्तान के पास वहां पर पानी जमा करने के संसाधन मौजूद हैं इसलिए इस तरफ़ बाढ़ का ख़तरा नहीं है.</p><p>उनका कहना था कि सरकार को भविष्य के लिए सोचना होगा क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर ज़्यादा पिघलेंगे और मॉनसून की ज़्यादा बारिश के कारण यह पानी पाकिस्तान भी आएगा. उसको इकट्ठा करने के लिए एक मज़बूत ढांचा और व्यवस्था बनानी होगी.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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भारत से पाकिस्तान जा रहा पानी आफ़त लाएगा या रहमत?
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