परिवार लोगों और रिश्तों से ही बनता है. सो, यह बेहद जरूरी है कि परिवार में हर सदस्य एक-दूसरे से जुड़ा हो और एक-दूसरे की कद्र करता हो. वरना, परिवार एक साथ रह कर भी एक नहीं होता. ऐसी स्थिति में एक छत के नीचे ही बिखराव आने लगता है. आप खुशनुमा माहौल बना कर अपने परिवार को एकजुट कर सकते हैं. इसके लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की नहीं, बस एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखने की जरूरत है. बता रहीं हैं अनुप्रिया अनंत.
परिवार का मतलब केवल एक छत के नीचे रहना नहीं, बल्कि एक-दूसरे के सुख-दुख को बांटना और एक-दूसरे की परवाह करना है. अफसोस है कि आज भागदौड़ की जिंदगी में हम सबसे कम अहमियत परिवार को ही देते हैं. अकसर हम साथ होकर भी साथ-साथ नहीं होते. इसकी कई वजहें हैं, जिनमें एक बड़ी वजह आपका अत्यधिक ‘सोशल’ होना भी है. इन दिनों जिस तरह से सोशल नेटवर्किग साइट्स का उपयोग बढ़ा है, लोग अपनों से ही कटते जा रहे हैं. हम साथ में बैठते भी हैं तो अपने-अपने मोबाइल पर सोशल नेटवर्किग साइट्स में व्यस्त रहते हैं और वहां कौन, क्या कर रहा है, इस बारे में ही बातचीत करते हैं, न कि इस बारे में कि आपके सामने जो लोग हैं, वे क्या कहना या करना चाह रहे हैं. जाहिर है, सोशल नेटवर्किग साइट्स ने आपको जितना सोशल बनाया है, उतना ही परिवार से अलग भी कर दिया है. ऐसे में यह जरूरी है कि जब आप पूरे परिवार के साथ बैठे हों, तो एक-दूसरे से आपस में बातें करें, न कि मोबाइल में व्यस्त रहें.
बातचीत में न हो दीवार
हाल में हुए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि कई बच्चे इसलिए आत्महत्या कर लेते हैं, क्योंकि उनके परिवार के पास उनके लिए वक्त नहीं होता. बच्चों को आपका वक्त चाहिए. अगर आपके परिवार में बच्चे हैं, तो ध्यान रखें कि उन्हें हर जरूरत से ज्यादा आपकी जरूरत है. यदि आप वर्किग वुमन हैं और आपके पति भी वर्किग हैं, तब भी इसका यह मतलब नहीं कि आप अपने बच्चों से बातचीत न करें. अपने जरूरी कामों के बीच बच्चों के लिए पर्याप्त वक्त निकालें. उनसे बातें करें. पूछें कि स्कूल में क्या हुआ. अगर आप किचन में भी हैं, तो वहां बच्चों को बुला कर बात करें. डाइनिंग टेबल पर सब साथ खाना खाएं. कोई खास विषय न मिल रहा हो, तो खाने के बारे में ही बात करें. एक सुखी परिवार के लिए उसके सदस्यों के बीच आपस में संवाद होना बेहद जरूरी है और जब आप ये सब करेंगी तो निश्चित तौर पर बच्चे आपसे सारी बातें शेयर करेंगे ही.
बड़ों को दें खास अहमियत
अगर आपके घर में बड़े-बुजुर्ग भी हैं तो उनसे भी बातें करें. उनके साथ पुराने एलबम देखें और उनसे पुराने जमाने की बातें सुनें. उन्हें भी हर जगह शामिल करें. यह नहीं कि अगर आपके दोस्त आ गये तो आप उनकी अनदेखी करें. उन्हें परिवार में आपके साथ कदमताल मिलाने का पूरा हक है. याद रखें कि एक दिन आपको भी उनकी उम्र में ही आना है. सो, इन बातों का ख्याल रखें. वे कोई ऐसी बात कह दें, जो आपको पसंद न हो, तब भी उनकी या उनकी बात की अनदेखी कभी न करें. उनकी उम्र का लिहाज करें. इससे वे खुद-ब-खुद दोबारा उन बातों को नहीं दोहरायेंगे. याद रखें, पारिवारिक रिश्ता प्यार से ही मजबूत होता है.
साथ में लें खाने का मजा
अमिताभ बच्चन की कोशिश होती है कि अगर वह मुंबई में हैं और बाकी सदस्य भी मुंबई में हैं तो दिन में एक वक्त का खाना पूरा परिवार साथ में खाएं. इससे सभी सदस्य एक-दूसरे से मिल तो पायेंगे ही, साथ-साथ बातचीत भी कर पायेंगे. हालांकि भागदौड़ भरी जिंदगी में यह बहुत हद तक संभव नहीं हो पाता है, लेकिन प्रयास तो जरूर किया जाना चाहिए. खासतौर से छुट्टी के दिन यानी रविवार के दिन दोपहर और रात का खाना परिवार के साथ करने का प्रयास करें. फिल्म हम साथ साथ हैं में आपने देखा ही होगा, किस तरह जो परिवार साथ खाना खाता है, साथ रहता है. एक-दूसरे के साथ शाम के वक्त कुछ आउटडोर गेम्स में हिस्सा लेता है, ऐसे परिवार में खुशियां बनीं रहती है. आप भी कम से कम छुट्टी के दिन तो ऐसा करने की कोशिश जरूर करें.
फैमिली टूर
साल में कम से कम एक बार लांग फैमिली टूर और तीन महीने पर एक बार छोटे-छोटे वेकेशंस पर जरूर जाएं. आउटिंग भी परिवार के लिए बेहद जरूरी है. इसके माध्यम से परिवार में सदस्य एक-दूसरे के करीब आते हैं, क्योंकि उस दौरान काम का प्रेशर बिल्कुल नहीं होता. हां, इस बात का खास ख्याल रखें कि छुट्टियों पर ऑफिशियल फोन को जहां तक हो सके इग्नोर करें. छुट्टी का जब भी प्लान बनाएं, सभी सदस्यों की सलाह लें. अगर घर में बड़े बुजुर्ग हैं, तो उनकी सुविधा का भी ख्याल रखें. ऐसे स्थानों पर जाने की प्लानिंग करें, जहां उन्हें जाने में आसानी हो.
महीने के किसी एक संडे पूरे परिवार के साथ बाहर कहीं भी आउटिंग पर जाएं. फिर चाहे वह वाटर किंगडम हो या फिर कोई पार्क. किसी फैमिली रेस्टोरेंट में खाना खाकर आएं. साल में एक बार किसी फैमिली फंग्शन में जरूर भाग लें और वहां सभी के साथ खूब मस्ती करें. फैमिली फंग्शन के आयोजन से भी परिवार में एकजुटता आती है.
बनें परिवार के सबसे अच्छे श्रोता
परिवार में खुशनुमा माहौल बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि आप अपना अहंकार दूर रखें और परिवार का हर सदस्य अच्छा श्रोता बने. परिवार में तर्क-वितर्क होना चाहिए, लेकिन मुद्दों को लेकर, न कि आपसी मतभेदवाली बातों को लेकर. हर किसी को अपनी बात कहने का पूरा मौका दें और हर व्यक्ति एक-दूसरे की बात सुनें. यह संभव है कि परिवार में कुछ सदस्य काफी बातूनी होते हैं और कुछ बेहद शांत. ऐसे में जो शांत होते हैं, वे खुद को अलग-थलग मानने लगते हैं. सो, बेहद जरूरी है कि उन्हें भी अपनी बातचीत में इनवॉल्व करें. इस बात का ध्यान रखें कि अपने बच्चों के सामने आप कभी झगड़ा न करें.
तोहफे और सेलिब्रेशन सरप्राइजेज
एक स्वस्थ परिवार के लिए यह भी बेहद जरूरी है कि आप परिवार में एक-दूसरे को छोटे ही सही, लेकिन तोहफे दें. अपने परिवार में होनेवाली छोटी-छोटी अच्छी बातों का भी जश्न मनाएं. अगर परिवार के किसी भी सदस्य के साथ कोई अच्छी बात हुई है, किसी को नयी जॉब मिली है, या तरक्की हुई है या फिर ऑफिस में अप्रीसियेशन मिला है, तो इन छोटी-छोटी खुशियों को आपस में बांटें.
त्योहार, रीति-रिवाज का मान
इन दिनों त्योहारों के खास मौकों पर भी लोग उदासीन रहते हैं. होली तक कई लोग यह कह कर नहीं खेलते कि यह बोरियतवाला त्योहार है. जबकि यह जरूरी है कि परिवार में हर त्योहार को सेलिब्रेट किया जाये. एक-दूसरे के साथ मिल कर सेलिब्रेट करने से आपसी प्यार बढ़ता है.