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बड़े भी बच्चों के सामने मानें अपनी गलती

जब हम बड़े होकर आसान-सी बातें समझ नहीं पाते, तो बच्चों की उम्र तो बहुत कम होती है. हम उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे कोई भी बात एक बार बताने पर समझ जायेंगे और जब उम्मीद ही नहीं कर सकते, तो हमें कहने का भी अधिकार नहीं. माता-पिता होने का हक बच्चों […]

जब हम बड़े होकर आसान-सी बातें समझ नहीं पाते, तो बच्चों की उम्र तो बहुत कम होती है. हम उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे कोई भी बात एक बार बताने पर समझ जायेंगे और जब उम्मीद ही नहीं कर सकते, तो हमें कहने का भी अधिकार नहीं. माता-पिता होने का हक बच्चों को डांट कर नहीं, बल्किसमझा कर दिखाना चाहिए.

शारदा देवी मेहर को डांटते हुए समझा रही थीं. तभी मेहर ने कहा- मैंने तो वैसे ही बनाया जैसा भाभी बता रही थीं. इसमें मेरी क्या गलती? वह मुङो ठीक से समझा नहीं पायीं, यह उनकी फॉल्ट है, मेरी नहीं. मेहर को बीच में टोकते हुए शारदा देवी ने कहा कि अब भी तुम अपनी गलती नहीं मान रहीं कि तुम समझ नहीं पायीं. अपनी पार्टनर को दोषी ठहरा रही हो कि वह नहीं समझा सकी. किसी को भी ब्लेम करने से पहले खुद को भी तो एक बार जांच-परख लो. क्या तुम्हें बायें-दायें भी समझ नहीं आया? शारदा देवी ने कहा- तुमने ही बच्चों को डांटा था न कि क्यों शोर कर रहे हो, चुपचाप बैठ कर बड़ों की बात नहीं सुन सकते और अमीम और आरजू को कहा था कि तहजीब घर पर छोड़ कर आये हो क्या? वे तो बच्चे थे और तुम कैसे चिल्लाई थी? तुम भी तहजीब घर छोड़ कर आयी हो क्या?

मेहर ने कहा- आखिर आप डांट क्यों रही हैं. गेम है, गलती हो सकती है. उस समय इतना शोर हो रहा था कि कुछ समझ नहीं आ रहा था, इसलिए तेज आवाज में बोलना पड़ा.

बाकी भी तेज ही बोल रही थीं, तो अपनी बात अपनी पार्टनर तक पहुंचाने के लिए हमें भी तेज बोलना पड़ा. इसमें क्या गलत किया? आप साबित क्या करना चाहती हैं? इस बार पायल ने कहा- मेहर तुम अब भी बहस कर रही हो, लेकिन अपनी गलती नहीं मान रही हो. पायल भाभी, मैं गलत नहीं हूं. सब चिल्ला रही थीं तो मुङो उन्हें चुप कराने के लिए चिल्ला कर बोलना पड़ा. तब शारदा देवी ने कहा- मैं यह साबित करना चाहती हूं कि तुम्हें बच्चों से उन बातों की उम्मीद है, जो तुम नहीं कर सकतीं और हमें बच्चों को उन्हीं बातों को लिए टोकना चाहिए जिसे हम बड़े भी कर सकें. उन्हें उपदेश देने से पहले वे बातें हमें अपने ऊपर लागू करनी होंगी. अगर बच्चे उस समय एक्साइटमेंट में खुश होकर चिल्ला रहे थे तो तुम्हें उन्हें इस तरह सबके सामने नहीं डांटना चाहिए था और इस तरह के शब्दों का प्रयोग तो हरगिज नहीं करना चाहिए था. जबकि तुम्हारा खुद के ऊपर कोई कंट्रोल नहीं है. मेहर तुम बड़ी हो और समझदार भी, फिर भी अपनी गलती नहीं मान रहीं तो बच्चों को कैसे मजबूर कर सकती हो कि वे अपनी गलती मानें. अपनी गलती मानना इतना आसान नहीं होता. इनसान का स्वभाव है कि वह आसानी से किसी के आगे नहीं झुकता और यही बात बच्चों में होती है, लेकिन यह बात उन्हें पता नहीं होती. फिर भी भाई-बहन और दोस्त अपनी गलतियां एक-दूसरे पर थोपते हैं. इसलिए अगर हमसे कोई गलती होती है, तो हमें बच्चों के सामने ही उसे स्वीकार करना चाहिए, ताकि बच्चे भी अपनी गलती मानने में कोई संकोच न करें.

तुम सब बड़ी हो और बच्चों की मां भी. जब तुम केवल कहने भर से चीजें नहीं समझ सकतीं, तो बच्चों से कैसे उम्मीद कर सकती है कि एक बार बताने पर वे तुम्हारी बात समङोंगे. आप में कितनी ऐसी माएं हैं, जो अपने बच्चे से यह कहती हैं कि क्या एक बार बताने पर बात समझ नहीं आती? शारदा देवी ने सबकी तरफ देखा मगर सभी चुप थीं. उन्होंने कहा मुङो यकीन है तुम सब अक्सर ही बच्चों से ऐसा कहती होगी. मगर आज क्या हुआ? अब मैं कहती हूं तुम सबसे. तुम लोगों के दिमाग में कचरा भरा है क्या जो जरा-सी बात समझ कर वैसा नहीं बना पायीं जैसा तुम लोगों को बताया गया था? सब पढ़ी-लिखी हो.

तुम में से कई वर्किग भी हैं और तुमसे वही बनवाया जो तुम पढ़ चुकी हो, लेकिन तुममे से कई महिलाओं को तो पूरे शेप्स भी नहीं पता. इससे शर्मनाक और क्या होगा ? ऊपर से इतना चिल्ला रही थीं कि रेलवे स्टेशन लग रहा था. तुम लोगों में जरा भी मैनर्स नहीं हैं? तुम लोगों को यह बच्चों वाला गेम लग रहा था न? फिर क्या हुआ? शर्म आनी चाहिए कि बच्चोंवाले गेम में भी तुम सब इतनी बड़ी होकर हार गयीं. अपने बच्चों को क्या और कैसे सिखाओगी? समझ में आ गया न कि आसान लगनेवाले गेम भी आसान नहीं होते? जब हम बड़े होकर आसान-सी बातें समझ नहीं पाते तो बच्चों की उम्र तो बहुत कम होती है. हम उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे कोई भी बात एक बार बताने पर समझ जायेंगे और जब उम्मीद ही नहीं कर सकते, तो हमें कहने का भी अधिकार नहीं. माता-पिता होने का हक बच्चों को डांट कर नहीं, बल्किसमझा कर दिखाना चाहिए.

वीना श्रीवास्तव

लेखिका व कवयित्री

इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com

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