आज के दौर में हर छोटे-बड़े काम को तमाम प्रकार के मोबाइल एप्स पहले से काफी आसान बना चुके हैं. विशेषकर नया कुछ सीखने और पढ़ने के लिए एप्स की मदद लेने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. स्मार्टफोन उपभोक्ताओं की लगातार बढ़ती संख्या की वजह से तमाम प्रकार के एप्स की लोकप्रियता तो बढ़ रही है.
किसी एप के कंटेंट की गुणवत्ता बरकरार रखना और लर्नर्स की मांग के अनुरूप कंटेंट उपलब्ध कराना लगातार चुनौतीपूर्ण हो रहा है. इस्तेमाल करने की सुविधा और सहजता के कारण मोबाइल लर्निंग यानी एम-लर्निंग ऑनलाइन लर्निंग का सबसे और रोचक माध्यम बनता जा रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी या किसी ऑनलाइन कोर्स के अलावा एम-लर्निंग की अहमियत प्रोफेशनल ट्रेनिंग में भी बढ़ रही है.
एम-लर्निंग आधारित प्रोफेशनल ट्रेनिंग
एम-लर्निंग की सबसे बड़ी खूबी है कि यह पूर्ण रूप से लर्नर सेंट्रिक फॉरमेट यानी सीखनेवाले व्यक्ति के अनुरूप होती है. इससे लर्नर अपने सुविधानुसार इसका इस्तेमाल करता है. मोबाइल एप के माध्यम से ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन जाकर भी कंटेंट को इस्तेमाल किया जा सकता है.
गेमिफिकेशन और ऑनलाइन ट्रेनिंग में माइक्रोलर्निंग फॉर्मेट के कारण मोबाइल एप एंप्लायी ट्रेनिंग में सबसे उपयोगी माध्यम है. ट्रेडिशनल ई-लर्निंग के मुकाबले मोबाइल एप आधारित लर्निंग में कोर्स पूरा करने की दर और इंगेजमेंट अपेक्षाकृत अधिक होती है. मोबाइल एप का इस्तेमाल फॉर्मल ट्रेनिंग, परफॉर्मेंस सपोर्ट या इंस्टेंट जॉब एड या कंटेंट शेयरिंग में आसानी से किया जा सकता है.
आसान है एप से लर्निंग?
प्रोफेशनल्स के सामने रोजाना की तमाम चुनौतियां होती है, जिसे समय रहते और प्रभावी तरीके से पार होना होता है. ऐसे में लर्निंग के लिए उचित समय निकालना और किसी खास कंटेंट पर फोकस करना थोड़ा कठिन काम होता है. एप आधारित लर्निंग की खूबी है कि इसका कंटेंट साइज कम होता है और यह फोकस्ड होता है, जिससे थोड़ा समय निकाल कर लर्नर अपने कोर्स को पूरा कर सकता है.
प्रोफेशनल्स के लिए कंटेंट तैयार करते समय यह ध्यान रखना होता है कि कंटेंट हमेशा लर्निंग स्टाइल से मैच करना चाहिए. ट्रेनिंग का प्लान भी प्रोफेशनल्स के लिए लाइफस्टाइल के मुताबिक होना चाहिए. इन्हीं खूबियों के कारण एप बेस्ड लर्निंग को ट्रेडिशन ई-लर्निंग से बेहतर माना जाता है.
एंप्लॉई ट्रेनिंग के फायदे
एप से एंप्लॉई ट्रेनिंग ही नहीं, बल्कि एंपावरमेंट भी किया जा सकता है. प्रोफेशनल वर्क के साथ उस क्षेत्र में आनेवाले नयी तकनीकी और तरकीबों की जानकारी को बेहतर बनाया जा सकता है. सेल्फ डायरेक्टेड लर्निंग होने की वजह से तैयारी बेहतर होती है. चूंकि, स्मार्टफोन पर आम तौर पर लोग दिनभर में काफी समय व्यतीत करते हैं, ऐसे में एप का कंटेंट इंटरेक्टिव होना चाहिए, जिससे लोग काम के दौरान निकाले गये समय में इसका बेहतर इस्तेमाल कर सकें.
लर्नर नोटिफिकेशन के माध्यम से लेटेस्ट अपडेट प्राप्त कर सकते हैं, जिससे तारतम्यता बनी रहेगी और भटकाव की स्थिति नहीं बनेगी. प्रोफेशन से जुड़ी जानकारी, सुझाव या किसी समस्या का तात्कालिक तौर पर समाधान एप आधारित ट्रेनिंग से किया जा सकता है. लर्नर नोटिफिकेशन के माध्यम से चेकलिस्ट या निर्देश प्राप्त कर उसके अनुरूप कार्ययोजना बना सकता है. सबसे बड़ी बात है कि रीयल टाइम फीडबैक और परफॉर्मेंस की जांच से प्रगति की समीक्षा की जा सकती है. इससे आगे का काम आसान होगा.