मुंगेर : सदर प्रखंड के रामदिरी में प्राथमिक विद्यालय हजरबिग्गी स्थित हैं, जो बाहर से देखने में पूरी तरह से फिट है. लेकिन अंदर की स्थिति उतनी ही बदहाल है. विद्यालय में जहां कबाड़खाने में बैंच-डेस्क को रख दिया गया है. वहीं विद्यालय के बच्चे फर्श पर बैठ कर पढ़ाई करने को विवश हैं. इतना ही नहीं यहां शिक्षा विभाग का नहीं, बल्कि प्रधानाध्यापक का नियम चलता है.
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बिना किताब के पढ़ाई कर रहे स्कूल के बच्चे, गुरुजी ने कहा हम इसमें क्या कर सकते हैं
मुंगेर : सदर प्रखंड के रामदिरी में प्राथमिक विद्यालय हजरबिग्गी स्थित हैं, जो बाहर से देखने में पूरी तरह से फिट है. लेकिन अंदर की स्थिति उतनी ही बदहाल है. विद्यालय में जहां कबाड़खाने में बैंच-डेस्क को रख दिया गया है. वहीं विद्यालय के बच्चे फर्श पर बैठ कर पढ़ाई करने को विवश हैं. इतना […]
पोशाक और छात्रवृत्ति की राशि बच्चों के खाते में आज तक नहीं भेजी गयी. जबकि बिना किताब के ही बच्चे पढ़ाई करने को विवश हैं. हद तो यह है कि घटिया मध्याह्न भोजन बच्चों को दिया जाता है. ऐसा नहीं है कि अभिभावक आवाज नहीं उठाते, लेकिन पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण अभिभावक विद्यालय की बदहाल व्यवस्था को लेकर संबंधित पदाधिकारी तक शिकायत करने नहीं पहुंच पाते हैं.
बुधवार को ग्रामीणों की शिकायत पर प्रभात खबर की टीम प्रावि हजरबिग्घी पहुंची. लगभग नौ बजे टीम पहुंची तो प्रधानाध्यापक अनुपस्थित थे. सहायक शिक्षक संतोष कुमार साह ने बताया कि वे कल भी नहीं आये थे. उन्हें चार्ज दे दिया था. बुधवार की सुबह वे क्यों नहीं आये यह मुझे पता नहीं है.
उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में कुल 117 बच्चे नामांकित हैं. ये बच्चे वर्ग 2 से लेकर 5 तक में नामांकित है, जबकि प्रथम वर्ग में एक भी नामांकन नहीं है. उस समय विद्यालय में शिक्षक संतोष और शिक्षिका नीलम कुमारी थी.
जो बच्चों को ऊपर के कमरे में पढ़ा रही थी. जबकि पंकज कुमार शांडिल्य व पंकज कुमार दोनों बच्चों को बुलाने गांव में घूम रहे थे. रसोईया का कहीं कोई अता-पता नहीं था. मौके पर एक दर्जन से अधिक महिला-पुरुष अभिभावक विद्यालय में मौजूद थे. जो प्रधानाध्यापक कुंदन कुमार स्नेही पर मनमानी का आरोप लगा रहे थे.
वर्ग कक्ष था बदहाल, कबाड़ में पड़े थे बैंच-डेस्क: प्रभात खबर की टीम जब विद्यालय पहुंची तो नीचे के कमरे व रसोईघर में ताला लटका हुआ था. पूछने पर पता चला कि बच्चे ऊपर के दो कमरों में पढ़ाई कर रहे थे.
एक कमरे में दो-दो वर्ग संचालित हो रहा था. कमरे में झाड़ू भी नहीं लगाया गया था. बच्चे गंदे फर्श पर ही बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे. जब शिक्षक से पूछा गया कि ऐसी व्यवस्था क्यों है तो उन्होंने कहा कि रसोइया नहीं आयी है, वही झाड़ू लगाती है.
नीचे का कमरा खोल कर जब दिखाया गया तो दो कमरों का फर्श पूरी तरह से टूटा हुआ था, जिस पर बैठना मुश्किल था. बैंच-डेस्क के बारे में पूछा गया तो शिक्षक ने एक कमरा खोल कर दिखाया. इसमें दर्जनों बैंच-डेस्क कबाड़ की हालत में रखा हुआ था, जब पूछा गया कि ऐसा क्यों है तो शिक्षक ने कहा कि यह तो प्रधानाध्यापक ही बतायेंगे.
पोशाक व छात्रवृत्ति की नहीं मिली राशि : विद्यालय में एक भी बच्चे स्कूल ड्रेस में नहीं था. रूपा देवी ने कहा उसके दो बच्चे अविनाश व आकाश पढ़ते है. किताब की राशि तो छोड़ दिजीए, पोशाक और छात्रवृत्ति की राशि भी खाते में नहीं भेजी गयी है.
रिंकु देवी का पुत्र अंकुश, पंकज मंडल की पुत्री जूली और लूसी इसी विद्यालय में पढ़ते हैं. उसे भी पोशाक व छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिली. अभिभावकों ने कहा कि प्रधानाध्यापक कब आते और कब चले जाते हैं. हमें पता ही नहीं चलता है. हमलोग खेती-मजदूरी करने वाले हैं. हमारी कोई सुनता भी नहीं है.
कहते हैं डीइअो
जिला शिक्षा पदाधिकारी दिनेश कुमार चौधरी ने कहा कि चुनाव कार्य को लेकर व्यस्तता है. चुनाव के बाद विद्यालय का जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
घटिया भोजन खिलाने का अभिभावकों ने लगाया आरोप
वर्ग दो व तीन में जहां 23 बच्चे थे, वहीं वर्ग चार और पांच में 28 बच्चे पढ़ रहे थे. जो बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे थे. शिक्षक ने बताया कि किताब के लिए बच्चों के खाते में ही राशि भेजी जाती है. जब राशि मिलेगी तभी तो बच्चे किताब खरीदेंगे. मध्याह्न भोजन की पड़ताल की गयी तो रसोईघर में ताला लटका हुआ था. उस समय तक तीन रसोइया में एक भी रसोइया नहीं आयी थी.
लेकिन कुछ ही देर में तीनों रसोइया पहुंच गयी. बुधवार को बच्चों को खिचड़ी, चोखा और हरी सब्जी दिया खिलाया जाना था. सहायक शिक्षक से जब पूछा गया कि स्टॉक में क्या है तो उन्होंने बताया कि 48 किलो चावल है, उसी हिसाब से सब कुछ है. जब चावल का ड्राम देखा गया तो उसमें मुश्किल से पांच से सात किलो घटिया किस्म का चावल था. जबकि दो किलो दाल व हल्दी व मिर्च की पाउंडर था. आलू और हरी सब्जी का कहीं कोई अता-पता नहीं था.
शिक्षक ने कहा कि आलू दुकान से उधार मंगवाया जा रहा है. जबकि एक रसोइया ने कहा कि मेरे घर में कद्दू है. आज हरी सब्जी में कद्दू देना है. तोड़ने जा रहे हैं. अभिभावकों ने कहा कि बच्चों को घटिया भोजन दिया जाता है. प्रधानाध्यापक अक्सर रहते ही नहीं हैं. शिक्षक कहते हैं कि जो प्रधानाध्यापक कहते हैं, वही खिलाते हैं. मौसमी फल व अंडा तो यहां के बच्चों ने देखा तक नहीं है.
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