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नासा लांच करेगा उड़न तश्तरी

जॉन केली बीबीसी न्यूज़ मैगज़ीन अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक ऐसा अंतरिक्ष यान लांच करने जा रही है जो देखने में एकदम उड़न तश्तरी की तरह दिखता है. क़रीब आधी से अधिक शताब्दी से ये विशिष्ट आकार लोगों की सबसे लोकप्रिय कल्पनाओं में शामिल रहा है. तो फिर अपनी कल्पना को सच में देखने के […]

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक ऐसा अंतरिक्ष यान लांच करने जा रही है जो देखने में एकदम उड़न तश्तरी की तरह दिखता है.

क़रीब आधी से अधिक शताब्दी से ये विशिष्ट आकार लोगों की सबसे लोकप्रिय कल्पनाओं में शामिल रहा है.

तो फिर अपनी कल्पना को सच में देखने के लिए तैयार हो जाइए. जल्द ही डिस्क के आकार की आकृति आसमान पर मंडराती हुई दिखेंगी.

नासा उड़न तश्तरी के आकार के लो-डेंसिटी सुपरसोनिक डेसिलेरेटर (एलडीएसडी) के परीक्षण की तैयारी कर रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी को उम्मीद है कि एक दिन ये यान मंगल ग्रह पर लैंड करेगा.

उड़न तश्तरी के आकार के यानों को ‘फॉरबिडेन प्लैनेट’ और ‘द डे दि अर्थ स्टुड स्टिल’ जैसी साइंस फिक्शन फ़िल्मों में दिखाया गया था.

उड़न तश्तरी लोगों के दिलोदिमाग पर छाई हुई है और अब ये एक ‘आइकन’ बन गई है.

सबकी पसंद

जबसे यूएफ़ओ (उड़ती हुई अनजान चीज) विशेषज्ञों ने इस तरह की आकृति की तस्दीक की है, तबसे डिजाइनरों ने इस आकृति को पूरी तरह अपना लिया है.

ब्राजील के समकालीन कला संग्रहालय से लेकर फ़ोन और केतली जैसे घरेलू उपकरणों को इस आकृति में ढाला गया.

नॉर्थम्प्टन विश्वविद्यालय में साइंस फैंटेसी और पापुलर कल्चर के विशेषज्ञ माइकल स्टार कहते हैं, "ये एक यूनीवर्सल रूपक बन गया है."

वैसे तो डिस्क के आकार की चीजें आसमान में हमेशा से दिखती रही हैं, लेकिन उड़न तश्तरी को आम लोगों के बीच उस समय मान्यता मिली जब 24 जून, 1947 को पायलट केनेथ ऑर्नोल्ड ने बताया कि उन्होंने वाशिंगटन प्रांत में माउंट रैनियर के पास नौ चमकीले यूएफ़ओ देखे.

ऑर्नोल्ड ने बताया कि ये यूएफ़ओ तश्तरी के आकार के थे. इस ख़बर को अख़बारों में काफ़ी जगह मिली और जल्दी ही समाचार पत्रों ने "उड़न तश्तरी" शब्द को गढ़ लिया.

जल्द ही रॉसवैल और न्यू मैक्सिको सहित कई स्थानों पर इस तरह के यान दिखाई देने की ख़बरें आईं.

माइकल स्टार बताते हैं कि इस तरह की उड़न तश्तरियां पश्चिमी लोगों की कल्पना में आने की एक वजह ये थी कि उन्हें अपने कम्युनिस्ट शत्रुओं से हमले का ख़तरा था.

व्यावहारिकता

स्विटज़रलैंड के मनोचिकित्सक कार्ल जुंग उड़न तश्तरियों के आकार को बौद्ध और हिंदू धर्म के धार्मिक चिन्ह ‘मंडल’ से प्रेरित बताते हैं.

स्टार बताते हैं कि पचास के दशक में साइंस फिक्शन में इस आकार को अपनाने की एक प्रमुख वजह ये रही थी इसका फ़िल्मांकन करना बेहद आसान था. स्टार बताते हैं, "आपको बस एक प्लेट और एक डोरी की ज़रूरत है. व्यावहारिक नज़रिए से ये कमाल का है."

शेफ़ील्ड हैलम यूनिवर्सिटी के डेविड क्लार्क ने अपने जीवन के तीन दशक यूएफ़ओ के अध्ययन में बिताए हैं. क्लार्क बताते हैं, "या तो एलियंस ने अपने विमान के लिए एक ऐसा डिज़ाइन तैयार किया जो हमारी दुनिया की फ़िल्मों के लिहाज़ से फ़िट था या फिर कुछ और ही चल रहा था."

लेकिन डिस्क के आकार की उड़न तश्तरियों को दुनिया भर की सरकारों और सेना ने कोरी कल्पना नहीं माना.

उदाहरण के लिए जर्मनी के इंजीनियर जॉर्ज क्लेन ने सीआईए को बताया कि उन्होंने एक नाज़ी उड़न तश्तरी के लिए काम किया.

सैद्धान्तिक रूप से ये आकार एयरोडायनमिक्स के लिहाज़ से सटीक है. अंतरिक्ष वैज्ञानिक मैगी एडरिन पोकोक ने बताया, "अगर ये हॉरिज़ॉटली हवा के साथ चल रहा है तो बहुत अधिक वायु प्रतिरोध नहीं होना चाहिए." समस्या सिर्फ संचालन प्रणाली को लेकर है.

ऐसे में नासा के इंजीनियरों को उम्मीद है कि एलडीएसडी का परीक्षण सफल होगा.

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