केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में राजस्थान से एकमात्र मंत्री निहाल चंद मेघवाल को चार वर्ष पुराने कथित दुराचार मामले में जयपुर की एक अधीनस्थ अदालत द्वारा समन मिलने से राजनीतिक माहौल गरमा गया है.
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने इस मामले में केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री निहाल चंद मेघवाल के इस्तीफे की मांग की है.
वहीं अब यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसद को दागियों से मुक्त करने की मुहिम के चलते क्या वाकई निहाल चंद को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ेगा?
‘राजनीतिक साजिश’
वैसे वसुंधरा राजे सरकार के वरिष्ठ सदस्य राजेंद्र सिंह राठौर ने एक बयान में कहा, "मेघवाल के खिलाफ जो मुकदमा दर्ज हुआ था, उसकी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में जांच हुई थी और पुलिस ने उस प्रकरण को झूठा माना था. अब यह मामला फिर से उठाया जाना मेघवाल के ख़िलाफ़ राजनीतिक साजिश के अलावा कुछ नहीं है."
जयपुर की एक अधीनस्थ अदालत द्वारा गुरुवार को हरियाणा के सिरसा ज़िले के डबवाली गाँव की एक विवाहिता से दुष्कर्म मामले में निगरानी याचिका पर सुनवाई करते हुए निहाल चंद मेघवाल सहित 17 अन्य लोगों को नोटिस जारी कर 20 अगस्त को पेश होने को कहा है.
पीड़िता की ओर से 2010 में शिकायत दर्ज की गई थी कि उसके पति द्वारा नशीला पदार्थ खिलाकर राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किया गया. पुलिस ने मामला झूठा बताते हुए इसमें 2012 में ‘फ़ाइनल रिपोर्ट’ (एफआर) पेश कर दी थी, जिसे अधीनस्थ अदालत ने मंजूर भी कर लिया था.
मेघवाल के वकील अश्विनी बोड़ा ने बताया, "उनके विरोधी पक्ष ने इस साल फरवरी में पुनर्समीक्षा याचिका पेश की थी पर मेघवाल एवं अन्य को पक्षकार नहीं बनाया गया. इसके ख़िलाफ़ हमने अप्रैल में अपील की जिस पर सुनवाई करते हुए हमें अदालत ने अपना पक्ष रखने का अवसर दिया है. इसमें ‘समन’ जैसी कोई बात नहीं है."
मेघवाल अनुसूचित जाति से हैं और 1995 में पहली बार सांसद चुने गए थे. उस समय उनकी उम्र मात्र 25 वर्ष की थी. मेघवाल चौथी बार राजस्थान के गंगा नगर से सांसद चुने गए हैं.
‘प्रतिनिधित्व का अवसर’
राजस्थान से पूरी 25 लोकसभा सीटें जीतने पर प्रदेश भाजपा को उम्मीद थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में अच्छा प्रतिनिधित्व मिलेगा, लेकिन स्वयं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह, सचिन पायलट को शिकस्त देने वाले राज्य सरकार में मंत्री सांवर लाल जाट और खेल रत्न राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की बजाय गंगानगर सांसद निहाल चंद को मोदी सरकार में जगह मिली.
पार्टी की राजस्थान इकाई के भीतर भी मेघवाल के मंत्री बनने पर लोगों को आश्चर्य हुआ था और मंत्री पद की आस लगाए अन्य लोगों को निराशा हुई थी.
मुख्यमंत्री राजे के लिए भी यह थोड़ी उलझन वाली स्थिति थी क्योंकि इससे पहले संसद में बहुत कम प्रतिनिधित्व होने के बावजूद राजस्थान के ज़्यादा मंत्री बने हैं, चाहे वो केंद्र में भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की.
यह पहला मौका था जब राज्य से भाजपा ने पूरी 25 सीटें जीतीं, लेकिन राज्य को एक ही राज्य मंत्री पद मिला और अब वह भी विवाद के घेरे में आ गया है.
वैसे विधान सभा और हाल ही के लोकसभा चुनाव में भारी हार के सदमे से गुज़र रही राजस्थान कांग्रेस को मेघवाल मामला उछलने से थोड़ी राहत मिली है. खास तौर पर जब हाल ही में कथित 108 एम्बुलेंस घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट समेत सात लोगों पर मामला दर्ज किया गया है.
ग़ौरतलब है कि हाल ही में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के बाद अपने पहले भाषण में मोदी ने संसद को दागी सदस्यों से मुक्ति दिलाने की ज़रूरत पर बल दिया था.
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