सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के चर्चित मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी उर्फ़ आर्यन आर्य मामले में इब्राहिम की पत्नी अंजलि जैन को उनकी इच्छा के अनुरुप माता-पिता के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया है.
इब्राहिम सिद्दीक़ी का कहना है कि उन्होंने अंजलि से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करके हिंदू धर्म अपनाया था और उसके बाद अपना नाम आर्यन आर्य रखा था.
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने अंजलि जैन से उनके विवाह के बारे में पूछताछ की और उनकी इच्छा के अनुरूप उन्हें माता-पिता के साथ रहने की इजाज़त दी.
केरल के ‘हादिया’ केस की तरह कहे जा रहे इस मामले में इब्राहिम सिद्दीक़ी उर्फ आर्यन आर्य ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
उनका कहना था कि उनकी बालिग पत्नी अंजलि जैन की इच्छा के बाद भी हाईकोर्ट ने उन्हें छात्रावास या माता-पिता के साथ रहने का फ़ैसला सुनाया है, जो न्यायसम्मत नहीं है.
इस मामले की सुनवाई करते हुये सुप्रीम कोर्ट ने 27 अगस्त को अंजलि जैन को अदालत में प्रस्तुत करने के निर्देश छत्तीसगढ़ पुलिस को जारी किये थे.
सोमवार को अदालत की सुनवाई के बाद इब्राहिम सिद्दीक़ी उर्फ आर्यन आर्य के वकील ने कहा, "अदालत ने उनके परिजनों को कोर्ट रुम से बाहर भेजकर उनसे पूछा कि वे पति के साथ रहना चाहती हैं या अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती हैं. जिस पर अंजलि जैन ने अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताई."
इधर मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि उन्हें इस फ़ैसले की उम्मीद नहीं थी.
उन्होंने कहा, "मैंने अपनी पत्नी अंजलि के कहने पर ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. लेकिन अंजलि ने किन कारणों से अपने माता-पिता के साथ जाने का फ़ैसला किया, मेरे लिये यह समझ पाना मुश्किल है."
क्या है मामला
छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले 33 वर्षीय मोहम्मद इब्राहिम सिद्दीक़ी और 23 वर्षीय अंजलि जैन ने दो साल की जान-पहचान के बाद 25 फरवरी 2018 को रायपुर के आर्य मंदिर में शादी की थी. इब्राहिम का दावा है कि उन्होंने शादी से पहले हिंदू धर्म अपना लिया था. इसके बाद उन्होंने अपना नाम आर्यन आर्य रखा था.
मोहम्मद इब्राहिम सिद्दकी उर्फ आर्यन आर्य के अनुसार, "शादी की ख़बर जैसे ही मेरी पत्नी अंजलि के परिजनों को मिली, उन्होंने मेरी पत्नी को घर में क़ैद कर लिया. मैंने बहुत कोशिश की कि किसी भी तरह अंजलि से मेरी मुलाकात हो लेकिन यह संभव नहीं हो पाया."
इसके बाद इब्राहिम ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुये न्यायालय से अपनी पत्नी अंजलि जैन को वापस किये जाने की गुहार लगाई.
लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंजलि जैन को सोच-विचार के लिये समय देते हुये छात्रावास में या माता-पिता के साथ रहने का आदेश पारित करते हुये मामले को ख़ारिज कर दिया. अंजलि जैन ने माता-पिता के बजाय छात्रावास में रहना तय किया था.
इसके बाद इब्राहिम ने हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
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