।। दक्षा वैदकर।।
मेरे एक परिचित हैं, जो अपनी बेटी को हरपल आंखों के सामने देखना चाहते थे. उन्होंने बच्ची को घर के नजदीक एक छोटे-से स्कूल में डाल दिया, जहां पढ़ाई न के बराबर होती थी. उन्होंने सोचा कि जब बच्ची थोड़ी बड़ी हो जायेगी, तो उसे किसी अच्छे स्कूल में डाल देंगे. देखते-ही-देखते बच्ची बड़ी होती गयी. उसकी स्कूल में सहेलियां बनती गयीं. स्कूल बहुत निम्न स्तर का था इसलिए पढ़ाई नहीं होती थी, उसके अलावा सहेलियां फालतू बातों पर ज्यादा ध्यान देती थीं.
परीक्षा के दौरान चीटिंग भी होती. अब बच्ची के माता-पिता को गलती समझ आयी. उन्होंने बच्ची को कहा कि तुम्हारा दूसरे स्कूल में एडमिशन करवा देते हैं. बच्ची ने साफ मना कर दिया. सुसाइट की धमकी तक दे दी. उसने कहा कि मैं अपनी सहेलियों को छोड़ कर नहीं जाऊंगी. माता-पिता को बच्ची का भविष्य नजर आ रहा था.
जब बच्ची से मेरी मुलाकात हुई, तो मैंने उसे कुछ दिन अपने साथ घुमाया. अच्छे स्कूल की पढ़ाई-लिखाई में तेज लड़कियों से मिलवाया. ऐसी लड़कियों से मिलवाया जिनका रहन-सहन बहुत अच्छा था, बातचीत का तरीका उन्हें आता था. बच्ची को समझाया कि आनेवाले समय में यहीं लड़कियां बड़े-बड़े पदों पर होंगी, क्योंकि आज वे अच्छे स्कूल में पढ़ रही हैं और अच्छी सहेलियों के साथ हैं. अगर तुमने अपना स्कूल नहीं बदला, तो तुम कभी भी इनके जैसी नहीं बन पाओगी. बच्ची ने बताया कि उसकी इच्छा भी बड़े स्कूल में जाने की है, लेकिन अब उसे डर लगता है.
अगर उन लड़कियों ने उसे अपनाया नहीं. उसका अपमान किया, तो क्या होगा? मैंने उसे समझाया कि अपमान आज नहीं होगा, तो सालों बाद होगा. कभी न कभी तुम्हारा ऐसी लड़कियों से सामना होना ही है. बेहतर होगा कि अभी सामना हो जाये और तुम सीख ले लो. जितनी देर करोगी, उतना तुम्हें सीखने का वक्त कम मिलेगा. दो-तीन दिन की काउंसेलिंग के बाद बच्ची ने स्कूल बदलने के लिए हां कह दिया. आज उस बच्ची का एडमिशन अच्छे स्कूल में हो गया है. अब माता-पिता को उसका बेहतर भविष्य नजर आ रहा है.
बात पते की..
बच्चों का फ्रेंड सर्कल अच्छा होना बहुत जरूरी है. बच्चे जिनके साथ रहते हैं, उन्हीं के जैसे होते जाते हैं. बेहतर है कि उन्हें अच्छे स्कूल में डालें.
बड़े पदों पर बैठे लोगों का इंटरव्यू अगर आप पढ़ेंगे, तो समङोंगे कि सभी ने बहुत अच्छे स्कूलों से पढ़ाई की है. आप भी इस फंडे को फॉलो करें.