डॉक्टर अजीत कुमार राय
धान की खेती मुख्यतया सिंचित भूमि में की जाती है. अत: मिट्टी के लक्षणों को समझना होगा, ताकि धान की अच्छी पैदावर हेतु खाद एवं उर्वरक का प्रबंधन अच्छे ढंग से किया जा सके. धान के खेतों में पानी की अधिकता के कारण विभिन्न प्रकार की विद्युतीय एवं रासायनिक क्रियाएं होती हैं,जो उपयोग किये गये उर्वरकों की उपलब्धता को प्रभावित करती है. यही कारण है कि कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा हमेशा समन्वित उर्वरक प्रबंधन एवं समन्वित फसल सुरक्षा की अनुशंसा की जाती है.
फसलों को संतुलित आहार की आवश्यकता
धान की फसल को अमोनियम उर्वरक एवं ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. इच्छित फसल के लिए हरेक अवस्था में प्रति इकाई उत्पादन वृद्धि के लिए भोजन की निश्चित मात्र की आवश्यकता होती है. इसके साथ-साथ धान की फसलों को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है. कृषि वैज्ञानिक आर्नन ने इसके संबंध में एक सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसके द्वारा यह साबित पाया कि न्यूनतम मात्र में उपस्थित भोज्य पदार्थ सबसे ज्यादा मात्र में पदार्थ की उपलब्धता को प्रभावित एवं सुनिश्चित करता है. जिसे भोज्य पदार्थ की उपलब्धता के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है. अगर हम उपयोग किये उर्वरक के ऊपर नजर डालें तो पायेंगे कि फॉस्फेट एवं पोटाश की उपलब्धता घुलनशीलता एवं तापक्रम के कारण बहुत ज्यादा होती है बशर्ते की धान की जड़ अधिक गहराई तक गयी है. ज्यादा घुलनशील होने के कारण भोज्य पदार्थ मिट्टी के नीचली सतह में जड़ों के प्रभावी क्षेत्र के नीचे जमा रहता है. नाइट्रोजन की भूमिका धान की फसलों में सर्वाधिक है, जिसका उपयोग के पश्चात विभिन्न क्रियाओं के द्वारा मिट्टी से क्षय हो जाती है, जिसमें जल का नीचे की ओर रिसाव, वायुमंडल में उड़ जाना, सतहों पर एक जगह से दूसरे जगह बह जाना एवं डी नाइट्रीफिकेशन प्रक्रिया मुख्य एवं ध्यानाकर्षण है. धान की फसलों में नाइट्रोजन की भूमिका कल्लों की संख्या में वृद्धि, फ्लेग पत्ती की लंबाई एवं चौड़ाई में वृद्धि, बाली की लंबाई में वृद्धि, प्रत्येक बाली में दोनों की लंबाई एवं चौड़ाई में वृद्धि, बाली की लंबाई में वृद्धि, प्रत्येक बाली में दोनों की संख्या के साथ-साथ दानों के भराव को भी सुनिश्चित करता है. इतनी बहुतायत मात्र में नाइट्रोजन, यूरिया के रूप में व्यवहार होने के बावजूद धान की फसलों को मिलने के बजाय ज्यादा बीमारियों एवं कीड़ों को आकर्षित करता है.
धान की फसलों में नाइट्रोजन की इतनी मात्र को प्रत्येक अवस्था में सुनिश्चित करने हेतु कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा बताये गये विभिन्न उपायों जैसे-नीमयुक्त यूरिया, मिट्टी यूरिया, लोहयुक्त यूरिया, प्रील्ड यूरिया आदि को किसानों ने नकार दिया है. इस स्थिति में हमारे पास एक ही उपाय बचा हुआ है कि इसकी उपलब्धता धान के सारे क्रांतिक अवस्था जो उपज में भागीदारी करता है, सुनिश्चित करने के लिए 2.2 प्रतिशत भार/भार ऐरामेटिक नाइट्रोजन का उपयोग किया जाये. यह बूम फ्लावर धान स्पेशल के रूप में उपलब्ध है, जिसमें ढेर सारे वानस्पतिक विटामिन, एमाइनो एसिड एवं अन्य तत्व मिले हुए हैं, जो धान की फसलों की हरेक जरूरत की पूर्ति करता है, उपयोग किये गये उर्वरक की उपयोग क्षमता को बढ़ाता है, साथ ही साथ उपज एवं गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले सभी कारकों को समन्वित करता है. इसके कारण उपज में वृद्धि होती है.
रोग से बचाना अतिआवश्यक
धान फसल के स्वस्थ विकास के बाद समन्वित पौधा संरक्षण की भूमिका अहम होती है, जिसके कारण उपज में 30-90 प्रतिशत तक ह्रास होता है. वैज्ञानिकों की अनुशंसा है कि बायोलोजिकल उत्पाद का उपयोग कर धान फसल की सुरक्षा पूर्व में ही की जा सकती है. जबकि हम रसायनिक दवाओं के द्वारा नुकसान शुरू हो जाने के बाद रोकथाम करते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ‘धान को रोगमुक्त रखना सदा फायदेमंद है रोग लगने के बाद यदि सही समय पर उपचार किया जाय. जिसके तहत धान की फसलों के लिए बूम मोनास पूर्णतया कृषि विज्ञान में अनुशंसित है. बूममोनस में स्युडोमोनास फ्लोरेसेंस 0.5 प्रतिशत अतिप्रभावी रूप में वर्तमान है जो धान की फसलों में लगने वाले विभिन्न प्रकार के फफूंद एवं बैक्टेरियल रोगों जैसे सुरक्षा प्रदान करती है यानी कहें तो रोगों से मुक्त रखता है.
धान फसल की उपज को बढ़ाता है बूमफ्लावर राइस स्पेशल
यह उत्पाद धान के लिए उपयोगी है. यह अद्वितीय ताकत प्रदान करने वाला एवं उपज वृद्धिकारक है इससका उपयोग अगर धान के क्रांतिक अवस्थाओं में किया जाये तो उपज में चमत्कारी वृद्धि होती है. अंत:प्रवाही एवं पत्तियों की लेमीना से प्रविष्ट होने वाले सिद्धांत कर कार्य करता है. यह पत्तियों के द्वारा प्रविष्ट होने के बाद पौधों के प्रत्येक भागों में तुरंत पहुंचता है. जड़ों की फैलाव में वृद्धि करते हुये अवांछित फलों को झड़ने से रोकता है. यह उतपाद दानों के भराव का बढ़ाता है, एवं फसल जल्दी तैयार करने में मदद करता है. यह ए तरह से पर्यावरण मित्र उत्पाद है एवं कृषि उपयोग के लिये पूर्णतया सुरक्षित है. देवी क्रॉप साइंस प्राइवेट लिमिटेड ने इस उत्पाद को किसानों के हित में यह उत्पाद बनाया है.
बूम मोनास रोग से बचाता है
यह एक तरह से बायोलेजिकल उत्पाद है जो धान की फसल में लगने वाले रोग को खत्म करता है. यह पानी में घुलनशील पाउडर की संरचना में में बना हुआ है. जिसमें स्युडोमोनास की अति प्रभावी प्रजाति वर्त्तमान में है जो धान की फसलों को विभिन्न प्रकार के फफूंद व बैक्टेरिया से होने वाले बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है. इसकी अधिक गुण क्षमता एवं अतिप्रभावी होने के काण यह कृषि वातावरणों के लिये उपयुक्त है. यह धान में लगने वाले रोग ब्लास्ट, शीथ ब्लास्ट एवं बैक्टेरियल झुलसा आदि से सुरक्षा प्रदान करता है. यह एक पर्यावरण मित्र है. ससका अवशेष उत्पादित अनाज व मिट्टी में नहीं रहता है. इसके सही समय पर छिडकाव के तुरंत बाद फसल कटाई एवं जुताई की जा सकती है.
रोपनी के 20 दिन बाद कल्ला निकलने की अवस्था में दो किमी प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करना चाहिए.इस अवस्था में उपयोग करने से मिट्टी के नीचे एवं ऊपर के विकास को संतुलित करते हुए जड़ों की गहराई एवं फैलाव को बढ़ता है, जिससे पौधे पदार्थ ग्रहण कर पाते हैं. इस स्थिति में प्रभावी कल्ले ज्यादा निकलते हैं, जिसमें बाली का लगना निश्चित रहता है.
रोपनी के 40 दिन बाद भी अवस्था-बाली निकलने की पूर्व अवस्था में दो मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. जिससे प्रत्येक कल्लों में बाली निकलना सुनिश्चित हो पायेगा. फ्लेग पत्ती की लंबाई एवं चौड़ाई में वृद्धि होती है.
रोपनी के 60 दिन बाद भी अवस्था बाली निकलने की अवस्था में दो मिली पानी में मिलाकर छिड़काव करने से बाली में स्पाइक की संख्या में वृद्धि एवं बाली की ल में वृद्धि करता है.
रोपनी के 80 दिन बाद की अवस्था-दाना भरने की अवस्था दो मिली पानी में मिला कर छिड़काव करने से दानों की भराव को सुनिश्चित करता है जिससे खाली दानों की संभावना नहीं रहती है.
यह प्रत्यक्षण के द्वारा पाया गया है कि धान के इन अवस्थाओं में सामायिक बूम फ्लावर धान स्पेशल के उपयोग से उपज में 28 प्रतिशत की वृद्धि का आकलन किया गया है. अब अगर हम बूम फ्लावर धान स्पेशल के उपयोग पर प्रति इकाई रुपया खर्च के विरुद्ध आमदनी का आकलन करें तो पायेंगे कि 28 प्रतिशत का उपज में वृद्धि सात क्विंटल प्रति एकड़ होगी जिसका कीमत समर्थन मूल्य के हिसाब से 10500 रुपये होगी. अगर हम बूम फ्लावर धान राइस स्पेशल की चार बार उपयोग 250 मिली प्रति एकड़ की दर से एवं मजदूरी का आकलन करें तो पायेंगे एक लीटर बूम फ्लावर धान स्पेशल की कीमत 600 रुपये एवं चार-बार स्प्रे करने में मजदूरी करीब 600 रुपये होगी. कुल खर्च 1260 रुपया प्रति एकड़ आयेगा.अगर हम प्रति रुपया बूम फ्लावर राइस स्पेशल के खर्च के विरुद्ध आमदनी का अनुपात देखें तो प्रति रुपया खर्च पर करीब 7.5 रुपया का मुनाफ एवं स्वस्थ एवं गुणवत्ता वाली फसल निश्चित है.
उपयोग इस प्रकार करें
बीजोपचार-10 ग्राम प्रति किलो बीज
जड़ का डुबोना-10 ग्राम प्रति लीटर पानी
मिट्टी में व्यवहार-एक किलोग्राम प्रति एकड़
पत्ती पर छिड़काव-पांच ग्राम प्रति लीटर पानी
समय पर सही तरीके व मात्र में उपयोग करने से
फसल की पैदावार उम्मीद से अधिक होगी