इंिडयनस्वाद
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लज्जतदार जायके लेकर आयी ईद
इंिडयनस्वाद रमजान का महीना एक-दूसरे के साथ मिल-बांटकर खाने और जरूरतमंदों का अभाव दूर करने में हाथ बंटाने के लिए दीन-ईमान वालों को प्रेरित करने का काम करता है. इसलिए ईद के मौके पर मेजबान यथासंभव अपने सामर्थ्य के अनुसार मेहमानों की खातिरदारी खुले हाथ से और दरियादिली से करते हैं. इस खातिरदारी में कहां […]
रमजान का महीना एक-दूसरे के साथ मिल-बांटकर खाने और जरूरतमंदों का अभाव दूर करने में हाथ बंटाने के लिए दीन-ईमान वालों को प्रेरित करने का काम करता है. इसलिए ईद के मौके पर मेजबान यथासंभव अपने सामर्थ्य के अनुसार मेहमानों की खातिरदारी खुले हाथ से और दरियादिली से करते हैं. इस खातिरदारी में कहां कौन से जायके परोसे जाते हैं, उनके बारे में बता रहे हैं खान-पान और व्यंजनों के माहिर प्रोफेसर पुष्पेश पंत…
इस्लाम धर्म में हर साल आनेवाला ईद का त्योहार रमजान के पाक महीने के अंत में मनाया जाता है. महीनेभर लगातार उपवास रखकर सवाब (पुण्य) हासिल करने के बाद यह स्वाभाविक ही है कि रोजों का समापन स्वादिष्ट व्यंजनों से किया जाये. रोजे रखे जाते हैं कि व्यक्ति अपने संयम को और आत्मानुशासन को कड़ी कसौटी पर कस सके. इनका एक मकसद यह भी है कि साधन संपन्न इंसान उन वंचितों की व्यथा को महसूस कर सके, जो कि अपनी क्षुधा पूर्ति करने में असमर्थ रहते हैं. मिल-बांटकर खाने और दूसरों का अभाव दूर करने में हाथ बंटाने के लिए दीन-ईमान वालों को प्रेरित करने का काम भी रमजान का महीना करता है. इसलिए ईद-उल-फितर के मौके पर मेजबान यथासंभव अपनी सामर्थ्य के अनुसार मेहमानों की खातिरदारी खुले हाथ से और दरियादिली से करते हैं.
ईद के साथ जुड़े बहुत सारे व्यंजन वह हैं, जो रमजान पर रोजे खुलने के बाद इफ्तार की दावतों की दस्तरख्वान सजाते हैं. तरह-तरह के कबाब, कोरमे, बिरयानी का साथ देते हैं मीठे पकवान- शीर कोरमा, सेवइयां, फिरनी, पकौड़ियां तथा मालपुए. कोशिश यह रहती है कि स्वाद की विविधता के साथ खाने की चीजों की रंगत और सुगंध में भी विविधता रहे.
हिंदुस्तान के मुख्तलिफ सूबों में स्थानीय जुबान पर चढ़े जायके के अनुसार, ईद की दावत के व्यंजन बदलते रहते हैं. लखनऊ में गलौटी, काकोरी और तवे पर सिके शामी कबाब और यखनी पुलाव लुभाते हैं, तो हैदराबाद में दम की बिरयानी के साथ जुगलबंदी करते हैं पत्थर कबाब. अवध के कोरमे में मुर्ग और मछली को अहमियत दी जाती है, तो हैदराबाद या भोपाल में बकरी के गोश्त से तैयार किये जानेवाले कोरमों को. भोपाल तथा रामपुर में अफगानी रुहिल्ला खाने की छाप गहरी है अर्थात यहां रोगन, मिर्ची पर जोर रहता है. टिक्का बोटी और रोस्ट मुर्ग दिल्ली में भी कम लोकप्रिय नहीं.
बंगाल में ईद पर मछली के अनेक प्रकार चखने को नहीं छखने को मिलते हैं. बकरे का मुसल्लम आजकल देखने को कम मिलता है, परंतु ईद पर मुर्ग-मुसल्लम अक्सर नजर आ जाता है. केरल में मछली की बिरयानी बनायी जाती है और वहां पर कोरमे से ज्यादा चाव से खायी जानेवाली चेमीन करी यानी झींगे की मसालेदार तरी अधिक लोकप्रिय है. कश्मीर में वाजवान अपने पूरे निखार पर ईद पर ही होता है. जाने कितने किस्म की रोटियां नानबाई के यहां से बनवाकर ईद के मौके पर खायी-खिलायी जाती हैं- बाकरखानी, शीरमाल, खमीरी, कुल्चे, ताफ्तान, रोगनी, रूमाली, मलाभार पराठा वगैरह.
इन तमाम जायकों के बीच यहां याद रखने लायक बात एक और है- मुसलमानों के जो विभिन्न समुदाय हैं, जैसे शिया, सुन्नी, बोहरा, इस्माइली आदि, उन सभी के अपने-अपने व्यंजन हैं, जो ईद पर नमूदार होते हैं.
सेवइयों के ही जाने कितने प्रकार ईद पर तैयार किये जाते हैं! साथ ही, गरमी के दिनों में शरबतों की इंद्रधनुषी बहार कम आकर्षक नहीं होती.
अंत में, यह न समझें कि ईद के खाने पर सिर्फ मांसाहारी भोजन ही खाये-खिलाये जाते हैं. शाकाहारी मित्रों-मेहमानों की खातिरदारी मिठाइयों और शुद्ध निरामिष पकवानों से ही की जाती है. पुए जैसे गुलगुले हों, रसमलाई, फिरनी हो या मालपुए, हलवे हों या सेवइयों की खीर या मुजाफर, इन सबका आनंद सभी समान रूप से ले सकते हैं.
ईद मुबारक!
रोचक तथ्य
ईद पर लखनऊ में गलौटी, काकोरी और तवे पर सिके शामी कबाब और यखनी पुलाव लुभाते हैं, तो हैदराबाद में दम की बिरयानी के साथ जुगलबंदी करते हैं पत्थर कबाब.
अवध के कोरमे में मुर्ग और मछली को अहमियत दी जाती है, तो हैदराबाद या भोपाल में बकरी के गोश्त से तैयार किये जानेवाले कोरमों को.
केरल में मछली की बिरयानी बनायी जाती है और वहां पर कोरमे से ज्यादा चाव से खायी जानेवाली चेमीन करी यानी झींगे की मसालेदार तरी अधिक लोकप्रिय है.
पुष्पेश पंत
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