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नगर पंचायत कार्यालय में कर्मियों की कमी

सिमडेगा : नगर पंचायत को शहरी क्षेत्र की साफ-सफाई का जिम्मा है. हर प्रकार की सुविधा शहर को मुहैया कराने की जिम्मेवारी दी गयी है. किंतु नगर पंचायत कार्यालय 1971 से लेकर आज तक कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है. नगर पंचायत कार्यालय में सिर्फ कार्यपालक पदाधिकारी का ही पद सृजित है. इसके अलावा […]

सिमडेगा : नगर पंचायत को शहरी क्षेत्र की साफ-सफाई का जिम्मा है. हर प्रकार की सुविधा शहर को मुहैया कराने की जिम्मेवारी दी गयी है. किंतु नगर पंचायत कार्यालय 1971 से लेकर आज तक कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है. नगर पंचायत कार्यालय में सिर्फ कार्यपालक पदाधिकारी का ही पद सृजित है.

इसके अलावा अन्य किसी भी कर्र्मी के लिये पद का सृजन नहीं किया गया है. कार्यालय में वर्तमान समय में कुल 12 कर्मचारी काम कर रहे हैं. सभी को दैनिक मानदेय के आधार पर रखा गया है.

कर्मचारियों में काम करने की क्षमता कम है. कर्मचारियों को कभी भी किसी भी काम के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया. नगर पंचायत कार्यालय भवन की पूर्व स्थिति पुरी तरह से जर्जर थी. एक ही कमरे में किसी प्रकार कार्यपालक पदाधिकारी तथा अन्य कर्मचारी बैठते थे. किंतु 2008 के बाद नगर पंचायत का चुनाव हुआ. चुनाव के बाद बोर्ड द्वारा नगर भवन निर्माण की स्वीकृति दी गयी. 2013 में जीत कर आये सभी जनप्रतिनिधि नये भवन में कार्यालय चला रहे हैं.

राजस्व बढ़ाने का निर्देश : नगर विकास विभाग द्वारा नगर पंचायत को निर्देश दिया है कि वे अपना राजस्व बढ़ायें तथा इसी आधार पर शहरी क्षेत्र का विकास करें. नगर पंचायत को स्वावलंबी बनाने को कहा गया है. इधर वार्षिक आमदनी सिर्फ सफाईकर्मी तथा कार्यालय कर्मी को मानदेय देने में ही समाप्त हो जाता है. पिछले वर्ष नगर पंचायत की वार्षिक आय लगभग 21 लाख, 88 हजार, 778 रुपये थी. जबकि कार्यालयकर्मी एवं सफाईकर्मी के मानदेय मद में 21 लाख 80 हजार 448 रुपये खर्च हुआ.

नगर पंचायत को नहीं मिल रहा अधिकार : सरकारी उदासीनता के कारण नगर पंचायत को उसका अधिकार नहीं मिल रहा है. चुनाव हो जाने के बाद नगर पंचायत क्षेत्र में आने वाले सभी सैरात को नगर पंचायत के अधीन किया जाना चाहिण् था, किंतु सरकार की उदासीनता के कारण चुनाव के पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं को सका.

नगर पंचायत क्षेत्र में स्थित गांधी मैदान, सब्जी मार्केट, मार्केट कांप्लेक्स तथा साप्ताहिक हाट का राजस्व वसूलने की जिम्मेवारी नगर पंचायत कार्यालय को मिलनी चाहिए. नगर पंचायत बोर्ड द्वारा पूर्व में कई बार उक्त सैरातों को नगर पंचायत के अधीन करने की मांग की गयी, किंतु नगर विकास विभाग तथा सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं हुआ. जिसका खामियाजा आज नगर पंचायत क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है.

राजस्व की बढ़ोतरी के बाद विभाग द्वारा नगर पंचायत क्षेत्र का समुचित विकास कर सकता है. नगर पंचायत को अधिकार दिलाने के नाम पर विधायक व सांसद ने भी अब तक कोई पहल नहीं की. हालांकि वे अधिकार जताने में पीछे नहीं रहते हैं.
– रविकांत साहू –

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