<p><strong>जब मैंने पहली बार अपने कपड़े उतारे थे</strong><strong>, </strong><strong>तो मेरी आंखों में आंसू आ गए थे. लेकिन मैंने इन आंसुओं के साथ ही अपने कपड़े उतार दिए. </strong></p><p>मेरी कहानी मुंबई के महालक्ष्मी इलाक़े की झुग्गी बस्ती से शुरू हुई थी. मैं अपने दो भाइयों और चार बहनों समेत अपने परिवार के साथ चेन्नई से मुंबई आई थी. </p><p>मेरे घरवाले अशिक्षित थे और कूड़ा बीनने जैसे छोटे-मोटे काम करके पैसे कमाते थे. कभी कभी तो हमें सड़कों पर भीख़ मांगने के लिए भी भेज दिया जाता था.</p><p>फिर कुछ दिन बाद हम लोग धारावी की बस्ती में शिफ़्ट हो गए. कुछ दिनों के लिए हम लोग मातुंगा श्रमिक शिविर के नगर निगम के स्कूल में भी गए. </p><p>हमारी मां हमें कुछ घरों में चौका-बर्तन करने भी भेजती थीं. ग्रांट रोड पर स्थित निशा सिनेमा के सामने हम चावल, करी और तली हुई मछली भी बेचा करते थे. </p><p>ऐसे में मेरे बचपन का सबसे बड़ा आकर्षण फिल्में बन गईं. </p><p><strong>'</strong><strong>शोले मेरी ज़िंदगी की पहली फिल्म</strong><strong>'</strong></p><p>हमने जो फिल्म सबसे पहले देखी वो शोले थी. मेरे घरवालों को भी ये फिल्म बहुत पसंद आई और हमने ये फिल्म चार बार देखी. </p><p>जब मैं 12 साल की थी तब मैं माहिम इलाके के एक मुस्लिम परिवार के यहां काम करती थी. मेरे पिता शराब के नशे में मेरी मां को पीटा करते थे. </p><p>जब मैं काम कर रही होती थी तो मेरी मां उसी घर पर आकर अक्सर रोया करती थी. आखिरकार मुझे काम से निकाल दिया गया. </p><p>इस बीच मेरे बड़े भाई-बहनों की शादी हो गई और मेरी मां को मेरी शादी की चिंता सताने लगी. </p><p>उस समय मणि नाम का एक आदमी अक्सर घर आने लगा. वह मुझसे 10-12 साल बड़ा था. लेकिन मेरी मां उसे जानती थीं. और मेरे घरवालों ने मेरी शादी इस आदमी से कर दी. शादी के वक़्त मेरी उम्र मात्र 14 साल थी. </p><p>मैंने अपने दोनों भाइयों को भी खो दिया, एक भाई नशे का शिकार हो गया तो दूसरा भाई रेल दुर्घटना में मारा गया. </p><p>मेरी बहन बच्चों को छोड़कर कहीं चली गई. ऐसे में मैं अपने भाइयों और बहन का ख़्याल रख रही थी. लेकिन मेरे पति इससे खुश नहीं थे और वह मेरा उत्पीड़न किया करते थे. वह मुझसे पैसे लेकर शराब पीते थे. </p><p>फिर मेरी ज़िंदगी में एक ऐसा दिन भी आया जब मेरी मां ने पिता के अत्याचारों से तंग आकर आत्महत्या कर ली. </p><h1>’लोग मेरा शरीर चाहते थे'</h1><p>जब मेरा बड़ा बेटा बस छह साल का ही था तब मैं दूसरी बार गर्भवती हो गई. लेकिन इसी दौरान मेरे पति की मौत हो गई. और मैं बहुत ही कम उम्र में एक विधवा बन गई. इसके बाद बच्चों की पूरी ज़िम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई. </p><p>तब मैं काम की तलाश में भटक रही थी. मैं सुंदर दिखती थी और कई लोग बुरी नज़र के साथ मुझे घूरा करते थे. वह मुझे काम देने के लिए तैयार थे लेकिन वह मेरा इस्तेमाल करना चाहते थे. मुझे ये पसंद नहीं आया और मैंने कभी ऐसे प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए. </p><h1>’तुम्हारा फिगर अच्छा है'</h1><p>मुझे याद है कि मैं जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट में काम करने वाली एक महिला राजम्मा को जानती थी. मैं उससे अक्सर काम मांगने की कोशिश किया करती थी. वह मुझे बताती थीं कि वह जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में सफाई वाली के रूप में काम करती थीं. </p><p>एक बार काम की तलाश में मैं जब जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट पहुंची तो मुझे राजम्मा कहीं दिखाई नहीं दीं. मैंने बहुत कोशिश की लेकिन वह मुझे नहीं मिलीं. तभी मैं एक क्लास के सामने पानी पीने के लिए रुकी और कमरे के अंदर झांकने की कोशिश की. वहां पर मुझे राजम्मा के पैर दिखाई दिए. तभी एक छात्र ने मुझसे पूछा कि मुझे क्या चाहिए. </p><p>मैंने जवाब दिया कि मैं राजम्मा को तलाश कर रही हूं. वह मुझे कमरे के अंदर ले गया और मैं चौंक गई. क्योंकि वहां राजम्मा पूरी तरह से नग्न अवस्था में खड़ी थीं. </p><p>राजम्मा मुझे देखते ही चिल्लाईं, "यहां क्या कर रही हो." </p><p>मैंने कहा, "राजम्मा मैं काम की तलाश में यहां पर आई थी लेकिन तुम ये कैसा काम कर रही हो."</p><p>राजम्मा ने कहा कि अब तुमने ये देख लिया है तो तुम भी ये काम कर सकती हो, भूखे मरने से बेहतर है कि ये काम करो. लेकिन मैंने मना कर दिया. </p><p>हम बात ही कर रहे थे कि तभी दो अध्यापक क्लास में आए और उन्होंने राजम्मा से पूछा कि अगर मैं ये काम कर सकती हूं. </p><p>राजम्मा ने कहा – हां, ये यह काम कर सकती है. राजम्मा ने मुझे बताया कि काम की बात हो गई है. </p><p>मैंने इस बारे में सोचना शुरू कर दिया लेकिन राजम्मा ने कहा, ‘पहले काम करो फिर सोचना शुरू करो. तुम अगर नग्न अवस्था में बैठोगी तो तुम्हें 60 रुपए मिलेंगे और अगर कपड़ों के साथ बैठोगी तो 50 रुपए मिलेंगे. तुम्हारा फिगर अच्छा है, तुम्हें हर क्लास में काम मिलेगा."</p><h1>जब मैं पहली बार नग्न हुई</h1><p>मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी. मैंने पूछा, ‘यहां कोई परदा नहीं हैं.'</p><p>राजम्मा ने मुझसे कहा, "तुम्हें परदे की जरूरत क्यों है. ज्यादा सोचो मत. बस कपड़े उतारो और कुर्सी पर रख दो." </p><p>मैं रोने लगी. </p><p>उन दिनों मेरा बेटा दो साल का था और मैं उसे स्तनों से दूध पिलाती थी. ऐसे में मेरे स्तनों का आकार बड़ा था. मैं बहुत शर्मिंदा थी. लेकिन वहां मौजूद छात्र मुझे समझा रहे थे. वह कह रहे थे कि मैं चिंता न करूं.</p><p>मैंने किसी तरह अपने कपड़े उतारे और बैठ गई. जब छात्र मेरी तस्वीर बना रहे थे तब मेरे स्तनों से दूध बाहर निकलने लगा. मैं वहीं देख रही थी और साफ कर रही थी. छात्रों को मेरी समस्या समझ आ गई. उन्होंने मुझे आधे दिन में ही घर जाने को कह दिया और अगले दिन आने को कहा. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-41443067">फ़्रांस में मिला ‘मोनालिसा का न्यूड स्केच'</a></p><p><strong>60 रुप</strong><strong>ए</strong><strong> से 1000 रुप</strong><strong>ए</strong><strong> तक का सफर</strong></p><p>जेजे स्कूल में सभी लोग राजम्मा का सम्मान करते थे. छात्र उनके सम्मान में उनके पैर छुआ करते थे. लेकिन मैं नई थी और कोई मेरे पैर नहीं छू रहा था. </p><p>लेकिन कुछ दिनों के बाद मैं छात्रों के साथ घुलमिल गई. मैं उनसे बातचीत करने लगी. मैं उनके काम के बारे में बहुत कुछ सीख रही थी. अब मैं बीते 25 सालों से ये काम कर रही हूं. </p><p>अब मैं एक न्यूड पेंटिंग के लिए 1000 रुपए लेती हूं और कपड़ों के साथ वाली पेंटिंग के लिए 400 रुपए लेती हूं. मैं इस काम में नई मॉडल्स को भी लेकर आ रही हूं और उन्हें ट्रेनिंग देना मेरी ज़िम्मेदारी है.</p><p>कई कलाकार मेरा सम्मान करते हैं और सम्मान में मेरे पैर छूते हैं. मैंने कई कलाकारों के साथ काम किया है. और उन्होंने मेरी बहुत मदद की है. कभी किसी कलाकार ने मेरी ओर बुरी नज़र से नहीं देखा. कभी-कभी मैं ऐसे कलाकारों का काम देखने के लिए गैलरी भी जाती हूं. जेजे स्कूल के जॉन डगलस ने मेरी बहुत मदद की. </p><p>मराठी फिल्म न्यूड के निर्देशक रवि जाधव और कल्यानी मूले बहुत अच्छे लोग हैं. एक बार वह आए और बताया कि ‘न्यूड’ फिल्म मेरी ही कहानी पर आधारित है. </p><p>पिछले महीने जब इस फिल्म में मेरा किरदार निभाने वाली अभिनेत्री कल्याणी जेजे स्कूल आईं तो लोगों ने कल्याणी से ज़्यादा मेरे लिए तालियां बजाईं. ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खुशनसीब पल था. </p><p>हालांकि, इतने सालों तक ये काम करने के बाद मैंने बहुत सम्मान पाया लेकिन हमारी आर्थिक स्थिति अभी भी बहुत बेहतर नहीं है और हमारे पास अभी भी अपना घर नहीं है. </p><p><strong>(बीबीसी मराठी सेवा के लिए पत्रकार प्रशांत नानवारे के साथ बातचीत पर आधारित)</strong></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-42348287">’न्यूड सीन नहीं दिया तो फ़िल्म बंद'</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong> और </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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‘मैं पैसे के लिए न्यूड मॉडल बनी’
<p><strong>जब मैंने पहली बार अपने कपड़े उतारे थे</strong><strong>, </strong><strong>तो मेरी आंखों में आंसू आ गए थे. लेकिन मैंने इन आंसुओं के साथ ही अपने कपड़े उतार दिए. </strong></p><p>मेरी कहानी मुंबई के महालक्ष्मी इलाक़े की झुग्गी बस्ती से शुरू हुई थी. मैं अपने दो भाइयों और चार बहनों समेत अपने परिवार के साथ चेन्नई से मुंबई […]
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