।। दक्षा वैदकर।।
देव और संजय एक ही डिपार्टमेंट में काम करते थे. ऑफिस में दोनों का काम एक ही था. दोनों मिल-जुल कर उस काम को पूरा करते थे. दोनों के पास ही ढेर सारा काम था. इसके बावजूद वे दोनों हंसते-हंसते इसे पूरा करते. बीच-बीच में चाय पीने जाते, थोड़ी बातें करते, कभी अपने अनुभव बांटते.
एक दिन संजय ने बताया कि उसे करीब 10 दिन के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. बहुत जरूरी काम है. देव और संजय ने अपने बॉस को यह बात बतायी. बॉस ने कहा कि अभी मैं देव की मदद के लिए किसी भी सहयोगी को अपॉइंट नहीं कर पाऊंगा. बेहतर होगा कि तुम अकेले ही संजय का काम भी कुछ दिन देख लो. देव के हाथ-पैर फुल गये. उसके चेहरे से मुस्कुराहट गायब हो गयी. जैसे-जैसे संजय के छुट्टी पर जाने के दिन नजदीक आने लगे, वह तनाव में दिखने लगा. आखिरकार वह दिन आ ही गया.
संजय छुट्टी पर चला गया. देव ने रात को बैठ कर अब अपनी नयी दिनचर्या बनायी. उसने पता लगाया कि वह कहां-कहां समय बरबाद करता है और किस तरह स्मार्ट वर्किग से वह कम समय में अधिक काम कर सकता है. उसने अपने ऑफिस जाने के वक्त को एक घंटा पहले कर दिया और ऑफिस से घर आने के वक्त को एक घंटा बढ़ा दिया. इस तरह उसने दो घंटे बढ़ा लिये. अब उसने दोस्तों से कह दिया कि मैं 10 दिन तक व्हॉट्स एप्प, मैसेज या फेसबुक पर कम नजर आऊंगा. बातचीत नहीं कर पाऊंगा. अब जब देव ने दूसरे दिन काम करना शुरू किया, तो उसने पाया कि वह बड़ी आसानी से खुद का और संजय का दोनों का काम कर पा रहा है. उसे यह भी पता चला कि किस तरह वह चैट और फेसबुक में खासा समय बरबाद कर देता था. देव खुशी से भर गया. उसने टाइम मैनेजमेंट और स्मार्ट वर्किग से 10 दिन काम अकेले संभाल लिया.
जब छुट्टी से संजय वापस आया और उसने चाय पीते हुए कहा कि ‘मेरी वजह से तुम्हें अधिक काम करना पड़ा..’ देव ने हंसते हुए कहा, ‘आज तुम्हारी वजह से ही मुङो अपने अंदर छिपी ताकत का पता चला है.
बात पते की..
दोस्तों, कई बार कठिन परिस्थितियां आना भी अच्छा होता है. ऐसी स्थिति में ही हमारे अंदर से बेस्ट चीजें निकल कर बाहर आती हैं.
कई बार हम खुद नहीं जान पाते कि हमारे अंदर कितनी खूबियां छिपी हुई हैं. साथ ही कहां-कहां हम अपना वक्त बरबाद कर रहे हैं.