मध्यप्रदेश के इंदौर में तीन माह चार दिन की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामलें में कोर्ट ने दोषी अजय गड़के को फांसी की सजा सुनाई है.
केंद्र सरकार ने पॉस्को क़ानून में जो बदलाव किया है उसके बाद देश में यह पहला फैसला है जिसमें फांसी की सज़ा सुनाई गई है.
केंद्र सरकार ने पॉस्को क़ानून में संशोधन कर 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों के खिलाफ मौत की सजा के कानून को मंजूरी दी है.
इस नए क़ानून में अगर बलात्कार के मामले में लड़की की आयु 12 साल से कम होगी, तो बलात्कारी को मौत की सजा होगी.
इंदौर का यह मामला अपने आप में कई तरह से अलग है.
इसमें जज वर्षा शर्मा ने लगातार सात दिनों तक सात-सात घंटे केस की सुनवाई कर इसे 21वें दिन ही पूरा कर लिया और 23वें दिन फैसला सुना दिया.
रेप का मामला
अपर सत्र न्यायाधीश वर्षा शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त ने जिस तरह जघन्य और क्रूरतापूर्वक पशुवत कृत्य किया है, उसे देखते हुये अपराधी को अधिकतम दंड देना उचित है, ताकि समाज में ऐसी घटनाओं की पुरावृत्ति न हो.
घटना इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र की है जहां यह बच्ची अपने माता-पिता के साथ 20 अप्रैल को सो रही थी.
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक़ अभियुक्त सुबह 4 बजे बच्ची को उठाकर ले गया उसके बाद उसने बच्ची के साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी.
बच्ची का शव करीब में एक बेंसमेंट से मिला. बच्ची का शव मिलने के बाद पांच दिन में चालान तैयार कर आठवें दिन उसे पेश कर दिया गया. इस मामलें में कुल 29 लोगों की गवाही की गई.
जिला अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख ने बताया, "न्यायालय ने इसमें विशेष टिप्पणी की. यह 3 महीने और 4 दिन की बच्ची के साथ किया गया रेप का मामला था. और इसमें पिशाची प्रवृत्ति के इस आरोपी ने इस अपराध को करने में हद पार कर डाली. अगर इसे दंडित नही किया गया तो समाज पर इसका ग़लत असर पड़ेगा इसलिए इसे फांसी की सज़ा दी जा रही है."
https://twitter.com/ChouhanShivraj/status/995240246471081984
फांसी की सजा
कोर्ट ने आरोपी को दोहरी फांसी की सजा सुनाई. कोर्ट ने रेप के मामले में धारा 376 (क) के तहत फांसी की सजा, हत्या के मामले में धारा 302 के तहत फांसी की सजा और पांच हजार रुपए जुर्माना लगाया है. इसके अलावा अन्य धाराओं में पांच साल से उम्रकैद तक की सजा सुनाई है.
फैसले के बाद बच्ची के माता-पिता उसके लिये जल्द से जल्द फांसी चाहते है.
बच्ची की मां ने कहा, "हम इसके लिये जल्द से जल्द फांसी चाहते है और उसे उसी तरह से तड़पाकर मारा जाना चाहिये जिस तरह से उसने हमारी बेटी को तड़पाकर मारा है."
वही कोर्ट के फैसले का स्वागत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी किया है.
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उन्होंने कहा, "हमें यह तक़लीफ तो हमेशा रहेंगी के बेटी के साथ अन्याय हुआ था. लेकिन अब मन में संतोष है कि ऐसे दरिंदे को रिकार्ड समय में फांसी की सज़ा हुई है. अपराधियों के दिल में जब तक ख़ौफ पैदा नही होगा. तब तक वो डरेंगे नही अपराध करने में. इसलिये मध्यप्रदेश विधानसभा ने यह कानून पास किया था कि मासूम बिटियों के साथ कोई दुराचर करे तो फांसी की सज़ा होना चाहिये. इसलिये आज मन में यह संतोष है कि दुराचारी को फांसी की सज़ा मिली है."
यह फैसला आ जाने के बाद अब यह मामला हाईकोर्ट जायेंगा. अगर हाईकोर्ट भी इस सजा को बरक़रार रखती है तो आरोपी सुप्रीम कोर्ट जा सकता है. अगर सुप्रीम कोर्ट में भी फैसला न बदलता है तो आरोपी राष्ट्रपति के पास दया की अपील कर सकता है.
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