सोनो : प्रखंड में पिछले कुछ माह से अधिकांश मनरेगा मजदूरों को मनरेगा में काम नहीं मिल रहा है. मजबूरन ये मजदूर अन्यत्र काम कर रहे हैं. मजदूर दिवस इन मजदूरों के लिए खास मायने नहीं रखता. मजदूरों के हित की बात करने वाला यह मजदूर दिवस महज एक दिन बन कर रह गया है. मजदूरों को इस दिन के महत्व को लेकर जानकारी नहीं है. सबसे निचले स्तर पर मजदूरी कर रहे इन लोगों को बस दो जून की रोटी की व्यवस्था ही एक मात्र चिंता है.
बलथर पंचायत के नावाडीह निवासी मनरेगा मजदूर राम सहाय मांझी, चपठा मांझी, चुरामन मांझी, मशीन मांझी, नेपाली मांझी, खुसर मांझी आदि कई मजदूरों को बीते कुछ माह से मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है. पंचायत के मुखिया की मानें तो मनरेगा कार्यालय से आवंटन नहीं मिलने की बात की जाती है. इस संदर्भ में कार्यक्रम पदाधिकारी कुमार सुंदरम ने भी स्वीकार किया कि फंड को लेकर परेशानी थी जो अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. इस भीषण गरमी में मनरेगा योजना द्वारा लगवाये गये पौधों की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है. सूत्र की मानें तो कई माह से पटवन करने वाले मजदूर को भी राशि नहीं मिली है.
कुछ पंचायत में पूर्व के आये राशि से मार्च तक मनरेगा में कार्य किया जा सका. परंतु अधिकतर पंचायतों में आवंटन के अभाव में मनरेगा कार्य ठप्प है. जिसका सीधा प्रभाव मनरेगा मजदूरों पर पड़ रहा है. जानकारों की मानें तो जिला में राशि उपलब्ध है परंतु पूर्व के कार्यो की उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं होने के कारण भी वैसे पंचायतों को राशि नहीं भेजी जा रही है. उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रखंड स्तर से भेजने में कोताही बरतने जाने का अनुमान है. दरअसल कमीशनखोरी की खींचातानी से भी मनरेगा योजना का संचालन प्रभावित हो सकता है. जो भी हो इस खींचातानी से बेचारे मजदूरों का तो निवाला छीना ही जाता है. ऐसे में देखना है कि मजदूर दिवस प्रखंड के मनरेगा मजदूरों के लिए क्या कुछ सौगात लाता है.