जमुई लोकसभा क्षेत्र
जमुई से दीपक कुमार मिश्र
जमुई लोक सभा क्षेत्र में नक्सलियों के वोट बहिष्कार के फरमान पर मतदाताओं व सुरक्षा बलों का पहरा अधिक भारी पड़ा. मतदान के शुरुआती दो घंटे में मतदाताओं में थोड़ी असमंजस की स्थिति थी लेकिन मतदान केंद्रों पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था से उनका विश्वास लौटा और वे मतदान केंद्र तक पहुंचे. हालांकि एक दर्जन से अधिक बूथों पर नक्सलियों के भय से मतदानकर्मी नहीं पहुंचे तथा नक्सलियों व सुरक्षा के लिहाज से कई बूथों को दूसरी जगह पर स्थानांतरित किया गया. मतदान के चंद घंटे पहले नक्सलियों ने जमुई लोकसभा के तारापुर विधानसभा क्षेत्र के अधीन आने वाले गंगटा मोड़ के आगे विस्फोट करा कर सीआरपीएफ के दो जवानों को मौत के घाट उतार दिया. गुरुवार की सुबह यह सूचना पूरे क्षेत्र में जंगल की आग की तरफ फैल गयी.
इससे मतदाताओं में थोड़ा भय व्याप्त हुआ. इसका असर मतदान के शुरुआती दो घंटे में देखने को मिला. सुबह में नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाके में काफी कम मतदान हुआ, लेकिन 9-10 बजे के बाद मतदान में तेजी आयी.
चकाई विधानसभा क्षेत्र के ठाड़ी, चरमोजयिा व धनवे मतदान केंद्र पर डर से पोलिंग पार्टी नहीं पहुंची, सुबह में अफवाह उड़ी थी कि इन मतदान केंद्रों पर बम है. जमुई विधानसभा क्षेत्र के चननवर, मोहलिया में भी पोलिंग पार्टी नहीं पहुंची. कुकरझप विश्रगार मतदान केंद्र में तीन वोट पड़ने के बाद वहां से मतदान केंद्र को बंद कर घनी आबादी वाली मध्य विद्यालय कोइवा में लाया गया. प्रशासन को सूचना मिली थी कि यहां पर नक्सली हमला कर सकते हैं.
नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस की तगड़ी व फूलप्रुफ व्यवस्था थी. पूर्णत: नक्सल प्रभावित बादलडीह में लोगों ने मतदान किया. नक्सल प्रभावित क्षेत्र की सभी छोटी बड़ी, पुलियों पर सादी वरदी में पुलिस व चौकीदार को लगाया गया था. उन्हें यह हिदायत थी कि अगर नक्सली कोई हरकत करते हैं तो उन्हें रोकना नहीं है लेकिन जैसे ही पुलिस की गाड़ी आये तो उसे रोक कर पूरी जानकारी देनी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र खैरा के चननवर में तो स्थिति यह थी कि बूथ पर पोलिंग पार्टी नहीं पहुंची थी लेकिन मतदाता मतदानकर्मी का इंतजार कर रहे थे.
प्रशासन भी पहले सकते में था कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मतदाताओं का रुझान कैसा रहेगा लेकिन जब प्रशासन को यह सूचना मिली कि मतदाता वोट डालने पहुंचे रहे हैं तो प्रशासन ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया. लोगों के हौसले व जज्बे पर नक्सलियों की बहुत नहीं चली. इसका प्रमुख कारण हर बूथों पर सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था थी.