मैं चाहती हूं कि इस रेप की सारी जानकारी लोग जानें. यह न केवल आपकी देह के जुर्म का मंच बनने की डरावनी हक़ीक़त होती है बल्कि कैसे आप एक ही सवाल बार-बार पूछते रहते हैं, उसकी भी दास्तां होती है.
इसमें यह भी ज़रूरी है कि आपको क्या करना चाहिए. सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप इससे ख़ुद को कैसे उबार सकते हैं.
एक साल पहले मेरे साथ एक अजनबी ने रेप किया था. तब मैं 18 साल की थी और अपने घर से महज 60 सेकंड की दूरी पर थी. तब घना अंधेरा था और मैंने अपने मोबाइल फ़ोन के रिक़ॉर्ड का बटन दबा दिया था.
मैं सोच रही थी कि वो लाइट को नोटिस कर रुक जाएगा. मैं उस पर चिल्ला रही थी. मैं ज़ोर से कह रही थी कि सब कुछ रिकॉर्ड कर रही हूं और तुम चुपचाप निकल नहीं सकते.
उसने कुछ भी नहीं सुना और ज़मीन पर मुझे पटक दिया और रेप किया. इसे हुए बहुत लंबा वक़्त नहीं बीता है, लेकिन लगता है कि अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है.
मेरे साथ रेप हुआ तो मैं घर के बिल्कुल पास में थी. यहां तक मेरे भीतर किसी भी तरह का कोई डर नहीं था.
मैं दौड़ते हुए घर भागी और मेरे घरवालों ने पुलिस को बुलाया. उन्होंने मुझे नहाने और ब्रश करने से रोक दिया. जब आप ख़ुद को बिल्कुल गंदा महसूस कर रहे हों और ऐसे में नहाने से रोक दिया जाए तो और अजीब महूसस होता है.
‘अपने साथ हुए रेप की बात इसलिए बताती हूँ’
‘मैं औरत हूं और एक औरत ने ही मेरा रेप किया’
‘कई स्तर पर टूटते हैं आप’
मुझे पास के यौन हमला रेफ़रल सेंटर पर जाने के लिए कहा गया. यह मेरे घर से 45 मिनट की दूरी पर था. यहां आपके शरीर की फ़ोरेंसिक जांच होती है.
जब आपकी जांच की जाती है तो आप बिना कपड़ों के होते हैं. आपको मेटल बेड पर लेटा दिया जाता है जबकि कोई स्टिक जैसी चीज़ आपके वजाइना में डाली जाती है.
इससे चोट और खरोंच का पता लगाया जाता है. यौन हमला रेफ़रल सेंटर पर जो महिलाएं थीं वो बहुत प्यारी थीं. वो मेरे टैटू को लेकर बात कर रही थीं और उन्होंने मुझे ऐसा एहसास कराया कि मैं पूरी तरह से सुरक्षित हूं.
यहां पर मेरा एक एसटीआई, एक एआईवी और एक प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया. मुझे वहां कुछ टैबलेट दी गई थीं. ये दवाइयां दरअसल एचआईवी से बचने के लिए थीं. इन सारी दवाइयों को एक महीने तक दिन में तीन बार लेना था.
‘मुझसे कई असहज सवाल पूछे गए‘
इन दवाइयों के खाने से मुझे उल्टी के साथ चक्कर आते थे. मैं डॉक्टर के पास टेस्ट के लिए जाती थी. ऐसे में मैं पूरे महीने चिढ़ी हुई रही और मन भी भारी रहता था. मैं एक सामन्य लड़की की तरह पुलिस स्टेशन जाती थी.
इस दौरान ऐसा लगता था कि मैं एक लैब के लिए इस्तेमाल होनेवाली चूहा बन गई हूं. मैं गिनती नहीं कर सकती कि कितनी बार डॉक्टर को रेप की कहानी बताई. एक बार तो उन्होंने रेप का अंतरंग विवरण मांगा.
उन्होंने पूछा कि उसने तुम्हारी स्कर्ट ऊपर खिसकाई थी या नीचे की तरफ़ खींचा था. उसने इस साइड पेनिट्रेट किया था या उस साइड? मुझे इन सवालों की बिल्कुल उम्मीद नहीं थी. मैं पागलों की तरह रो रही थी.
मुझे लगा कि मैं अपने साथ ऐसा नहीं कर सकती हूं. एक समय तो मैंने केस वापस लेने का फ़ैसला कर लिया था.
‘मेरे जैसे कई हैं’
मैं अकली नहीं हूं जिसे इन चीज़ों का सामना करना पड़ा है. ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या है जिन पर हमले होते हैं और वो कुछ भी नहीं कहते. महज़ 15 फ़ीसदी रेप पीड़ित ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं.
इनमें से 5.7 फ़ीसदी लोगों को ही इंसाफ मिल पाता है. मैंने सोचा कि मैं क्यों उन लोगों में से एक नहीं बन सकती? मैंने अब तक इतना कुछ क्यों किया?
मैं सोचती हूं कि अगर आपके पास सड़क से एक अपराधी को गिरफ़्तार करने का मौक़ा है तो इसके लिए आपको ऐसा करना होगा. मैं इसी रास्ते पर हूं और इस मामले में ख़ुद को साबित करना चाहती हूं. अपने बिस्तर पर बैठे-बैठे मैंने सोचा कि मैं ऐसा कर सकती हूं तो मैं कुछ भी कर सकती हूं.
जो वीडियो मैंने रिकॉर्ड किया था उसके बिना हमलावर को शायद कभी नहीं खोजा जाता. इसे सबूत के रूप में इस्तेमाल किया गया. उसे कुछ आरोपों में दोषी ठहराया गया और 13 साल की क़ैद मिली.
मैं कोर्ट में अपनी मां के साथ थी. मेरा केस लड़ने वालों और दूसरे लोगों ने मेरी मदद की. मैं उनके चेहरों पर सुकून देख सकती थी. महीनों का तनाव उनके चेहरे से अचानक ख़त्म हो गया. हम सबको अच्छा लगा. अब मैं अपनी ज़िंदगी को इससे निकाल आगे बढ़ सकती हूं.
कुछ महीनों बाद मैंने यूट्यूब पर एक वीडियो बनाया. उसका नाम है- ‘जो बातें यौन हमले के बारे में आपको वे नहीं बताते’. काश यह वीडियो ये सब होने से पहले मैं देख पाती. इसमें बताया गया है कि कैसे सामना करना है. साथ ही यह भी बताया गया है कि क्या करना चाहिए.
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