दक्षिणपंथियों की मुखर आलोचक रहीं वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की मंगलवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. गौरी को उस वक़्त गोली मारी गई जब वह अपने घर लौट रही थीं.
प्रगतिशील और कथित हिंदूवादी विचारधारा को चुनौती देने वाली गौरी की हत्या की तुलना गोविंद पनसारे, एमएम कलबुर्गी और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से की जा रही है.
उनकी हत्या की ख़बर मीडिया में आते ही इंटरनेट पर खलबली मच गई. लोग फ़ेसबुक पोस्ट और ट्वीट करके गुस्सा और दुख जताने लगे. नेताओं, पत्रकारों, लेखकों और विचारकों समेत आम लोग इस बारे में लिख रहे हैं. सोशल मीडिया पर #GauriLankesh ट्रेंड कर रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया,’पनसारे, कलबुर्गी, दाभोलकर और अब लंकेश…अगला कौन होगा? ये क्या हो रहा है? पिछले मामलों में दोषियों को अब तक पकड़ा क्यों नहीं गया है? जो लोग विरोधी आवाजों को ख़ामोश करने के लिए बंदूकें उठाते हैं मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि वे कायर हैं. तुम्हारी गोलियां जान ले सकती हैं लेकिन बहादुरी को रोक नहीं सकतीं.’
शेखर गुप्ता कहते हैं,’साहस के बिना पत्रकारिता का कोई मोल नहीं है. विरोध की आवाजों के बिना लोकतंत्र का कोई मोल नहीं है. गौरी लंकेश के पास दोनों ही थे. आप एक प्रेरणा की तरह हमेशा ज़िंदा रहेंगी.’
बरखा दत्त ने कहा,’भारत में हम राम रहीम जैसे फ़र्जी लोगों के सामने सिर झुकाते हैं और तर्कशील लोगों की हत्या करते हैं.’ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हैरान करने वाला बताया और लालू यादव ने कहा कि यह पत्रकारों के लिए भयानक समय है.
पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या
जाने-माने गीतकार ज़ावेद अख़्तर ने सवाल किया,’दाभोलकर, पनसारे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश. अगर एक ही तरह के लोगों को मारा जा रहा है तो इन्हें मारने वाले किस तरह के लोग हैं?’
हालांकि कुछ लोगों को इसमें लेफ़्ट की साज़िश की बू आ रही है. एक ट्विटर यूज़र ने लिखा,’यह लेफ़्ट बनाम लेफ़्ट का मामला लगता है. वे हमेशा क्रूर और निर्दयी होते हैं.’
जाग्रति शुक्ला नाम की एक पत्रकार ने लिखा,’कम्युनिस्ट गौरी लंकेश की निर्मम हत्या कर दी गई है. कहते हैं कि आपका किया आपके पास ही वापस आता है. आमीन.’
गौरी लंकेश का वो ‘आखिरी’ ट्वीट…
जाग्रति के इस ट्वीट का विरोध हुआ तो उन्होंने दोबारा लिखा,’जो खूनी क्रांति में यकीन रखते हैं वो गौरी लंकेश की हत्या का शोक मना रहे हैं. जब खुद पर बीती है तो कैसा लग रहा है?’
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी ट्वीट कर इसकी निंदा की थी. उन्होंने लिखा, ‘जानी-मानी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से हैरान हूं. इस जघन्य अपराध की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. ये लोकतंत्र की हत्या है. गौरी शंकर की मौत से कर्नाटक ने एक विकासशील आवाज खोई है. मैंने एक दोस्त खोया है.’
गुजरात फ़ाइल्स की लेखकर और पत्रकार राणा अय्यूब ने भी गौरी की हत्या पर दुख जताते हुए ट्वीट किया, ‘मेरी किताब का कन्नड़ संस्करण छापने वाली मेरी दोस्त गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी गई. देश की हर गली में एक गोड्से घूम रहा है. गौरी को लगभग हर संभावित दक्षिणपंथी संगठन से धमकी मिली थी.’
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