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दो ट्रांसजेंडर की सबसे अनोखी प्रेम कहानी

आरव अप्पुकुटन केरल के मध्यम वर्गीय परिवार में बेटी "बिंदु" के रूप में जन्मे थे. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले आरव के पिता मैकेनिक थे और मां टेलर थी. बचपन से ही हर मर्दों काम में दिलचस्पी रखने वाले आरव को समझ आ गया था कि उनमें और दूसरी लड़कियों में काफ़ी अंतर है. […]

आरव अप्पुकुटन केरल के मध्यम वर्गीय परिवार में बेटी "बिंदु" के रूप में जन्मे थे. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले आरव के पिता मैकेनिक थे और मां टेलर थी. बचपन से ही हर मर्दों काम में दिलचस्पी रखने वाले आरव को समझ आ गया था कि उनमें और दूसरी लड़कियों में काफ़ी अंतर है.

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अपनी इस झिझक के बारे में सातवीं कक्षा में पहुंचकर मां को बताया. मां उन्हें अपने पारिवारिक डॉक्टर के पास ले गईं जहां डॉक्टर ने उन्हें अपनी इस उलझन को थोड़ा वक़्त देने को कहा ताकि वक़्त के साथ स्पष्टीकरण आ जाए.

आरव की जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई उन्हें एहसास हुआ कि वो लड़कियों की भीड़ में नहीं रह सकते और उनकी इस समस्या का हल किसी डॉक्टर के पास नहीं था क्योंकि उस वक़्त इसे लेकर जागरूकता ही नहीं थी.

ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे, तभी मां का निधन हो गया और पिता ने दूसरी शादी कर बच्चों से किनारा कर लिया. छोटे भाई बहनों की ज़िम्मेदारी आरव पर आ गई. अपनी पढ़ाई छोड़ आरव ने कमाई करनी शुरू कर दी.

कड़ी मेहनत के बाद उन्हें साल 1993 में मुंबई में टूरिज्म की नौकरी मिल गई और करीब आठ साल तक वो नौकरी करते रहे और घर की बागडोर संभाल ली. फिर उन्हें दुबई में नौकरी करने का मौका मिला.

एक साल के बाद दुबई से लौटकर आरव ने छोटी बहन की शादी करवाई और वापस दुबई लौट गए.

खुशियां अपनी जगह बना ही रही थीं कि ज़िंदग़ी की सबसे बड़ी गाज गिर पड़ी. आरव वॉलीबॉल खेलते हुए गिर गए. पैर टूट गया और हड्डियों में ऐसी चोट लगी कि करीब छह महीने तक दुबई में बिस्तर पर रहना पड़ा.

उन्होंने तय किया कि वो मुंबई लौटकर अपना इलाज करवाएंगे, लेकिन मुंबई के डॉक्टर के पास भी कोई हल नहीं था. आरव करीब 5 साल तक स्ट्रेचर पर थे. इस दौरान उनकी मदद उनकी महिला मित्र ने की.

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जब आरव ठीक हुए तो दोबारा काम की तलाश में दुबई पहुंचे और उन्हें काम भी मिल गया. इसी दौरान उन्हें प्रेम भी हुआ, लेकिन वो रिश्ता भी कामयाब नहीं हुआ. हताश आरव ने तय किया कि वो मुंबई लौटकर अपना लिंग परिवर्तन करवाएंगे.

सुकन्या कृष्णा

वहीं सुकन्या कृष्णा केरल परिवार में बतौर लड़का पैदा हुई थीं. बचपन में पिता को खो चुकीं सुकन्या को गुड़ियों के साथ खेलना पसंद था. अपने अलग हाव भाव के कारण वो अक्सर स्कूल में दूसरे बच्चों का शिकार बनती थी. कई बच्चे उन्हें मारते थे तो कोई उन्हें गालियाँ देता था तो कोई डराता धमकाता था.

सातवीं कक्षा तक पहुंचते पहुंचते सुकन्या के परिवार वालों को उनके लड़की वाले हाव भाव नज़र आने लगे. 12 साल की सुकन्या को उनका परिवार डॉक्टर के पास ले गया जहाँ उनकी स्थिति को हार्मोन असंतुलन करार दिया गया. ये जानने के बाद सुकन्या ने इसके बारे में अधिक जानकारी इंटरनेट से हासिल की और उन्हें पता चला कि उनकी तरह और भी लोग दुनिया में मौजूद है.

सुकन्या के परिवार ने सुकन्या को करीब दो साल तक हार्मोन इंजेक्शन दिलवाए जिससे वो मर्दाना दिखने ज़रूर लगीं पर उनके स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर पड़ा.

दसवीं कक्षा का दूसरा इम्तिहान देकर लौटीं सुकन्या बेहोश हो गई और करीब 16 घंटे बेहोश रही. कई दिनों तक अस्पताल में रहीं सुकन्या ने तय किया कि वो अब मर्द हार्मोन का सेवन नहीं करेंगी और बतौर लड़की रहकर ज़िन्दगी गुज़ारना चाहेंगी.

लेकिन सुकन्या की माँ ने उनके दिमाग से ये बात हटाने के लिए उन्हें मारा-पीटा. यहां तक कि तांत्रिक और पंडित का भी सहारा लिया.

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फिर सुकन्या ने अपनी माँ के सामने दो शर्ते रखीं. आत्महत्या या लिंग परिवर्तन. इस बात के बाद सुकन्या की मां लिंग परिवर्तन के लिए राज़ी हो गईं और सुकन्या बंगलौर में आ बसी.

प्रेम प्रसंग

अपने लिंग परिवर्तन के इलाज के लिए जब सुकन्या केरल से थोड़ी दूर स्थित एक अस्पताल में अपने डॉक्टर से मिलने पहुंचीं तब आरव भी उसी अस्पताल में अपने दोस्त की मदद के लिए आया हुआ था.

आरव को सुकन्या पहली नज़र में भा गई थी. वो उन्हें सिर्फ देखते रह गए. जब सुकन्या अपनी मां से फ़ोन पर मलयालम में बात कर रही थीं तब आरव को समझ आया कि सुकन्या भी केरल से हैं और उन्होंने सुकन्या से बातचीत शुरू कर दी.

चंद घंटों की बातचीत में आरव और सुकन्या को पता चला कि वो दोनों ट्रांसजेंडर हैं और उनकी तकलीफ़ें एक समान हैं. अंत में दोनों ने एक दूसरे के फ़ोन नंबर लिए और उनके फ़ोन पर बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ. फ़ोन पर बातचीत का सिलसिला बढ़ा और दोनों की दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई.

तीन साल पहले शुरू हुई इस दोस्ती ने आरव और सुकन्या दोनों को सहारा दिया. दोनों ने अपनी तकलीफें बांटी और एक दूसरे सहारा बने.

46 साल के आरव तीसरी बार ख़ुद को तकलीफ़ नहीं देना चाहते थे. वहीं 22 साल की सुकन्या को इन तीन सालों में दो प्रेम प्रस्ताव मिले थे लेकिन वो आरव को पसंद कर चुकी थीं, पर प्यार का इज़हार करने से क़तरा रही थी.

आरव ने अपने प्रेम का इज़हार सुकन्या से करते हुए कहा, "अगर मेरी उम्र से कोई ऐतराज़ नहीं है तो क्या मुझसे शादी करोगी ?"

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सुकन्या कहती हैं कि,"आरव ने मुझे कहा था कि मुझमे उन्हें उनकी मां नज़र आती है. उनकी इस बात ने मेरा दिल जीत लिया था. हर मुश्किल घड़ी में वो साथ खड़े थे और मुझे हिम्मत दे रहे थे और मैं भी उन्हें हिम्मत दे रही थी."

आरव और सुकन्या ने तय किया है कि वो अगले महीने सगाई करेंगे और सुकन्या की आख़िरी सर्जरी के बाद वो शादी रचाएंगे.

अपनी उम्र का लिहाज़ रखते हुए आरव एक बच्चा भी गोद लेना चाहते है.

वो कहते है कि,"सुकन्या अभी बहुत जवान है. मैं अभी दिल से जवान हूँ पर पता नहीं ऊपर वाला कब बुला ले. कभी भी कुछ भी हो सकता है. इसलिए मैं चाहता हूँ कि एक बेटी गोद लूं और अगर हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी तो एक बेटा भी गोद लेंगे. मैं नहीं चाहता की मेरे जाने के बाद सुकन्या अकेली रहे."

सुकन्या की अंतिम सर्जरी के लिए उन्हें 6 लाख रुपयों की ज़रूरत है. दोनों फ़िलहाल इस सर्जरी के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे हैं.

सुकन्या और आरव के प्रेम प्रसंग की चर्चा से उन्हें हर तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है. जहां कुछ लोग उन्हें समर्थन दे रहे हैं, वहीं सुकन्या के फेसबुक पर उन्हें और आरव को जान से मारने की धमकी भी मिली है.

आरव ट्रांसजेंडर्स को लेकर जागरूकता की कमी को गंभीर समस्या मानते हैं. उनका कहना है कि हर माता पिता को इस समस्या की समझ होनी चाहिए और अपने बच्चे का साथ देना चाहिए जैसे उनकी मां ने उनका साथ दिया था.

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