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गलत निकासी को फिर सरकारी खाते में जमा किया

वीरेंद्र कुमार सिंह सरकारी योजनाओं में बिना काम कराये फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी किया जाना कोई नयी बात नहीं है. लेकिन मामले के उजागर होने के बाद निकासी राशि का पुन: मजबूर होकर सरकारी खाते में जमा किया जाना निश्चय ही नयी बात है. यह वाकया सिंहभूम पूर्वी जिले के पोटका प्रखंड […]

वीरेंद्र कुमार सिंह

सरकारी योजनाओं में बिना काम कराये फर्जी बिल बना कर राशि की निकासी किया जाना कोई नयी बात नहीं है. लेकिन मामले के उजागर होने के बाद निकासी राशि का पुन: मजबूर होकर सरकारी खाते में जमा किया जाना निश्चय ही नयी बात है. यह वाकया सिंहभूम पूर्वी जिले के पोटका प्रखंड का है. समाजसेवी सह आरटीआइ कार्यकर्ता सुवालाल महाकुड़ ने अभी भी हार नहीं मानी है. वे कहते हैं कि इस घोटाले में संलिप्त सभी लोगों पर जबतक कार्रवाई नहीं होती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा.

प्रखंड की रसुनचोपा पंचायत में वर्ष 2007-8 में मनरेगा योजना के अंतर्गत भिखारी के घर से सुरू हो कर घर तक ग्रेड वन पथ बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी. जिसकी योजना संख्या 157/07 व प्राक्कलित राशि 497563 रुपये है. प्राक्कलन में सड़क की लंबाई एक किमी है. परंतु धरातल पर सड़क की लंबाई मात्र 200 मीटर है. योजना में काम कुछ भी नहीं हुआ तथा 121000 रुपये की निकासी कर ली गयी.

काम किये बिना राशि की निकासी की भनक समाजसेवी सुवालाल महाकुड़ को लगी. उन्होंने 10/5/2012 को तत्कालीन बीडीओ विपिन उरांव को एक आवेदन देकर सड़क जांच की मांग की. बीडीओ के निर्देशानुसार, 27/7/2012 को कृषि पदाधिकारी दिनेश गुप्ता ने जांच का आदेश दिया. 28/8/2012 को कृषि पदाधिकारी ने जांच की. जांच में कृषि पदाधिकारी ने पाया कि योजना में किसी तरह का काम नहीं हुआ है. 11/10/2012 को बीडीओ ने पंचायत सेवक बैद्यनाथ मार्डी को केवल स्पष्टीकरण पूछ कर मामले को रफा-दफा कर दिया. लेकिन सुवालाल इतने पर संतुष्ट नहीं हुए. वे इस मामले से संबंधित जेइ, एइ, पंचायत सेवक एवं पर्यवेक्षक पर कार्रवाई चाह रहे थे. उन्होंने सर्वप्रथम आरटीआइ से योजना के रिकार्ड की कॉपी मांगी व वरीय पदाधिकारी से पुन: कार्रवाई के लिए शिकायत की. वरीय पदाधिकारी को की गयी शिकायत रंग लायी तथा पंचायत सेवक बैद्यनाथ मार्डी ने पांच अप्रैल 2013 को हल्दीपोखर के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 1, 21, 900 रुपये की राशि जमा कर दी. सुवालाल ने इसके बाद भी अभी तक हार नहीं माना है. वे इस योजना से संबंधित सभी पदाधिकारी व कर्मचारी पर कार्रवाई कर दंडित करने की लड़ाई जारी रखे हुए हैं.

ज्ञात हो कि मनरेगा योजना में ही 2007-8 में इसी प्रखंड की कौवाली पंचायत में बिना काम कराये 16 लाख रुपये की निकासी की गयी थी. आरटीआइ कार्यकर्ता दिनेश महतो ने इसके खिलाफ झारखंड उच्च न्यायालय में एक याचिका रिट किया. तत्पश्चात तत्कालीन बीडीओ विपिन उरांव सहित 11 लोगों पर पोटका थाने में एक मामला दर्ज किया गया. सभी को जेल की हवा खानी पड़ी. मामला लंबित है.

अगर राशि जमा करने से ही यदि कर्मचारी दोषमुक्त हो जाये तो कौवाली की योजना में भी सभी पदाधिकारी राशि जमा कर देते. लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई हुई. सुवालाल महाकुड़ कहते हैं कि जबतक रसुनचोपा सड़क मामले में दोषी पर कार्रवाई नहीं होगी, तबतक इनके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा. अंत में झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जायेगी.

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