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दुमका ही नहीं, अधिकांश सीटें जीतेंगे

झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी लोकसभा चुनाव में मोरचा संभाल रहे हैं. पार्टी प्रत्याशियों के लिए हर दिन चार-पांच सभा कर रहे हैं. दुमका से चुनाव लड़ कर बाबूलाल ने बड़ा दावं चला है. पूरे प्रदेश के साथ-साथ अपने चुनाव की भी जवाबदेही है. राज्य गठन के बाद झारखंड विकास मोरचा (झाविमो) दूसरी बार लोकसभा का […]

झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी लोकसभा चुनाव में मोरचा संभाल रहे हैं. पार्टी प्रत्याशियों के लिए हर दिन चार-पांच सभा कर रहे हैं. दुमका से चुनाव लड़ कर बाबूलाल ने बड़ा दावं चला है. पूरे प्रदेश के साथ-साथ अपने चुनाव की भी जवाबदेही है. राज्य गठन के बाद झारखंड विकास मोरचा (झाविमो) दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही है.

पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कोडरमा सीट से जीत दर्ज की थी. वहीं जमशेदपुर के उप चुनाव में डॉ अजय कुमार ने जीत दर्ज कर पार्टी को दूसरी सीट दिलायी थी. फिलहाल झाविमो के दो सांसद है. आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़ा किया है. वर्तमान राजनीतिक हालात और संगठन से जुड़े मुद्दों पर प्रभात खबर के वरीय संवाददाता सतीश कुमार ने झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से लंबी बात की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश.

लोकसभा चुनाव में झाविमो की क्या स्थिति है?
पिछले पांच साल से पार्टी की ओर से चुनाव की तैयारी की जा रही है. पार्टी ने सबसे पहले यहां पर अपना उम्मीदवार घोषित किया, ताकि उन्हें अपने क्षेत्र में जनता के बीच समय देने का मौका मिल सके. पार्टी ने वैसे लोगों को टिकट दिया है, जिनका क्षेत्र में जनाधार है. प्रत्याशी पिछले पांच साल से जनता की समस्याओं को लेकर संघर्ष कर रही है. उन्हें जनता का भी पूरा सहयोग मिल रहा है. ऐसे में पार्टी की सीट बढ़ना लाजिमी है. पार्टी के उम्मीदवार अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज करेंगे. झाविमो दिल्ली में झारखंड की आवाज बनेगी और राज्य के साथ साथ यहां के लोगों को हक दिलायेगी.

आपके प्रतिद्वंद्वी दुमका में कैंप किये हुए हैं. आप दूसरे लोकसभा क्षेत्र में प्रचार को लेकर व्यस्त हैं. क्या इसका असर आपकी सीट पर नहीं पड़ेगा?
यह बात सही है कि मेरे प्रतिद्वंद्वी क्षेत्र में पिछले 15 दिनों से कैंप किये हुए हैं. जहां तक मेरा सवाल है. मैं लगातार इस क्षेत्र के लोगों से जुड़ा रहा है. जनता की समस्या को लेकर उनके साथ खड़ा रहा. मेरे लिये दुमका के साथ साथ राज्य की सभी सीटें महत्वपूर्ण हैं. पार्टी सभी सीटें जीतना चाहती है. इसलिए मैं दुमका के साथ अन्य सीटों पर अपने प्रत्याशी और क्षेत्र की जनता को समय दे रहा हूं. पार्टी के एजेंडों को बता रहा हूं, ताकि जनता का पूरा साथ मिल सके. जहां तक दुमका की बात है. वहां मैं चार अप्रैल को नामांकन दाखिल कर रहा हूं. इसके बाद मैं दुमका लोकसभा क्षेत्र के बूथ स्तर तक जाकर सभी लोगों से मिलूंगा.

चुनाव लड़ने के साथ संगठन चलाना कितना कठिन है?
संगठन चलाने के लिए सिस्टम जरूरी है. कोई भी अकेला व्यक्ति संगठन नहीं चला सकता है. सिस्टम में शामिल सभी लोगों की समान रूप से सहभागिता होनी चाहिए. नेता सिर्फ इस बात पर ध्यान देता है कि सिस्टम में कहीं कोई फॉल्ट तो नहीं रह गया है. झाविमो की पहुंच झारखंड के ग्रामीण इलाकों तक पहुंच गयी है. पिछले पांच साल में राज्य का कोई ऐसा इलाका नहीं है, जहां मैं नहीं गया. मैंने इस अवधि में लगभग तीन लाख किलोमीटर की यात्र की है. पिछले साल 55 हजार किलोमीटर से अधिक यात्र कर क्षेत्र में जनता के बीच जाकर उनसे मिला. उनके लिए जनसंघर्ष किया. आंदोलन में साथ दिया. चुनाव लड़ने में भी सिस्टम ही काम करता है. अगर नेता व्यस्त है, तो उसका प्रतिनिधि हमेशा जनता के बीच मौजूद रहता है.

राष्ट्रीय दलों के चुनावी बजट के सामने क्षेत्रीय दल कहां ठहरते हैं?
देखिये सिर्फ पैसे से चुनाव नहीं जीता जा सकता है. किसी भी राजनीतिक दल का उत्थान जनसंघर्ष के साथ होता है, न कि पैसे से. देश में कई नेता हैं, जिन्होंने बिना पैसे के चुनाव जीता है. हां यह बात सही है कि जब संगठन का विस्तार होता है, तो फंड की जरूरत होती है. जनसहयोग से मिले फंड से इसकी पूर्ति की जा सकती है. अगर कोई नेता चुनाव हराने के बाद भी जनता के साथ जुड़ा रहता है. उनके संघर्षो के साथ खड़ा रहता है, तो पैसा फेंक कर भी उसके खिलाफ चुनाव नहीं जीता जा सकता.

चुनाव में पार्टी का एजेंडा क्या है?
पार्टी चाहती है कि यहां के लोगों को भय, भूख और भ्रष्टाचार से लोगों को निजात मिले. क्योंकि अब राज्य में जितनी भी सरकार बनी है, उसने यहां की जनता के लिए कुछ नहीं किया. भाजपा और कांग्रेस पार्टी दिल्ली में बैठकर सरकार बनाते हैं और चलाते हैं. इनकी नजर यहां की प्राकृतिक संपदाओं पर है. दोनों पार्टियों ने मिलकर यहां की खनिज संपदा को लूटा है. जब हेमंत सोरेन को कुछ नहीं मिला तो नदी के खाली पड़े बालू को बेचने पर लगे. कांग्रेस और भाजपा ने इस राज्य को लूटा है. जहां तक आजसू और झामुमो का सवाल है. इन दोनों दलों ने कांग्रेस व भाजपा का पिछलग्गू बन कर अपना हाथ साफ किया है.

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