बच्चे मासूम होते ही हैं. उन्हें गलत इरादा रखनेवाले लोग आसानी से बहला सकते हैं. कुछ कुंठित मानसिकता के लोग बच्चों की मासूमियत का फायदा उठा कर उनके साथ बुरा व्यवहार करते हैं. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि उन्हें सही और गलत में फर्क समझाया जाये, उनमें हर बात खुल कर कहने का साहस भरा जाये, ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके.
शारदा देवी की बात सुन कर छ: साल की अनुष्का ने कहा कि अगर कोई अंकल हमें प्यार करते हैं और गोदी में उठाते हैं, तो उसमें क्या बुराई है दादी जी, और बच्चों को तो बड़े लोग गोदी उठाते ही हैं, जैसे हमें पापा-मम्मी उठाते हैं. यह सुन कर शारदा देवी ने कहा – जैसे हम सबकी अपनी-अपनी प्राइवेट चीजें होती हैं, बच्चों के लिए खिलौने, बड़ों के लिए बहुत सारी जरूरत की चीजें होती हैं. इसी तरह हमारी बॉडी के भी प्राइवेट पार्ट्स होते हैं. इसीलिए हम अकेले नहाते हैं, किसी के भी सामने कपड़े नहीं बदलते.
मम्मी भी आपको सबके सामने नहीं नहलाती. न ही आपके कपड़े बदलती हैं. अगर हमारी शेम-शेम नहीं होती, तो ऐसा क्यूं होता? सब लोग बाथरूम में जाकर अलग-अलग क्यों नहाते हैं? सबको साथ-साथ नहा लेना चाहिए या नहाते वक्त दरवाजा खुला रहने दें. यह सुनते ही आठ वर्ष की सोनम बोली – नहीं दादी जी, फिर तो सुपरवाली शेम-शेम हो जायेगी. मम्मी मुङो तो बाथरूम में बंद करके नहलाती हैं, लेकिन दादी अगर अंकल या भइया हमें प्यार करें, तो इसमें क्या खराबी है? सोनम ने बड़ी मासूमियत से पूछा.
कोई खराबी नहीं बेटा. सोनम की मम्मी ने कहा. वह बोली- तुम्हारी दादी जी एकदम ठीक कह रही हैं. कोई भी अंकल या भइया तुम्हें प्यार करते हैं, तो इसमें कोई खराबी नहीं, लेकिन वह बार-बार तुम्हारे शेम-शेम पार्ट्स को हाथ लगायें, तो यह अच्छी बात नहीं है. ऐसा करना बहुत बुरी बात है, लेकिन बच्चे छोटे होते हैं और ये सारी बातें नहीं जानते. इसीलिए वह इस बात का फायदा उठाते हैं.
जब भी कोई तुम्हारे शेम-शेम पार्ट को छुए या तुम्हें, तुम्हारे पेट से ऊपर की ओर बार-बार हाथ ले जाये, तो उनको तुरंत मना करो कि ‘अंकल हाथ हटाइए’ और फिर भी न मानें, तो मम्मी-पापा या किसी भी बड़े को बताओ. कभी भी किसी भी अंकल या भइया के साथ अकेले कहीं नहीं जाना, चाहे तुम उसे जानती ही क्यों न हो.
वह तुम्हें कोई भी चीज खिलाने या खरीदने के लिए क्यों न कहें और अगर कोई चीज भी खिलाये, तो भी नहीं खाना. केवल अपने घर की चीजें ही खाना और किसी भी ऐसे व्यक्ति से कोई भी चीज नहीं लेना, जिसे तुम जानती नहीं हो. इस बात पर झरना ने पूछा – क्यों आंटी, अगर हमें प्यार से कोई पास बुलाये, तो हमें तो उसके पास जाना चाहिए! यह क्या बात हुई कि इसके पास मत जाओ, उसके पास मत जाओ. हम तो सब अंकल को जानते हैं, तो हम किसी के पास क्यों न जायें? झरना की बात सुन कर पायल ने कहा बेटा किसी के पास जाने में कोई बुराई नहीं.
हम सब आपको यह समझाना चाह रहे हैं कि अगर कोई तुम लोगों के साथ ऐसी हरकत करे, जो हम बता रहे हैं कि नहीं करनी चाहिए, तो घरवालों को जरूर बताओ, क्योंकि बच्चों के साथ ऐसा करनेवाले अच्छे नहीं होते. बच्चे छोटे होते हैं. भोले और मासूम होते है, कुछ कह नहीं पाते, इसलिए वह बच्चों के साथ गंदी बात करते हैं. अगर कोई आप लोगों को डरा-धमका कर ऐसी बातें करता है, तो डरने की कोई जरूरत नहीं. सबके मम्मी-पापा हैं. घर में और भी बड़े लोग हैं. आप उनसे बिना किसी डर के जरूर बताओ. अक्सर ऐसा होता है कि लोग बच्चों को कोई चीज देने के बहाने बुलाते हैं और पकड़ कर ले जाते हैं. फिर उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार करते हैं. मारते हैं, पीटते हैं, खाना नहीं देते, बच्चों से काम करवाते हैं और भीख भी मंगवाते हैं. जो लोग बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स को छूते हैं वह अंकल या भइया बहुत गंदे होते हैं.
वह कुछ भी कर सकते हैं. जान से मार भी सकते हैं. अभी देखा न वह छोटी बच्ची गायब हो गयी थी. इसके अलावा आप सब स्कूल जाते हैं, तो वहां भी अगर आपके टीचर या आपसे बड़े भइया आपके साथ कुछ गलत करते हैं, तो बिना डरे हुए उसकी शिकायत अपनी प्रिंसिपल मैम या सर से जरूर करो और अगर उन्हें न बता पाओ, तो घर आकर अपने पापा-मम्मा को जरूर बताओ.
उनकी किसी भी बात को चुपचाप बर्दाश्त नहीं करना. सबसे बड़ी बात तो यह है कि आप सभी बच्चे कोई भी बात अपने पापा-मम्मी से नहीं छुपायेंगे, चाहें आपको डांट खाने का डर ही क्यों न हो या आपको किसी ने धमकी ही क्यों न दी हो कि अगर पापा या मम्मी को बताया, तो मैं तुम्हें या तुम्हारे पापा-मम्मी को मार दूंगा. ऐसी किसी भी बात से डरे बिना घरवालों से सच बात जरूर बताना.
वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com