ISRO chief S Somnath : चंद्रयान, गगनयान और आदित्य एल1 मिशन्स के माध्यम से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचानेवाले इसरो चीफ एस सोमनाथ आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसरो चीफ एस सोमनाथ एक समय में डॉक्टर बनना चाहते थे? तमिलनाडु के डॉ एमजीआर यूनिवर्सिटी में हाल ही में डॉक्टरों की एक सभा को संबोधित करते हुए इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि कैसे वह बचपन से डॉक्टर से बनना चाहते थे. मगर उनके पिता के कारण उन्हें इंजीनियरिंग चुननी पड़ी थी. इसके अलावा उन्होंने AI और मशीन लर्निंग जैसे कई अहम मुद्दों पर बात की.
बायोलॉजी में स्टेट टाॅपर रह चुके हैं एस सोमनाथ
एस सोमनाथ ने अपनी पढ़ाई-लिखाई के दिनों को याद करते हुए कहा कि अपने गृह राज्य केरल में मैं बायोलॉजी में टॉपर था और डॉक्टर बनने की इच्छा रखता था. हालांकि, मेरे पेशे से शिक्षक पिता ने मुझे इंजीनियरिंग या गणित लेने के लिए कहा, क्योंकि मेडिकल पेशा बहुत कठिन और अपेक्षा वाला है. उन्होंने आगे कहा, मेरे पिता का कहना था कि इंजीनियरिंग या गणित लेने से मुझे एक शिक्षक या प्रोफेसर के रूप में आसान जिंदगी जीने में मदद मिलेगी.
एयरोस्पेस और मेडिकल क्षेत्र के बीच तालमेल की जरूरत
एस सोमनाथ ने मेडिकल और स्पेस डोमेन के बीच के रिश्ते के बारे में भी बात की. उन्होंने बताया कि कैसे मेडिकल और स्पेस डोमेन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, और इसरो गगनयान अंतरिक्ष यात्रा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मेडिकल प्रोफेशनल्स के साथ मिलकर कैसे काम कर रहा है. बायो-एस्ट्रोनॉटिक्स के क्षेत्र में इसरो की गहरी भागीदारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसरो डॉक्टरों को अपनी टीम में शामिल करना चाहता है. आगे बढ़ते हुए उन्होंने कहा की कैसे लंबे समय की अंतरिक्ष उड़ान मानव शरीर पर कई तरह से प्रभाव डाल सकती है, ऐसे में एयरोस्पेस और मेडिकल क्षेत्र के बीच निरंतर तालमेल एक आवश्यकता है.
आने वाले समय में मेडिकल साइंस में अहम भूमिका निभाएगा AI
एस सोमनाथ ने AI टेक्नोलॉजी का भी जिक्र किया और कहा कि मेडिकल प्रोफेशनल्स को सॉफ्टवेयर और AI टूल्स के बारे में भी जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए. ऐसी टेक्नोलॉजी के उपयोग से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी. उन्होंने अागे कहा कि भविष्य में एआई की मदद से शरीर में एक एम्बेडेड मेडिकल किट रखना संभव हो सकता है. जब भी पता चलेगा और आवश्यकता होगी, सही मात्रा में आवश्यक दवा सही स्थल पर पहुंचाई जा सकेगी.
मेडिकल यूनिवर्सिटीज में AI और मशीन लर्निंग को पढ़ाने की जरूरत
AI और मशीन लर्निंग पर बात करते हुए सोमनाथ ने कहा कि हजारों रोगियों से प्राप्त क्लीनिकल डेटा और मेडिकल हिस्ट्री का उपयोग उपचार के बेहतर और अधिक प्रभावी साधनों तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है. बीमारियों के विकास को ट्रैक करना संभव होगा, और यह भी कि वे कुछ खास जेनेटिक और कुछ भौगोलिक क्षेत्रों के लोगों को कैसे प्रभावित करते हैं. अंत में उन्होंने AI और मशीन लर्निंग को मेडिकल यूनिवर्सिटीज में पढ़ाये जाने की वकालत की.