इसमें नेपाली साहित्य सम्मेलन से जीवन नामदुंग,कर्ण थामी,सीके राई,सचिन राई दुमी,ओम नारायण गुप्त,दिल्ली एकादमी की और से प्रेम प्रधान,गोर्खा दुख निवारक सम्मेलन से पेम्बा बम्जन,नारी साहित्य मंच से विन्दिया सुब्बा,पी अर्जुन सहित विभिन्न संघ संस्थाओ के प्रतिनिधि उपस्थित थे. इस बैठक को सम्बोधित करते हुये मोरचा प्रमुख एंव जीटीए चीफ विमल गुरुंग ने कहा कि बंगाल सरकार गोरखाओं के हित में कभी नहीं सोचती है.
राज्य की वर्तमान सरकार द्वारा गोरखाओं के अधिकारों को अतिक्रमण किया जा रहा है. पिछले कुछ साल में इस प्रकार की कई घटनाएं हुई हैं. यहां राज्य सरकार द्वारा नेपाली आदि कवि भानुभक्त आचार्य की जयंती मनायी गयी थी, जिसमें भाषण देने वाला कोई भी नेपालीभाषी नहीं था. कुछ सप्ताह पहले राज्य सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों में बांग्ला भाषा को जबरदस्ती थोपने का निर्णय लिया गया है, जो ठीक नही है.
पहाड़ पर राज्य सरकार के इस फैसले का हमसभी विरोध करेंगे. इसी के तहत 1 और 2 जून को पहाड़ से लेकर तराई डुवार्स के सभी स्कूल व कॉलेजों में बंद का आह्वाण किया गया है. इसके अलावा 4 जून से 8 जून तक घूम रेलवे स्टेशन से हाथ में काली पट्टी बांधकर विरोध रैली निकालने निर्णय लिया गया है. श्री गुरूंग ने कहा कि इस रैली में वह भी उपस्थित रहेंगे. 4 जून से 8 जून तक दार्जिलिंग के अलावा कालिम्पोंग,मिरिक और कर्सियांग में भी विरोध प्रदर्शन किया जायेगा.