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मलंग शाह बाबा का 33वां सालाना उर्स कल से

सिलीगुड़ी. सूफी संत मलंग शाह बाबा का 33वां सालाना दो दिवसीय उर्स मेला 22 मई यानी सोमवार से शुरू होने जा रहा है. शहर के झंकार मोड़ के निकट स्थित दरगाह में 23 मई तक चलनेवाले इस मेले को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. पूरी दरगाह को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा […]

सिलीगुड़ी. सूफी संत मलंग शाह बाबा का 33वां सालाना दो दिवसीय उर्स मेला 22 मई यानी सोमवार से शुरू होने जा रहा है. शहर के झंकार मोड़ के निकट स्थित दरगाह में 23 मई तक चलनेवाले इस मेले को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. पूरी दरगाह को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. दरगाह कमेटी के सभी कार्यकर्ता कई रोज से ही जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं.

दरगाह के मौलाना नाजिर आलम ने बताया कि दो दिवसीय इस मेले के दौरान बाबा के मजार पर चादरपोशी के अलावा कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. साथ ही भागलपुर के मशहुर कलाकार इमरान कव्वाल अपने विशेष अंदाज में कव्वाली की महफिल सजायेंगे. मौलाना की माने तो दो दिवसीय उर्स मेले में केवल मुस्लिम धर्मावलंबी नहीं, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई सभी बाबा के मजार पर फरियाद करते हैं. उन्होंने बताया कि सच्चे मन से की गयी फरियाद बाबा जरूरत कबूल करते हैं. उनके दर से आजतक कोई भी खाली नहीं लौटा.

दरगाह का इतिहास
मौलाना साहब के अनुसार बाबा मलंग शाह की इस दरगाह का इतिहास 165 वर्ष पुराना है. अल्लाह के हुक्म पर सऊदी अरब से बाबा इंसानियत का काम करने सिलीगुड़ी आये थे. आज जिस जगह पर मजार व विशाल दरगाह है. उस जमाने में यहां चारों ओर जंगल था. इसके बावजूद उन्होंने इस जगह पर अपना कदम रखकर जगह को पाक बनाया. 15 वर्ष बाद ही बाबा दुनिया छोड़ गये और उनके अनुयायियों ने इस जगह पर मजार बना दिया. उनके मजार की सेवा करने और इसे सजाने के लिए बाद में यहां बाद में उनके खास अनुयायी सूफी दरवेश शमीम शाह मलंग बाबा आये. उन्होंने अपनी मेहनत से उनकी मजार को सजाया. उनके मजार के पास ही आज शमीम शाह बाबा का भी मजार है.

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