कॉपरेटिव बैंक की ओर से साफ बता दिया गया है कि वह इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकते. रिजर्व बैंक की ओर से पर्याप्त मात्रा में कैश उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. सोमवार से ही बैंक जाकर खाली हाथ लौट रहे हैं रहमान शेख नामक एक आलू किसान. 50 वर्षीय यह किसान अपनी पांच बीघा जमीन पर आलू की खेती करना चाहते हैं. इसके लिए बीज, खाद तथा अन्य सामग्रियों की खरीद के लिए 15000 रुपये चाहिए. चांचल केन्द्रीय कॉपरेटिव बैंक ने साफ कह दिया है कि उनके पास 15000 रुपये देने के लिए नहीं हैं. बैंक से लोन लेने की बात तो दूर, ऊपर से अपना ही पैसा नहीं मिलने से रहमान शेख काफी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि यदि सात दिनों के अंदर पैसे नहीं मिले, तो आलू की खेती नहीं कर पायेंगे. आलू की बुआई का मौसम तेजी से खत्म हो रहा है. गाजल ब्लॉक के शहजादपुर गांव के रहने वाले किसान अनिल बर्मन की भी कमोबेश यही स्थिति है. उनका कहना है कि पैसे की कमी से वह धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं. वर्तमान में बोरो धान की बुवाई का मौसम है. वह तीन बीघा जमीन पर बोरो धान की खेती करना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें 10000 रुपये की आवश्यकता है. महाजन भी ज्यादा ब्याज लेकर भी पैसे नहीं दे पा रहे हैं. उनके पास भी पैसा नहीं है. आखिर वह भी पैसे कहां से देंगे. समय पर पैसा नहीं मिलने से किसानों को भारी नुकसान होगा. किसानों की इस परेशानी की बात को बैंक के सीईओ अमिय राय ने भी स्वीकार कर लिया है.
उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार के इस निर्णय से खेती को काफी नुकसान होगा. मालदा जिले में कॉपरेटिव बैंक की 16 शाखाएं हैं. इसके अलावा 151 कृषि कॉपरेटिव समिति भी है. यह लोग किसानों से धन संग्रह कर उन्हें समय पर लोन भी देते हैं. कृषि कॉपरेटिव समिति के माध्यम से करीब 260 करोड़ रुपये का जमा होता है. 1000 तथा 500 के नोट रद्द होने के बाद से किसान इस बैंक से पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं. बैंक कर्मचारियों के सामने भी काफी विकट स्थिति है. इन लोगों को किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कि रिजर्व बैंक ने कॉपरेटिव बैंकों को एक तरह से तहस-नहस करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मालदा जिले में आरबीआई के निर्देश पर स्टेट बैंक तथा यूबीआई बैंक द्वारा कॉपरेटिव बैंकों को पैसे दिये जाते हैं. 11 नवंबर से ही इन दोनों बैंकों द्वारा पर्याप्त मात्रा में कैश नहीं दिये जाने की वजह से काफी समस्या हो रही है.