शहर में एक दर्जन से अधिक हुक्का बार
सिलीगुड़ी : शहर में बढ़ा रहा हुक्का बार का प्रचलन बच्चों के भविष्य को गर्त में ले जा रहा है. युवा हुक्का बार को मस्ती का पाठशाला मान रहे हैं. उन्हें यह नहीं पता की यह हुक्का बार उनके जान का दुश्मन है. हुक्का बार का खुमार 18 वर्ष से कम उम्र के किशोंरों में इस कदर चढ़ा है कि मानों इससे बड़ी मस्ती की जगह ही कहीं नहीं है.
शहर में हुक्का बार एक के बाद एक खुलते जा रहे हैं. पर, प्रशासन की ओर से इस पर लगाम लगाने की कोई कोशिश देखने को नहीं मिल रही है. वहीं, हुक्काबार के मालिकों की तो चांदी है. कम खर्च ज्यादें कमाई. फिर क्यों नहीं चलायें हुक्का बार. मासूमों की जिंदगी भले ही बर्बाद हो रही हो ,इससे हुक्का बार वालों को क्या करना. उनकी तो जेब भर रही हैं. शहर में हुक्का बार का क्रेज इस कदर बढ़ा है कि हर रेस्टोरेंट में भी हुक्का उपलब्ध हैं.
हुक्का पीने से तरह- तरह की बीमारी होती हैं फिर भी इसे बंद नहीं किया जा रहा है. हुक्का बार वाले हुक्का को सही ठहरा रहे हैं. वह समाज में मैसेज दे रहे हैं कि हुक्का आम, केला, सेव ,अनानास , नारंगी आदि फ्लेवर में उपलब्ध हैं. यह फ्रुट से बना है. हानिकारक नहीं हैं. जाहिर सी बात है कि हुक्का में जो भी फ्लेवर निकलाता है वह तो हुक्का पीने वाले के फेफड़े में धुआ बन कर ही जाता हैं. जो सेहत के लिए हानिकारक ही होगा. फिर भी लोग समझ नहीं पाते हैं.
शहर के छोटे-छोटे मासूम व स्कूली बच्चें हुक्का बार की गिरफ्त में आ गये हैं. उनका सेहत पर इसका असर पर रहा हैं. शहर में हुक्का बार का कई बार विरोध हुआ पर प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. शहर में हुक्का बार बंद करने की मांग बहुत दिनों से चल रही हैं पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही हैं. देखा जाये तो एक दर्जन से अधिक हुक्का बार इस समय चल रहे है.