जुवेनाइल होम के अधीक्षक प्रणय दे ने बताया कि दोनों बच्चों को 2015 में ही नाबालिगों की विशेष अदालत से बरी कर दिया गया था. लेकिन बच्चों के पिता ने कारा विभाग और होम को चिट्ठी लिखकर बताया कि बांग्लादेश में उनका कोई रिश्तेदार नहीं है. अगर ऐसे में दोनों बच्चों को स्वदेश भेजा गया तो वे वहां मुसीबत में पड़ सकते हैं. इसलिए जब तक हमारी रिहाई नहीं होती है, तब तक बच्चों को होम में ही रखा जाये. भक्त राय की यह अर्जी स्वीकार कर ली गयी और बच्चों को होम रहने की अनुमति दे दी गयी. इसके बाद यह निर्णय हुआ कि इस 15 अगस्त को भक्त राय और उनकी पत्नी को रिहा कर उन्हें उनके बच्चों के साथ कूचबिहार के चेंगड़ाबांधा सीमांत से वैध रूप से उनके देश भेज दिया जाये.
मृणाल और सौरभ ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं है. इसलिए वे लोग सीमा पार करके भारत में अपने एक रिश्तेदार के यहां आ गये. वे पांचवीं और चौथी कक्षा में पढ़ते थे. लेकिन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के चलते पढ़ना-लिखना मुश्किल हो गया था. जुवेनाइल होम के अधीक्षक ने बताया कि दोनों बच्चे अपने परिवार के साथ स्वदेश लौटने की खबर पाकर बहुत खुश हैं.