मालदा: छात्र-छात्राओं में नाराजगी के चलते गनीखान चौधरी के नाम पर बने केंद्रीय इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में कामकाज ठप है. बीते सोमवार से इंगलिशबाजार ब्लॉक के लक्ष्मीपुर इलाके में स्थित गनीखान चौधरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (जीकेसीआइइटी) में छात्र-छात्राओं ने ताला जड़ रखा है.
ओल्ड मालदा ब्लॉक के नारायणपुर इलाके में इस विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवन में भी आक्रोशित विद्यार्थियों ने ताला जड़ दिया. उनका आरोप है कि इस शिक्षा प्रतिष्ठान के विभिन्न पाठ्यक्रमों को मान्यता नहीं मिली हुई है. यहां तक कि कई विषयों में कोर्स पूरा कर लेने के बाद भी छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट नहीं मिला है. इसके अलावा विद्यार्थी विश्वविद्यालय में पठन-पाठन और अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार की मांग कर रहे हैं.
जीकेसीआइइटी के छात्र साजिद शेख, आलमगीर शेख, सफी शेख का आरोप है कि बीते छह सालों से इस विश्वविद्यालय में पढ़ाई चल रही है. अगस्त में बीटेक का पहला बैच बाहर निकलेगा. लेकिन अभी तक विभिन्न कोर्सों को मान्यता नहीं मिली है. परिणामस्वरूप छात्र-छात्राओं को कोई सर्टिफिकेट नहीं मिल पायेगा. हम लोग इसकी वजह से नौकरी और उच्च शिक्षा के अवसरों से वंचित हो जायेंगे.
आंदोलनकारी छात्र-छात्राओं ने बताया कि दो साल का बीटेक कोर्स खत्म होने को है. मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और फूड टेक्नोलॉजी- इन तीन कोर्सों में प्रत्येक में 30-30 विद्यार्थी हैं. इस तरह कुल 90 छात्र-छात्राएं बीटेक में हैं. आगामी अगस्त महीने में सभी पढ़कर निकल जायेंगे, लेकिन इन्हें सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा. ऐसी स्थित में इतने दिन इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में पढ़ाई का क्या फायदा? इसी तरह विश्वविद्यालय के और 850 छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है. विश्वविद्यालय प्रशासन इस बारे में बार-बार आश्वासन देता है, लेकिन होता कुछ नहीं है.
गौरतलब है कि ओल्ड मालदा के नारायणपुर इलाके में इस विश्वविद्यालय का स्थायी भवन पूरा होने को है. बीते छह सालों से यह विश्वविद्यालय अस्थायी भवन में इंगलिशबाजार के लक्ष्मीपुर में चल रहा है.
क्या है समस्या
छात्र-छात्राओं का कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, विश्वविद्यालय में तालाबंदी जारी रहेगी. एक नये व्यक्ति को विश्वविद्यालय के चेयरमैन की जिम्मेदारी दी गयी है, लेकिन बीते तीन महीनों में वह एक बार भी यहां नहीं आये हैं. विश्वविद्यालय की किसी समस्या के बारे में उन्हें फोन करने पर, वह फोन तक नहीं उठाते. इस विश्वविद्यालय में 13 कोर्सों के लिए आवश्यक शिक्षक नहीं हैं. अन्य स्टाफ भी कम है. प्रयोगशालाएं नहीं हैं. जबकि फीस सेमेस्टर के हिसाब से ली जाती है. छात्र-छात्राओं के भविष्य के बारे में सोचनेवाला कोई नहीं है.