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परिवर्तन की आंधी में उड़ गये थे अशोक भट्टाचार्य

नव सिखुआ रूद्रनाथ पड़े सब पर भारी, इस बार के चुनाव पर टिकी सबकी निगाहें, मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना सिलीगुड़ी : आने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा अभी भले ही नहीं हुयी हो,लेकिन सिलीगुड़ी में अभी से ही इसको लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गयी है़ ना केवल सभी राजनीतिक दल अपितु […]

नव सिखुआ रूद्रनाथ पड़े सब पर भारी, इस बार के चुनाव पर टिकी सबकी निगाहें, मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना
सिलीगुड़ी : आने वाले राज्य विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा अभी भले ही नहीं हुयी हो,लेकिन सिलीगुड़ी में अभी से ही इसको लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गयी है़ ना केवल सभी राजनीतिक दल अपितु आमलोग भी सिलीगुड़ी विधानसभा सीट को लेकर गुणा भाग करने में जुट गए है़ उत्तर बंगाल में इस शहर की अपनी महत्ता है और इसे उत्तर बंगाल की अघोषित राजधानी का दरजा मिला हुआ है़ यही वजह है कि इस विधानसभा सीट पर सिलीगुड़ी के साथ ही पूरे उत्तर बंगाल के लोगों की निगाहें लगी हुयी है़ इतना ही नहीं राज्य में सत्तारूढ़ तृणमल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा वाली है़
ममता बनर्जी किसी भी कीमत पर एक बार फिर से इस सीट पर कब्जा करना चाहती है़ सिलीगुड़ी विधानसभा सीट माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य के लिए परंपरागत सीट रही है़ वह यहां से कइ बार चुनाव लड़कर जीत चुके हैं. वह वाम मोरचा के शासनकाल में बीस वर्षों तक मंत्री भी रहे़ कभी उनकी यहां इतनी तूती बोलती थी कि विरोधी दल का कोइ कद्दावर नेता उनके सामने चुनाव में चुनौती देने नहीं आता था.
वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति थी़ सिलीगुड़ी के रहने वाले दो बड़े नेता तृणमूल कांग्रेस के गौतम देव और कांग्रेस के शंकर मालाकार उनके सामने चुनाव लड़ने नहीं आए़ तब कांग्रेस और तृणमल कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था़ गौतम देव जहां नवगठित डाबग्राम-फूलबाड़ी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े वहीं कांग्रेस की ओर से शंकर मालाकार ने भी नवगठित विधानसभा सीट माटीगाढ़ा नक्सलबाड़ी से किस्मत आजमाना सही समझा़ दोनों नेताओं की जीत भी हुयी और दोनों पहली बार विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे़
राजनीतिक सूत्रों की माने तो तब कोइ भी अशोक भट‍्टाचार्य के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं था़ तब उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे चिकित्सक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य को तृणमूल कांग्रेस की ओर से अशोक भट्टाचार्य के खिलाफ उतारा गया़ तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि नव सिखुआ डॉ़ भट्टाचार्य राजनीति के दिग्गज अशोक भट्टाचार्य को पटकनी दे देंगे़ तब राज्य में परिवर्तन की ऐसी आंधी थी कि उसमें अशोक भट्टाचार्य भी उड़ गए़
रूद्रनाथ ने उन्हें करीब पांच हजार वोटों से रौंद दिया़ उस चुनाव में रूद्रनाथ भट्टाचार्य 72019 और अशोक भट्टाचार्य 67013 वोट पाने में कामयाब रहे थे़ भाजपा के अमर प्रधान को मात्र 6069 वोट प्राप्त हुआ था़ तब से लेकर अबतक काफी कुछ बदल चुका है़ पूरे राज्य में तृणमूल उफान पर है़ कइ चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को सफलता हासिल हुयी है़ यह अलग बात है कि सिलीगुड़ी में पार्टी को एक पर एक हार का सामना करना पड़ा है़ पहले सिलीगुड़ी नगर निगम और बाद में सिलीगुड़ी महकमा परिषद के चुनाव में पार्टी की भद पिट गयी़ इसके अलावा लोकसभा चुनाव के समय भाजपा की लोकप्रियता काफी अधिक थी़
मोदी लहर की बदौलत भाजपा ने राज्य में करीब पंद्रह प्रतिशत वोट हासिल किए़ लोकसभा चुनाव के दौरान सिलीगुड़ी विधानसभा इलाके में भी भाजपा ने ही बाजी मारी थी़ दार्जिलिंग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के एस एस अहलुवालिया को सिलीगुड़ी के लोगों ने जी खोलकर वोट दिया़ सिलीगुड़ी नगर निगम में वार्डों की संख्य 47 है इनमे से 33 वार्ड सिलीगुड़ी विधानसभा सीट के अधीन है़
इन 33 वार्डों में ही भाजपा उम्मीदवार एसएस अहलुवालिया को बढ़त मिली थी़ वह यहां से 58730 मत पाने में कामयाब रहे थे़ तृणमूल उम्मीदवार को दूसरा और माकपा उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था़
तृणमूल के बाइचुंग भुटिया 51208 और वाम मोरचा के जीवेश सरकार को 31404 वोट प्राप्त हुआ था़ कांग्रेस के सुजय घटक मात्र 13262 वोट पाने में कामयाब रहे थे़ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अब पहले जैसी स्थिति नहीं है़ भाजपा की लहर सिर्फ सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में खत्म हो चुकी है़ इस बाद के विधानसभा चुनाव में सिलीगुड़ी सीट से जीत का दावा कोइ भी नहीं कर सकता़ राजनीतिक विश्लेशकों के अनुसार इस बार सिलीगुड़ी सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा़ अभी यह तय नहीं है कि वामो और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा़ अगर होता भी तो इस सीट से वाम मोरचा की ओर से एक बार फिर अशोक भट्टाचार्य ही चुनाव लड़ेंगे़ तृणमूल की ओर से हो सकता है कि कोइ नया उम्मीदवार मैदान में उतारा जाय़ पार्टी की अंदरूनी सूत्रों पर यदि भरोसा करें तो एसजेडीए में कथित घोटाला सामने आने के बाद उनका पत्ता कटना तय है़
मुख्यमंत्री पहले ही उनको एसजेडीए के चेयरमैन पद से हटा चुकीं हैं. सूत्रों ने बताया कि सिलीगुड़ी विधानसभा सीट से पार्टी एक बार फिर से किसी गैर राजनीतिक ब्यक्ति को उम्मीदवार बना सकती है़
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार यहां कांटे का मुकाबला होगा़ सिलीगुड़ी नगर निगम में चुनाव में जीत के बाद वामो का हौसला बुलंद है़ सिलीगुड़ी नगर निगम के सैंतालिस वार्डों में से 33 वार्ड सिलीगुड़ी विधानसभा के अधीन है़ इनमें से 15 पर वाम मोरचा का,11 पर तृणमूल का,चार पर कांग्रेस का,दो पर भाजपा का और एक पर निर्दलीय का कब्जा है़
इसी दम पर वामो यहां से जीत के सपने देख रहा है़ दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस को अपनी सरकार द्वारा किये गए विकास कार्यों और ममता मैजिक पर भरोसा है़ कुल मिलाकर इस बार यहां मुकाबला दिलचस्प और कांटे की होने की संभावना है़

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