उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष बंद मधु चाय बागान अब तक नहीं खुला है. इसी बीच चाय बागान के कई श्रमिक भूख व चिकित्सा के अभाव में मारे गये हैं. सुब्रती के पिता विश्वेशर बराईक बागान के फैक्टरी में काम करते थे. सुब्रती की मां बागान की अस्थायी श्रमिक हैं. बागान बंद होने की वजह से सुब्रती के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब है. परिवार की ऐसी परिस्थिति के वावजूद सुब्रती का कराटे ओर झुकाव देखकर परिवार ने उसका समर्थन किया है. प्रतियोगिता में बेटी के चैंपियन होने ती जानकारी मिलते ही परिवार एवं पड़ोसियों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी.
वर्ष 2009 से सुबर्ती कराटे का प्रशिक्षण ले रही है. अब तक सुब्रती कई प्रतियोगिता में मेडल प्राप्त कर चुकी है. सुब्रती के प्रशिक्षक अप्रा दे ने बताया कि आधा पेट खाकर भी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में सुब्रती ने अपने कारनामे से सबको आश्चर्यचकित कर दिया है. सुब्रती के पिता विश्वेशर बराईक ने बताया कि आर्थिक अभाव के कारण सुब्रती माध्यमिक पास करने के बाद उच्च शिक्षा नहीं ले पायी. कराटे में उसकी काफी रूची थी एवं अपने कारनामे से पूरे परिवार को सुब्रती ने प्रफुल्लित कर दिया है.