सिलीगुड़ी : करीब एक सप्ताह से सिलीगुड़ी के शहरी इलाके में छिपे रहने के बाद तेंदुए को पकड़ गया. लेकिन उसे जंगल में छोड़ने के बजाए सुकना के वाइल्ड लाइफ अस्पताल ले जाया गया है. तेंदुआ शारीरिक रूप से अस्वस्थ बताया गया है. उसके शरीर पर कई जख्म के निशान पाये गये हैं. उसे अगले कुछ दिनों तक डॉक्टर की निगरानी में रखा गया है.
स्वस्थ होने पर ही उसे जंगल में छोड़ा जायेगा.
बीते सोमवार को फिर से तेंदुआ सेवक रोड पर चेकपोस्ट स्थित एक परित्यक्त गोडाउन इलाके में देखा गया. वन विभाग ने तेंदुए को तलाशने के लिए पूरे दमखम के साथ इलाके में उतरी. गोडाउन के आस-पास दो पिंजरे लगाया गये. मंगलवार देर रात तेंदुआ पिंजरे में फस गया. बुधवार को उसे जंगल में छोड़ने की कवायद शुरू की गयी, तो वनकर्मियों ने तेंदुए को जख्मी पाया.
इसके बाद उसे सुकना स्थित वाइल्ड लाइफ अस्पताल ले जाया गया. सुकना के वाइल्ड लाइफ स्क्वॉड के सहायक वाइल्ड लाइफ वार्डन जयंत मंडल कि यह एक मादा तेंदुआ है. उसकी चिकित्सा शुरू कर दी गयी है. अगले कुछ दिन तक उसे ऑब्जरवेशन में रखना होगा. उत्तर बंगाल के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन पाल एमआर बालोच ने बताया कि तेंदुए के आंख में एक पुराना जख्म है.
इसके साथ ही पिछले एक सप्ताह में उसके शरीर पर कई जख्म भी पड़े हैं. उसके शरीर के पिछले हिस्से में एक गहरा जख्म हुआ है. उसकी चिकित्सा कराये बिना जंगल में छोड़ने मुनासिब नहीं था. इसीलिए उसे सुकना के वाइल्ड लाइफ अस्पताल में भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस तेंदुए ने सालूगाड़ा रेंज के अंतिम छोर से एक कुत्ते के पीछे-पीछे शहरी इलाके में प्रवेश किया था.
एक सप्ताह पहले दो मई की रात करीब 9 बजे सिलीगुड़ी के निकट चेकपोस्ट स्थित एक शॉपिंग मॉल के विपरीत एक परित्यक्त गोडाउन के आस-पास पहली बार यह तेंदुआ देखा गया था. शहरी इलाके में चीते के प्रवेश की खबर फैलते ही पूरे शहर में दहशत फैल गयी. अलगे दिन सुबह सालूगाड़ा वन विभाग व टास्क फोर्स ने मिलकर पूरा इलाका सर्च किया.
पटाखे भी फोड़े, लेकिन तेंदुए का कोई पता नहीं चला. इसके बाद वन विभाग ने तेंदुए को फंसाने के लिए उस परित्यक्त गोडाउन के पास एक पिंजरा लगाया. लेकिन गत रविवार तक चीते की हरकत नहीं दिखी. हालांकि वन विभाग को पूरा अनुमान था कि तेंदुआ कहीं दुबक कर बैठा है. किसी भी जगह पर लंबे समय तक छिपकर रहने में तेंदुआ माहिर होता है.