आसनसोल : रानीगंज थाने में दर्ज दो प्राथमिकी के संबंध में आसनसोल संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी बाबुल सुप्रियो मंगलवार को आसनसोल कोर्ट में सरेंडर करेंगे. नजदीकी सूत्रों का दावा है कि उन्हें आसानी से इन दो मामलों में जमानत मिल जायेगी. रानीगंज थाना कांड संख्या 129/14, भादवि की धारा आठ (बी)(दो) ऑफ द नेशनल हाइवे एक्ट 1956 के तहत उन पर बिना अनुमति नेशनल हाइवे सरख जाम करने का आरोप है.
जबकि रानीगंज थाना कांड संख्या 130/14 में उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की प्राथमिकी दर्ज है. इधर पुलिस सूत्रों ने कहा कि इन दोनों मामलों की जांच चल रही है. उन्हें कोर्ट में सरेंडर करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया गया है.
मालूम हो कि 12 अप्रैल को एगरा में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रार्थी श्री सुप्रियो व उनके समर्थकों के साथ तृणमूल समर्थकों ने मारपीट की थी. इसके विरोध में समर्थकों ने उसी दिन रानीगंज में एनएच 60 जाम किया था. इस संबंध में तीन प्राथमिकी दर्ज हुई. पहली प्राथमिकी श्री सुप्रियो ने तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष डॉ सेनापति मंडल व समर्थकों के खिलाफ दर्ज करायी.
इसमें डॉ मंडल सहित अधिसंख्य आरोपियों ने जमानत ले ली है. दो प्राथमिकी श्री सुप्रियो के खिलाफ दर्ज हुई. पहली सड़क जाम करने की तथा दूसरी मारपीट के दौरान अवैध हथियार रखने की. इन तीन मामलों में रानीगंज के सीआई वामापदो दास ने श्री सुप्रियो को 15 अप्रैल को नोटिस जारी किया. 17 अप्रैल को श्री सुप्रियो से सीआई श्री दास ने अपने कार्यालय में ढ़ाई घंटों तक पूछताछ की. इसके बाद श्री सुप्रियो चुनाव प्रचार में लग गये.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि तीनों ही मामलों में पूछताछ चल रही है. इस कारण उनकी गिरफ्तारी का कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उन्हें कोर्ट में जाने की भी सलाह या निर्देश नहीं दिया गया है.
इधर भाजपा के जिलाध्यक्ष निर्मल कर्मकार ने कहा कि श्री सुप्रियो की बेटी की परीक्षा समाप्त हो गयी है और वे उसे लेने मुंबई चले गये हैं. वे सोमवार को लौटेंगे और मंगलवार को आसनसोल कोर्ट में सरेंडर करेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी और वे स्वयं नहीं चाहते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान पुलिस या कोई अन्य राजनीतिक दल के नेता उनके प्रचार में बाधा न पहुंचा पाये. जिस तरह से श्री सुप्रियो पर शराब पीकर प्रचार करने का झूठा आरोप झूठा साबित हो गया, उसी तरह आर्म्स एक्ट का मामला भी झूठा साबित हो जायेगा. इसके लिए वे लोग बेफिक्र हैं. लेकिन उन्हें संदेह है कि चुनाव प्रचार के दौरान पुलिस व अन्य राजनीतिक दल नेता उनके प्रचार में किसी न किसी तरह की कानूनी बाधा पहुंचा सकते है, इसलिए वे लोग कोर्ट में संरेडर कर रहे हैं.