22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गोरखालैंड आंदोलन विरोधी लड़ाई में अब कूदा जनता दल यूनाइटेड कहा, विमल गुरूंग को चुकाना होगा हिसाब

सिलीगुड़ी. अब गोरखालैंड विरोधी राजनैतिक लड़ाई के मैदान 40 दिनों के बाद जनता दल (यूनाइटेड) कहने का मतलब जदयू भी कूद पड़ा है. सोमवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता आयोजित कर जदयू के नेताओं ने इस राजनैतिक लड़ाई में मीडिया के सामने अपनी मौजूदगी दर्ज करायी. पार्टी के दार्जिलिंग जिला इकाई के अध्यक्ष भूषण […]

सिलीगुड़ी. अब गोरखालैंड विरोधी राजनैतिक लड़ाई के मैदान 40 दिनों के बाद जनता दल (यूनाइटेड) कहने का मतलब जदयू भी कूद पड़ा है. सोमवार को सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में प्रेस-वार्ता आयोजित कर जदयू के नेताओं ने इस राजनैतिक लड़ाई में मीडिया के सामने अपनी मौजूदगी दर्ज करायी. पार्टी के दार्जिलिंग जिला इकाई के अध्यक्ष भूषण सोनी ने मीडिया के सामने गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर पहाड़ पर गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) द्वारा जारी हिंसक आंदोलन के पीछे तीसरी ताकत किसी ‘विदेशी शक्ति’ होने का दावा किया. उनका दावा है कि आंदोलन के आड़ में पहाड़ पर जिस तरह आंदोलनकारी खून-खराबा, आगजनी और ऐतिहासिक धरोहरों को नष्ट कर रहे हैं, इसके लिए आंदोलनकारियों को आग्नेयास्त्र भी विदेशी शक्तियों से ही मुहैया कराया जा रहा है.

श्री सोनी ने हुंकार भरते हुए कहा कि आंदोलन के नाम पर पहाड़ पर नष्ट किये जा रहे ऐतिहासिक धरोहर व सरकारी संपत्तियां गोजमुमो की नहीं है. ये सभी संपत्तियां बंगाल में रहनेवाली आम जनता और सरकार की है. इसका पायी-पायी का हिसाब मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग को देना होगा. श्री सोनी ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर पहाड़ को बंगाल से अलग नहीं होने देंगे.

दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र बंगाल का दिल ही नहीं, बल्कि विश्व मानचित्र पर बंगाल और भारत का मान है. उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग भारत में देशी-विदेशी सैलानियों का पहला पसंदीदा पर्यटन केंद्र है. यहां के पर्यटन एवं उससे जुड़े उद्योगों पर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से लाखों लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है. लेकिन लगातार आंदोलन की वजह से पहाड़ से समतल तक के लोगों की जिंदगी नारकीय हो गयी है. उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार एकमात्र मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग को ठहराया, साथ ही उनकी जल्द गिरफ्तारी की वकालत की. उपाध्यक्ष हरद्वार सिंह ने यह दावा करते हुए कहा कि गोरखालैंड की मांग असंवैधानिक है. जब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे तभी गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर गोरामुमो सुप्रीमो सुभाष घीसिंग ने भी उनसे वकालत की थी. लेकिन बाजपेयी ने केवल एक सांसदीय क्षेत्र के बल पर अलग राज्य गठन करने के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया था. श्री सिंह का कहना है कि राज्य सरकार के पहल पर जब पहाड़ के विकास के लिए जीटीए गठित किया गया तब भी इसका सबसे पहले विरोध एक मात्र जदयू ने किया था.

त्रिपक्षीय वार्ता जल्द शुरू हो
उन्होंने कहा कि पहाड़ की बिखरी जिंदगी को वापस पर पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार को केंद्र के पास त्रिपक्षीय बातचीत करने का प्रस्ताव जल्द देना चाहिए. पहाड़ पर स्थिति सामान्य करने के लिए केंद्रीय हस्तक्षेप, जल्द त्रिपक्षीय बैठक और विमल गुरुंग की जल्द गिरफ्तारी की मांग को लेकर मंगलवार को सिलीगुड़ी महकमा अधिकारी (एसडीओ) के मारफत राज्यपाल को जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से ज्ञापन भी सौंपा जायेगा. प्रेस-वार्ता के दौरान पार्टी के जिला कमेटी के महासचिव स्वपन दास, सिलीगुड़ी विधानसभा इकाई के अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता, अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के दार्जिलिंग जिला इकाई के अध्यक्ष अशरफ अली, महिला कार्यकर्ता जोसना चक्रवर्ती व दीपामाला साह भी मौजूद थी.
केंद्र नहीं दे रहा गोजमुमो नेताओं को भाव
सिलीगुड़ी. रोशन गिरि के नेतृत्व में दिल्ली गयी गोजमुमो की टीम को केंद्रीय नेता कोई भाव नहीं दे रहे हैं. करीब एक सप्ताह से भी अधिक समय से गोजमुमो के 10 नेता दिल्ली में हैं और अब तक न तो केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और न ही किसी अन्य केंद्रीय मंत्री से उनकी मुलाकात हुई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक के दिल्ली प्रवास के दौरान गोजमुमो नेता सिर्फ एनसीपी सांसद माजिद मेनन से मिल पाये है. आलम यह है कि दार्जिलिंग के सांसद एसएस अहलुवालिया भी इनसे मिलने में आनाकानी कर रहे हैं. इसकी वजह से गोजमुमो शिविर में खलबली मच गयी है. हालांकि कोई नेता इस मामले में कुछ खुल कर कहना नहीं चाहते. गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मोरचा नेता तथा गोरखालैंड मूवमेंट को-ऑर्डिनेशन (जीएसमसीसी) के अध्यक्ष कल्याण देवान सोमवार को अचानक दिल्ली रवाना हो गये. वह दार्जलिंग से बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचे और पांच बजे के करीब नियमित सेवा विमान से दिल्ली चले गये. उनसे जब बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि एक तारीख को जीएमसीसी की बैठक दिल्ली में होनेवाली है. इसी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए वह दिल्ली जा रहे हैं. इससे आगे उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. इस बीच जीएमसीसी में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. जीएमसीसी के सदस्यों का कहना है कि मोरचा नेता अपनी मरजी चला रहे हैं. जीएमसीसी के गठन के बाद भी गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग आंदोलन की कमान अपने ही हाथों में रखना चाहते हैं.यही कारण है कि दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए रोशन गिरि के नेतृत्व में जो भी नेता गए हैं,वह सभी गोजमुमो के हैं.

जबकि जीएमसीसी सदस्यों को कहना है कि दिल्ली में मोरचा के साथ ही जीएमसीसी के सदस्यों की भी भागीदारी हो.इससे पहले ही जीएमसीसी में शामिल हर्क बहादुर के तेनृत्व वाली जन आंदोलन पार्टी ने गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. नाम लिये बगैर इसके नेता हर्क बहादुर छेत्री ने सिलीगुड़ी में कहा था कि जीएमसीसी द्वारा कोई रणनीति तय करने से पहले ही गोजमुमो की ओर से नये आंदोलन का ऐलान कर दिया जाता है. आमरण अनशन करने को लेकर जीएमसीसी में कोई बातचीत नहीं हुई और गोजमुमो ने एक तरफा तरीके से आमरण अनशन का ऐलान कर दिया है. हर्क बहादुर छेत्री सिलीगुड़ी में पिछले दिनों संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि गोजमुमो नेता पहाड़ के लोगों का भरोसा खो चुके हैं.

यही वजह है कि गोरखालैंड आंदोलन पर अब उनका नियंत्रण नहीं रहा है. वह चाह कर भी आंदोलनकारियों को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं. इसी वजह से पहाड़ पर हिंसक घटनाएं हो रही है. एक तरह से कहा जाए तो पूरे गोरखालैंड आंदोलन को लेकर पहाड़ की आम लोगों ने हाईजैक कर लिया है. अब चाह कर भी कोई आम लोगों को नियंत्रित नहीं कर सकता. इसके साथ ही वर्तमान गोरखालैंड आंदोलन के दौरान ही पहाड़ पर एक नये नेतृत्व के भी उभरने की संभावना है. श्री छेत्री ने कहा कि पहाड़ पर बेमियादी बंद की वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. खाने-पीने का घनघोर संकट है. उसके बाद भी बेमियादी बंद होने की संभावना दूर दूर तक नहीं है. पहाड़ के लोगों में यह घर कर गयी है कि चाहे जितना भी कष्ट सहना पड़े वे लोग अलग राज्य गोरखालैंड लेकर रहेंगे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें