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सरकार की जूट पैकेजिंग में ढील देकर 50% पर लाने की योजना
बंगाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की संभावना कोलकाता : केंद्र ने खाद्यान्नों की पैकेजिंग के लिए जूट पैकेजिंग की अनिवार्यता में ढील देकर इसे अगले सात साल में 90 से 50 प्रतिशत पर लाने की योजना बनायी है. ऐसी आशंका है कि इससे पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. […]
बंगाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगने की संभावना
कोलकाता : केंद्र ने खाद्यान्नों की पैकेजिंग के लिए जूट पैकेजिंग की अनिवार्यता में ढील देकर इसे अगले सात साल में 90 से 50 प्रतिशत पर लाने की योजना बनायी है. ऐसी आशंका है कि इससे पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है. यहां लाखाें लोग इस क्षेत्र पर निर्भर हैं. जूट उद्योग से जुड़े लोगों ने बताया कि इस साल से शुरु हो रही योजना के तहत प्रत्येक वर्ष इस अनिवार्यता में पांच प्रतिशत की छूट दी जायेगी.
अगले सात साल में इसे घटाकर 90 से 50 प्रतिशत पर लाया जायेगा. जूट पर स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) ने 2017-18 के खरीद सत्र के लिए खाद्यान्नाें की जूट पैकेजिंग आदेश में पांच प्रतिशत की ढील देकर इसे 85 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. वर्ष 2016-17 तक कुल खाद्यान्न का 90 प्रतिशत तथा चीनी का 20 प्रतिशत जूट बैग में पैक करना अनिवार्य है.
सूत्राें ने कहा कि केंद्र का फैसला सचिवाें की समिति (सीओएस) द्वारा अप्रैल 2016 की गयी सिफारिशाें पर आधारित है. जूट पैकेजिंग मैटिरियल्स ( जिंसाें) की पैकेजिंग में अनिवार्य इस्तेमाल- कानून 1987 के तहत एजेंसियाें के लिए खाद्यान्न और चीनी की पैकेजिंग जूट बैग में करना अनिवार्य है. जिंसाें की कितनी मात्रा में पैकेजिंग जूट बैग में होगी, यह निर्णय हर साल सरकार द्वारा स्थायी सलाहकार समिति की सिफारिशाें पर किया जाता है. जूट उद्योग 8500 करोड़ रुपये मूल्य के 200 करोड़ जूट बैगाें का उत्पादन करता है. अनिवार्य पैकेजिंग नियमाें में ढील से इस उद्योग को 3500 से 4000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान होगा.
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