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कभी नवाबों का महल, अब बना खंडहर…

कोलकाता : सोमवार की रात तकरीबन 9.30 बजे खाना खाने के बाद मैं सोने की तैयारी कर रहा था. मेरे कमरे की खिड़की से लाल कोठी दिखती है. पलंग पर अभी गया ही था कि बाहर से लोगों की चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनायी दी. खिड़की से मैं जब बाहर झांका, तो बाहर का नजारा देख […]

कोलकाता : सोमवार की रात तकरीबन 9.30 बजे खाना खाने के बाद मैं सोने की तैयारी कर रहा था. मेरे कमरे की खिड़की से लाल कोठी दिखती है. पलंग पर अभी गया ही था कि बाहर से लोगों की चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनायी दी. खिड़की से मैं जब बाहर झांका, तो बाहर का नजारा देख मेरी आंखें-खुली की खुली रह गयी. हमारे घर के ठीक सामने स्थित 3 नंबर अमरतल्ला लेन की लाल कोठी धू-धू कर जल रही थी. ये बातें 13 नंबर अमरतल्ला लेन में रहनेवाले इमरान अंसारी ने कहीं.
सोमवार की उस काली रात के दृश्य को याद करते हुए अंसारी भाई बताते हैं कि लाल कोठी हमारे इलाके की पहचान हुआ करती थी. करीब 200 साल पुरानी लाल कोठी बेहतरीन नक्काशी का नमूना थी. कभी यह नवाबों का महल हुआ करता था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन यह लाल कोठी लाल अंगारे में तब्दील होकर खंडहर बन जायेगी.
श्री अंसारी कहते हैं कि लोग भाग रहे थे. जब मैंने खिड़की से बाहर झांका तो, आग की लपटें इतनी तेज थीं कि उसकी आंच मेरे घर तक आ रही थीं. यह मंजर देख मैं बगैर देर किये अपने भाई, उसकी पत्नी, अपने बच्चों और पत्नी के साथ मां को लेकर घर से बाहर भागा. रात 10 बजे तक हमारे परिवार के सभी सदस्य घर से बाहर आ चुके थे. घरवालों को बाहर निकालने के बाद घर में रखे सारे जरूरी सामान और कागजातों को उठाकर कर मैं बाहर निकाल लिया था. तब तक आग की लपटें मेरे घर को छूने लगी थीं. असारी भाई कहते हैं कि मैं अल्लाह का शुक्रगुजार हूं कि तब तक दमकलवालों ने आग को मेरे घर तक पहुंचने से पहले आग पर काबू पा लिया था..

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