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विदेशी संस्थानों की निकासी का विश्लेषण कर रहा सेबी
कोलकाता. अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में देश के प्रतिभूति बाजार से 11 अरब डालर विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ) की निकासी का विश्लेषण किया जा रहा है ताकि इस बारे में नोटबंदी के असर का आकलन किया जा सके. बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि इसका विश्लेषण किया जा […]
कोलकाता. अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में देश के प्रतिभूति बाजार से 11 अरब डालर विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआइ) की निकासी का विश्लेषण किया जा रहा है ताकि इस बारे में नोटबंदी के असर का आकलन किया जा सके. बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि इसका विश्लेषण किया जा रहा है लेकिन इसमें तीन चार महीने लगेंगे. आलोच्य अवधि में नोटबंदी की घोषणा के साथ अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव व फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी सहित कई अन्य वैश्विक घटनाएं भी हुई हैं. रपटों के अनुसार नोटबंदी की घोषणा के तुरंत बाद ही बर्हिप्रवाह देखने को मिला जिसे पूंजी बर्हिप्रवाह का एक कारण माना जा रहा है.
पी नोट्स के जरिये पोर्टफोलियो निवेश घटकर आठ प्रतिशत पर भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये विदेशी पोर्टफोलियो निवेश अब घटकर मात्र आठ प्रतिशत रह गया है. पी-नोट्स के जरिये निवेश को लेकर सूचना के नियम मजबूत किये जाने के बाद इस रास्ते से निवेश घटा है. सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने एक कार्यक्रम में कहा कि देश में 50 प्रतिशत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पी-नोट्स के जरिये आता था. अब यह आंकड़ा घटकर सिर्फ आठ प्रतिशत पर आ गया है.
उन्होंने कहा कि कुछ हलकों में यह चिंता जतायी जा रही थी कि भारतीय मूल के कुछ लोगों द्वारा पी-नोट्स के जरिये एफपीआइ मार्ग का दुरुपयोग किया जा रहा है. हम इस वित्त वर्ष में ऐसे दुरपयोग को रोकने में कामयाब रहे हैं.
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