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नेताओं व कार्यकर्ताओं के दल बदलने से दबाव में वाम मोरचा

कोलकाता. राज्य में विधानसभा चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस में विपक्षी दलों के कई नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए व दुर्गापूजा के बाद कई के शामिल होने की संभावना है. नेताओं और कार्यकर्ताओं के दल बदलने से वाम मोरचा खेमे में भी दबाव बना हुआ है. माकपा के कई नेताओं […]

कोलकाता. राज्य में विधानसभा चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस में विपक्षी दलों के कई नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए व दुर्गापूजा के बाद कई के शामिल होने की संभावना है. नेताओं और कार्यकर्ताओं के दल बदलने से वाम मोरचा खेमे में भी दबाव बना हुआ है.

माकपा के कई नेताओं का दावा है कि राज्य में पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गयी. आरोप के अनुसार सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस लोकतांत्रिक नियमों की अनदेखी करते हुए राज्य को विरोधी शून्य बनाने की कोशिश में जुटी हुई है. केवल वामपंथी दल ही नहीं, बल्कि कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को तोड़ने की कोशिश जारी है. इस वर्ष विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद राज्य के विभिन्न निकायों के पार्षद और पंचायत के सदस्य तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं.

इसकी वजह से विपक्षी दलों के अधीनस्थ निकायों और पंचायतों पर सत्तारूढ़ दल ने कब्जा जमा पाने में सफलता हासिल की. इतना ही नहीं प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मानस भुइंया समेत कांग्रेस के पांच और माकपा के एक विधायक के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने से राज्य में विपक्ष और कमजोर हुआ है. विपक्षी दलों के विधायकों की संख्या घट गयी है. माकपा के राज्य सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में राज्य की स्थिति और भी विषम होती जा रही है.

आरोप के अनुसार सत्तारूढ़ दल गैर लोकतांत्रिक तरीके से राज्य को विरोधी शून्य बनाने की कोशिश में जुटा है. विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले तो हो रहे हैं, साथ ही उन्हें तोड़ने की मुहिम भी जारी है. माकपा नेता ने दावा किया है कि राज्य में वामपंथी ही एकमात्र विकल्प हैं. वामपंथी जनहित से जुड़े मुद्दों पर लगातार आंदोलनरत हैं. गैर लोकतांत्रिक तरीके से विपक्षी दलों को तोड़ने की बात स्वीकार नहीं की जायेगी. तृणमूल सरकार की नीतियों के खिलाफ नवंबर में माकपा व अन्य वामपंथी दलों की ओर से राज्यव्यापी आंदोलन किया जायेगा.

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