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प्यार से खत्म होगी नफरत

कोलकाता. चौपाल का इतिहास वैदिक युग से शुरू हुआ है. बंगाल में अड्डा की शुरुआत 19वीं सदी से हुई है. अड्डा के माध्यम से समाज से जुड़ीं कई समस्याओं का हल भी निकला है. आंदोलन की शुरुआत भी हुई. उन्होंने कहा कि विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है. वर्तमान […]

कोलकाता. चौपाल का इतिहास वैदिक युग से शुरू हुआ है. बंगाल में अड्डा की शुरुआत 19वीं सदी से हुई है. अड्डा के माध्यम से समाज से जुड़ीं कई समस्याओं का हल भी निकला है. आंदोलन की शुरुआत भी हुई. उन्होंने कहा कि विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है. वर्तमान में स्थिति काफी विषम होती जा रही है.
नफरत का दौर जैसे शुरू हो गया है. उप महादेश में नफरत का खतरा मंडराने लगा है. प्यार और शांति से नफरत को खत्म किया जा सकता है. भारत ही शायद पूरे विश्व में ऐसा देश है, जहां इतनी भाषाएं बोली जाती हैं. हर धर्म के लोग रहते हैं. उनकी एकता और अखंडता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक छोटे से मंच में आयोजित चौपाल में हर धर्म के लोग मौजूद रहे. प्यार की पहल से हमारे पड़ोसी देश और पूरे विश्व को एक संदेश जायेगा. यह संदेश अंतरराष्ट्रीय भाईचारा और विश्व बंधुत्व से जुड़ा होगा. ये बातें वरिष्ठ पत्रकार गीतेश शर्मा ने कहीं. वह रविवार को डायलॉग सोसाइटी और प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चौपाल का संचालन कर रहे थे. चौपाल का आयोजन जन संसार सभागार में हुआ. चौपाल का विषय ‘अंतरराष्ट्रीय भाईचारा और विश्व बंधुत्व’ था.
मुख्य बात यह है कि चौपाल के दौरान हिंदी, बांग्ला, उर्दू, पंजाबी और नेपाली भाषा के साहित्यकार व कवि मौजूद थे. उपरोक्त मुद्दे को लेकर विशिष्टजनों ने अपने विचार रखे. साथ ही कविता पाठ भी किया गया. चौपाल में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद आइसीसीआर के आंचलिक निदेशक गौतम दे ने कहा कि एकता और अखंडता का देश भारत है.
हमारे देश की संस्कृति पूरे विश्व में अग्रणी है. शायद ही ऐसा देश है, जहां भारत की तरह सबसे ज्यादा भाषाएं बोली जाती हों. यहां हिंदू, मुसलिम, सिख, ईसाई, बौद्ध व अन्य धर्म के लोग निवास करते हैं. मौजूदा विषम परिस्थिति में हमें एकजुट रह कर एकता और अखंडता के दौर को जारी रखना होगा. इसके लिए हमें एक सच्चे भारतीय बनने के साथ एक अच्छा इनसान बनने की जरूरत है. चौपाल के दौरान आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अरूण पांडेय, प्रोफेसर आशीष सान्याल ने अपनी बातें रखीं, जबकि डॉ शाहिद फरोगी ने शायरी कही.
रवि प्रताप सिंह की कविता से लोग काफी मुग्ध हुए. अशोक झा ने मैथिली भाषा में कविता पाठ कर अपनी बातों को सामने रखा. नेपाली भाषा में नारायण होमागाय ने कविता सुनायी. वरिष्ठ अनुवादक प्रेम कपूर और कवयित्री कुसुम जैन, जरीना जरीन, डाॅ करूणा पांंडेय, जितेंद्र धीर, शाहिद हुसैन शाहिद समेत अन्य गणमान्य लोगों ने कविता पाठ किया व अपनी बातेें कहीं. इस मौके पर मोहन कुमार, संचारी भादुड़ी, रामकरण गुप्ता, रोहिणी शर्मा, बनवारी शर्मा, आलोक बंद्योपाध्याय समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे.

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