गंठबंधन को शक्ल देने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भट्टाचार्य ने कहा, ‘हम बहुत अच्छी तरह समझ सकते हैं कि कांग्रेस के साथ गंठबंधन में सुधार संबंधी यह फैसला माकपा नेताओं के एक हिस्से के अंध कांग्रेस विरोध के रुख से प्रेरित है. मैं कहना चाहूंगा कि अगर वे जनता के गंठबंधन से बाहर निकलते हैं और जनता की उम्मीदों के साथ विश्वासघात करते हैं तो यह माकपा की तरफ से ऐतिहासिक भूल होगी.’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा: मैं इस मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि मैं माकपा के केंद्रीय नेतृत्व या सीताराम येचुरी के साथ गंठबंधन करने नहीं गया. देखते हैं कि माकपा के प्रदेश नेताओं का इस संबंध में क्या कहना है. अगर वे गंठबंधन में नहीं बने रहना चाहते हैं तो हम क्या कह सकते हैं. हम अकेले लड़ेगे.’ माकपा की केंद्रीय समिति ने तीन दिनों तक चली बैठक के बाद कहा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ गंठबंधन करने की चुनावी रणनीति केंद्रीय समिति के फैसले के अनुरुप नहीं थी और इसे सुधारा जाना चाहिए.