उन्होंने हमेशा से ही नीतिगत बातें कही हैं. स्टिंग ऑपरेशन में जिन नेताओं को रुपये लेते दिखाया गया है, उन्हें ही विधानसभा चुनाव के प्रचार में आगे रखा गया. इससे सारी बातेें स्पष्ट हो जाती हैं. मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस की संसदीय समिति की बैठक हुई थी. बैठक के बाद लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य सचेतक सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा था कि उन्हें पहले सचेत किया जायेगा और अगर किसी भी तरह का बदलाव उनके अंदर नहीं आया, तो पार्टी उनके विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है.
ध्यान रहे कि नारद स्टिंग ऑपरेशन के वीडियों में तृणमूल कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं व सांसदों को रुपये लेते दिखाये जाने के बाद श्री त्रिवेदी ने कहा था कि अगर वह पार्टी अध्यक्ष होते, तो ऐसे नेताओं को घर बैठने को कहते. यदि नेताओं ने कोई गलती नहीं की है, तो उन्हें जांच की मांग जरूर करनी चाहिए. इसके बाद ही विधानसभा चुनाव प्रचार में दिनेश त्रिवेदी को अलग रहने का फरमान पार्टी द्वारा सुनाये जाने की बात सामने आयी थी. इतना ही नहीं, श्री त्रिवेदी ने दूसरे कई मामलों में भी अपनी ही पार्टी को कटघरे में लिया.
मतदान के दौरान बीजपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत हालीशहर में साढ़े तीन वर्षीया बच्ची पर हमले की घटना की भी उन्होंने कड़े शब्दों में निंदा की थी. इधर, इस घटना को लेकर माकपा, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की ओर से सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर लगातार कटाक्ष किया जा रहा था. ऐसे में तृणमूल सांसद व आला नेता दिनेश त्रिवेदी के इस घटना की निंदा व विरोध किये जाने पर भी तृणमूल खेमे में नाराजगी दिख रही थी. यही वजह है कि कथित तौर पर उन्हें संसदीय कार्यवाही से भी अलग रहने का फरमान सुनाया गया. अब देखना है कि पार्टी का रुख और सांसद दिनेश त्रिवेदी का रुख किस ओर जायेगा.