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विधायक के भतीजे की है कंपनी
आरोप. ट्रेड लाइसेंस के बगैर कारोबार कर रही थी संध्यामणि प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. मुश्ताक खान कोलकाता : करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हो रहे विवेकानंद फ्लाईआेवर की निर्माण संस्था आइवीआरसीएल को निर्माण सामग्री व श्रमिक सप्लाई करनेवाली रजत बक्सी की कंपनी संध्यामणि प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड अवैध रूप से कारोबार कर रही थी. रजत बक्सी […]
आरोप. ट्रेड लाइसेंस के बगैर कारोबार कर रही थी संध्यामणि प्रोजेक्ट्स प्रा. लि.
मुश्ताक खान
कोलकाता : करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हो रहे विवेकानंद फ्लाईआेवर की निर्माण संस्था आइवीआरसीएल को निर्माण सामग्री व श्रमिक सप्लाई करनेवाली रजत बक्सी की कंपनी संध्यामणि प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड अवैध रूप से कारोबार कर रही थी. रजत बक्सी जोड़ासांको विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी व विधायक स्मिता बक्सी का भतीजा है.
वह दुर्घटना के बाद से ही गायब है. काेलकाता नगर निगम में कांग्रेस पार्षद दल के नेता प्रकाश उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि रजत बक्सी की कंपनी संध्यामणि प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड के पास कारोबार करने के लिए कोई ट्रेड लाइसेंस नहीं था. यह कंपनी ट्रेड लाइसेंस के बगैर ही निर्माण सामग्री व श्रमिक सप्लाई कर रही थी. अवैध रूप से व्यवसाय करनेवाली कोई कंपनी कैसे किसी सरकारी परियोजना में माल सप्लाई कर सकती है. राजनीतिक प्रभाव के बगैर ऐसा होना संभव नहीं है.
दुर्घटनास्थल के पास ही रजत की कंपनी का कार्यालय : दुर्घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर स्थित गिरीश पार्क के पास एक गली में संध्यामणि प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय है.
शुक्रवार से दफ्तर बंद है. स्थानीय लोगों के अनुसार हादसे वाले दिन अर्थात गुरुवार दोपहर 12.30 बजे तक दफ्तर खुला हुआ था, पर फ्लाईआेवर गिरने की घटना की खबर फैलते ही दफ्तर बंद हो गया. दुर्घटना के बाद से ही रजत बक्सी का कोई अता-पता नहीं है. उधर स्मिता बक्सी अब रजत को अपने दूर का रिश्तेदार बता रही हैं. उसके काम-धंधे के बारे में भी किसी प्रकार की जानकारी से तृणमूल प्रत्याशी इनकार कर रही हैं.
आर्थिक तंगी से गुजर रही निर्माण करनेवाली कंपनी
आइवीआरसीएल काफी दिनों से आर्थिक तंगी से जूझ रही थी. इसके लिए काम ज्यादा फैला देने को एक मुख्य कारण बताया जा रहा है.
2009 में जब हैदराबाद की इस कंपनी ने इस फ्लाइओवर प्रोजेक्ट को हासिल किया था, उसी साल इसे भारत भर से 31 मूलभूत ढांचों के निर्माण का प्रोजेक्ट भी मिला था. इसमें बिहार के कोसी नहर निर्माण से लेकर चेन्नई के हाइवे विभाग के लिए सुनामी प्रभावित पुलों का पुनर्निर्माण भी शामिल था.
एक तरफ काम बढ़ रहा था, तो दूसरी तरफ कंपनी के बही-खातों में कर्ज का पहाड़ खड़ा होता जा रहा था. 2010 में यह रकम 1661 करोड़ थी, जो 2015 में बढ़ कर 4055 करोड़ हो गयी.
वर्ष 2015 में यह कंपनी 672 करोड़ के नुकसान पर चल रही थी. पिछले साल दिसंबर में आवीआरसीएल को कर्ज देनेवाले बैंकों के एक समूह ने कंपनी की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी. अपनी वेबसाइट में कंपनी ने लिखा है कि कोलकाता फ्लाइओवर का काम काफी मुश्किल भरा है. इलाका काफी संकरा है, जिसकी वजह से भारी उपकरणों को लाने ले-जाने में काफी दिक्कत होती है. इन्हीं सब बातों से ऐसा प्रतीत होता है कि कंपनी जिन हालातों से गुज़र रही थी, कहीं उसी की वजह से फ्लाइओवर बनने में इतनी देर तो नहीं हो रही थी.
कंपनी ने माना है कि छह साल में इस दो किलोमीटर लंबे फ्लाइओवर का सिर्फ 45 प्रतिशत हिस्सा ही बन कर तैयार हो पाया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फरवरी तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद कंपनी ने इस पुल का काम जल्द निबटाने का प्रयास शुरू कर दिया था.
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