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महिलाओं पर अपराध से निबटने में आधारभूत ढांचे की कमी

कोलकाता: महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में दूसरे स्थान पर होने की बदनामी का सामना कर रहे पश्चिम बंगाल को मुद्दे से निबटने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्य में सुरक्षा अधिकारियों सहित आधारभूत ढांचे का अभाव है. राज्य के पास केवल 21 महिला सुरक्षा अधिकारी हैं, जो अनुबंध […]

कोलकाता: महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में दूसरे स्थान पर होने की बदनामी का सामना कर रहे पश्चिम बंगाल को मुद्दे से निबटने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्य में सुरक्षा अधिकारियों सहित आधारभूत ढांचे का अभाव है. राज्य के पास केवल 21 महिला सुरक्षा अधिकारी हैं, जो अनुबंध पर कार्यरत हैं और उनके पास कोई सहायक स्टाफ या आधारभूत ढांचा भी नहीं है.

महिला विकास व समाज कल्याण मंत्री शशि पांजा ने बताया कि यह सच है कि हमारे पास केवल 21 महिला सुरक्षा अधिकारी हैं. हमें और महिला सुरक्षा अधिकारियों की आवश्यकता है. हमें लगता है कि आधारभूत ढांचे और सहायक स्टाफ को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. लेकिन वह एक समयबद्ध प्रक्रिया है, जिसे वित्त विभाग से भी मंजूरी की आवश्यकता होती है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2015 में प्रकाशित वर्ष 2014 के आंकड़े के अनुसार उस समय देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की 3,37,922 घटनाएं हुईं. इनमें 38,299 घटनाओं के साथ बंगाल दूसरे स्थान पर रहा. उत्तर प्रदेश 38,467 घटनाओं के साथ पहले स्थान पर रहा. महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर के मामले में 85.5 प्रतिशत के साथ बंगाल दूसरे नंबर पर था, जबकि 91.4 प्रतिशत के आंकड़े के साथ राजस्थान शीर्ष पर था. वर्ष 2005 में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण कानून (पीडब्ल्यूडीवीए), को पारित हुए एक दशक गुजर चुका है, लेकिन आधारभूत ढांचे व श्रमशक्ति के अभाव में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय दूर ही प्रतीत होता है. कुछ महिला सुरक्षा अधिकारियों ने मामलों के अंबार के चलते खुद के असहाय के रूप में चिह्नित करने का प्रयास किया. एक महिला सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि हमारे पास हर महीने अनेक मामले आते हैं और मुझे अकेले ही जिले के सभी मामलों को देखना होता है. इससे हमारे ऊपर काफी दबाव रहता है. यहां तक कि कई मामलों में हमारे पास मदद के लिए चपरासी तक नहीं होता. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हाल ही में उन्हें कंप्यूटर प्रदान किये गये, लेकिन उचित इंटरनेट कनेक्शन के बिना.
उत्तर 24 परगना जिले की पूर्व महिला सुरक्षा अधिकारी स्तुति सरकार ने कहा कि काम में लापरवाही होने पर हमें दंड भी भरना पड़ता है. यहां तक कि हम स्थाई स्टाफ नहीं हैं और हमें करीब बड़े अनियमित रूप से 12 हजार रुपये महीने मिलते हैं. ज्यादातर जिलों में केवल एक ही महिला सुरक्षा अधिकारी है. कोलकाता जैसी कुछ जगहों पर दो महिला सुरक्षा अधिकारी हैं.

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